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Ninth Anniversary Of Nirbhaya Case: Victim’s Father Said – There Is Sadness, But If Justice Is Given Then There Is Peace – निर्भया कांड की नौवीं बरसी: पीड़िता के पिता बोले- दुख है, लेकिन न्याय मिला तो सुकून है

सार

फिजियोथेरेपी इंटर्न 23 वर्षीय का 16 दिसंबर 2012 को दक्षिणी दिल्ली में एक चलती बस में बुरी तरह दुष्कर्म किया गया था। एक नाबालिग समेत छह लोग इसमें आरोपी थे। जहां नाबालिग दोषी को तीन साल सुधार गृह में रखने के बाद 2015 में रिहा कर दिया गया, वहीं चार दोषियों को 20 मार्च 2020 को फांसी दे दी गई।

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आज उस अभागे दिन को नौ साल हो गए हैं जब राष्ट्रीय राजधानी में एक चलती हुई बस में निर्भया के साथ वहशियों की तरह दुष्कर्म किया गया था। इतना समय बीत जाने के बाद भी निर्भया के परिजनों को उनकी याद आती है। वे कहते हैं कि पिछले साल दोषियों को फांसी होने के बाद उन्हें शांति मिली है।

फिजियोथेरेपी इंटर्न 23 वर्षीय का 16 दिसंबर 2012 को दक्षिणी दिल्ली में एक चलती बस में बुरी तरह दुष्कर्म किया गया था। एक नाबालिग समेत छह लोग इसमें आरोपी थे। जहां नाबालिग दोषी को तीन साल सुधार गृह में रखने के बाद 2015 में रिहा कर दिया गया, वहीं चार दोषियों को 20 मार्च 2020 को फांसी दे दी गई। छठे दोषी राम सिंह ने मामले का ट्रायल शुरू होने के बाद तिहाड़ जेल में कथित रूप से आत्महत्या कर ली थी।

घटना की बरसी पर अपनी बेटी को याद करते हुए निर्भया के पिता ने पीटीआई को फोन पर बताया, ”हमें न्याय मिल गया, जिससे हमें बेहतर महसूस होता है।”

पूरा देश था हमारे साथ

उन्होंने कहा, ”जब यह घटना हुई थी तो हर महिला रोई थी और पूरा देश हमारे साथ था। हर कोई जानना चाहता था कि दोषियों को सजा कब मिलेगी। यह सभी के प्रयासों का परिणाम है जो हमें न्याय मिला। यह हर किसी के लिए राहत की बात है। हम अभी भी दुख हैं लेकिन यह जानकर राहत मिलती है कि हमें न्याय मिल गया है।” उन्होंने हालांकि कहा कि सिस्टम में अभी बहुत बदलाव होना बाकी है, जिससे पीड़िताओं के परिवारों को न्याय मिल सके। दिल्ली की जेलों में ऐसे प्रावधान हैं, जिनसे आरोपियों को सहायता मिलती है जबकि पीड़ित परिवारों को परेशानी होती है।

जेल मेनुअल में बदलाव लाने के लिए देंगे याचिका

उन्होंने कहा, ”हमने जेल के मैनुअल में बदलाव लाने संबंधी मांग वाली जनहित याचिका (पीआईएल) दाखिल करने की योजना बनाई है। हम गृह मंत्री अमित शाह से मिले थे और उन्होंने कहा था कि महिलाओं को जल्द न्याय सुनिश्चित करने के लिए वे कुछ करेंगे लेकिन कोरोना महामारी के कारण हम उनसे दोबारा नहीं मिल पाए। लेकिन हम चुप नहीं बैठेंगे।” उन्होंने दुख जताया कि दुष्कर्म की अन्य घटनाओं को इतनी चर्चा नहीं मिल पाती है। उन्होंने कहा कि महिला सुरक्षा के मामले में भारत बिल्कुल शून्य है। उन्होंने कहा कि दोषियों को फांसी के बाद वे और उनकी पत्नी ऐसे ही अन्य पीड़ितों की मदद करना चाहते थे लेकिन कोरोना महामारी के कारण सारी योजना मिट्टी में मिल गई।

दोषियों को फांसी मिलने के बाद जीवन में बदलाव के सवाल पर उन्होंने कहा, ”पहले दुखी मन से उठते थे, कोर्ट में सुनवाई के लिए जाते थे और लौट आते थे और भारी मन से सो जाते थे कि कुछ नहीं हो रहा है। लेकिन अब वह दुख खत्म हो गया है और फांसी ने एक संदेश दिया है।”

पीड़िता का एक भाई एक निजी एयरलाइन्स में पायलट है जबकि दूसरा भाई एक सर्जन बनने वाला है।

विस्तार

आज उस अभागे दिन को नौ साल हो गए हैं जब राष्ट्रीय राजधानी में एक चलती हुई बस में निर्भया के साथ वहशियों की तरह दुष्कर्म किया गया था। इतना समय बीत जाने के बाद भी निर्भया के परिजनों को उनकी याद आती है। वे कहते हैं कि पिछले साल दोषियों को फांसी होने के बाद उन्हें शांति मिली है।

फिजियोथेरेपी इंटर्न 23 वर्षीय का 16 दिसंबर 2012 को दक्षिणी दिल्ली में एक चलती बस में बुरी तरह दुष्कर्म किया गया था। एक नाबालिग समेत छह लोग इसमें आरोपी थे। जहां नाबालिग दोषी को तीन साल सुधार गृह में रखने के बाद 2015 में रिहा कर दिया गया, वहीं चार दोषियों को 20 मार्च 2020 को फांसी दे दी गई। छठे दोषी राम सिंह ने मामले का ट्रायल शुरू होने के बाद तिहाड़ जेल में कथित रूप से आत्महत्या कर ली थी।

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