Dadri News : "दादरी की मंडी में मचा प्रशासनिक हड़कंप!, किसानों की शिकायत ने जगाई व्यवस्था की नींद, मंडी परिषद का सख्त निरीक्षण", राकेश नगर की पहल पर मंडी में चली जांच की हवा, सामने आईं सड़ती व्यवस्थाएं और अधिकारियों की लापरवाहियां
जब रफ्तार टुडे ने मंडी सचिव संत शरण सिंह से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि मेरे ऊपर सभी आरोप निराधार है, इसकी पुष्टि डिप्टी डायरेक्टर राजीव राय ने खुद से की है, जब रफ़्तार टुडे ने कार्रवाई की बात की तो उन्होंने बताया कि ऐसा तो मुझे लिखित और मौखिक में नहीं देकर गए, यदि ऐसा है वी तो दो-तीन दिन का इंतजार करेंगे

दादरी, रफ़्तार टुडे।
कई सालों से अनदेखी और उपेक्षा की शिकार दादरी कृषि उत्पादन मंडी आखिरकार अब सुधार की ओर बढ़ती दिख रही है। और इस परिवर्तन का कारण बना है एक गंभीर शिकायत, जिसे दादरी बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष एवं वरिष्ठ अधिवक्ता श्री राकेश नगर ने मंडी परिषद लखनऊ को भेजा। किसानों की समस्याओं, लापरवाही, अनियमितता और मूलभूत सुविधाओं के अभाव की ओर प्रशासन का ध्यान खींचने वाली इस शिकायत के बाद मंडी परिषद हरकत में आई और शुरू हुआ दादरी मंडी का भव्य निरीक्षण अभियान।
जांच का आदेश और प्रशासन की सक्रियता
शिकायत को नज़रअंदाज़ नहीं किया गया। मंडी परिषद लखनऊ के डिप्टी डायरेक्टर श्री राजीव राय ने स्वयं इस मामले को संज्ञान में लेते हुए स्थलीय निरीक्षण का आदेश दिया। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए उप जिलाधिकारी दादरी श्री अनुज नेहरा ने स्वयं मौके पर उपस्थित रहकर निरीक्षण कार्य की निगरानी की, जिससे किसानों और आम नागरिकों में विश्वास जगा।
शिकायत में क्या-क्या उठाए गए मुद्दे?
श्री राकेश नगर ने अपने पत्र में जो प्रमुख समस्याएं गिनाई थीं, वे थीं:
- किसानों के बैठने और सामान रखने के लिए बने चबूतरों पर अतिक्रमण
- सुलभ शौचालय, पेयजल, शेड, प्रतीक्षा स्थल जैसी मूलभूत सुविधाओं का अभाव
- मंडी में प्रवेश के लिए बनाई गई पर्ची प्रणाली में धांधली
- किसानों के प्रपत्र 6 और व्यापारियों के प्रपत्र 9 में रिकॉर्ड संबंधी अनियमितताएं
- व्यापारियों द्वारा बिना वैध लाइसेंस के काम करना
निरीक्षण में मिली अव्यवस्था की परतें
जैसे ही निरीक्षण दल मंडी परिसर में पहुंचा, एक के बाद एक व्यवस्थाओं की परतें खुलती चली गईं। यहां मिली लापरवाहियों ने मंडी प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए।
1. किसानों का चबूतरा भी कब्जे में!
जिन स्थानों को किसानों की सुविधा हेतु निर्माण किया गया था, वे आज स्थानीय व्यापारियों, ट्रॉली वालों और निजी दुकानदारों के कब्जे में पाए गए। किसान खुले में अपनी उपज उतारने को मजबूर हैं।
2. पीने का पानी तक नहीं!
गर्मी में जहां पसीना सूख जाए, वहां दादरी मंडी के किसान एक घूंट साफ पानी को तरस रहे हैं। शौचालयों की हालत बदहाल है और बैठने के लिए कोई सुविधा नहीं।
3. कागजों में खेल, पर्चियों में हेराफेरी
मंडी में माल प्रवेश के समय जारी की जाने वाली पर्चियों की प्रणाली को मनमानी का अड्डा बना दिया गया था। पर्चियों का उचित रिकॉर्ड नहीं रखा जा रहा था।
4. लाइसेंस जांच में आई गड़बड़ी
निरीक्षण के दौरान व्यापारियों के लाइसेंस जांचे गए, जिनमें से कई के पास वैध दस्तावेज नहीं थे। व्यापार नियमों का खुला उल्लंघन किया जा रहा था।
मंडी सचिव पर भी गिरी गाज
निरीक्षण के दौरान मंडी सचिव संत शरण दास की जवाबदेही भी तय की गई। उन्हें कड़ी चेतावनी दी गई और निर्देश दिए गए कि मंडी की व्यवस्था में 15 दिनों के अंदर ठोस बदलाव किए जाएं। यदि ऐसा न किया गया तो उनके खिलाफ प्रशासनिक कार्यवाही तय मानी जाएगी।
राकेश नगर की सामाजिक चेतना ने मचाया असर
श्री राकेश नगर केवल एक वरिष्ठ अधिवक्ता नहीं, बल्कि वे क्षेत्र की समस्याओं के लिए सदैव जागरूक रहे हैं। जब मंडी की दुर्दशा को देखते हुए कोई और आवाज़ नहीं उठा रहा था, तब उन्होंने किसानों के हक में संघर्ष का बिगुल फूंका। उनकी शिकायत का असर यह हुआ कि वर्षों से जो मुद्दे दबे थे, वे अब शासन के एजेंडे पर हैं।
किसानों में राहत, लेकिन स्थायी समाधान की दरकार
निरीक्षण के बाद मंडी में उपस्थित किसानों के चेहरों पर थोड़ी राहत की झलक जरूर दिखी, लेकिन वे इसे केवल शुरुआत मानते हैं। उनका कहना है कि यह नियमित प्रक्रिया बने और हर माह व्यवस्थाओं की समीक्षा होनी चाहिए।
एक किसान श्री जयपाल सिंह ने बताया:
“हमें लगता है अब कोई हमारी भी सुन रहा है। लेकिन अगर ये निरीक्षण एक बार का शो बनकर रह गया, तो समस्या वहीं की वहीं रहेगी।”
क्या जरूरी है अब? — सुझाव और सुधार की सूची
📌 डिजिटल व्यवस्था
पर्ची और रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया को ऑनलाइन पोर्टल से जोड़ना चाहिए ताकि पारदर्शिता बनी रहे।
📌 महिला किसानों की सुविधा
अक्सर महिलाएं मंडी में उपज बेचने आती हैं, लेकिन उनके लिए कोई अलग व्यवस्था नहीं है।
📌 सीसीटीवी और शिकायत बॉक्स
हर कोने में कैमरे लगने चाहिए और मंडी में एक शिकायत पेटिका होनी चाहिए।
📌 साप्ताहिक सफाई एवं निरीक्षण
सप्ताह में एक बार स्थानीय अधिकारी द्वारा रूटीन निरीक्षण अनिवार्य हो।
रफ्तार टुडे की विशेष टिप्पणी
रफ्तार टुडे का मानना है कि कृषि मंडी जैसे केंद्रों की हालत सुधरे बिना “किसान समृद्धि” की बात खोखली है। दादरी मंडी का यह मामला दर्शाता है कि एक जिम्मेदार नागरिक की आवाज़ भी अगर सही समय पर उठे, तो पूरा सिस्टम जाग सकता है। हम उम्मीद करते हैं कि यह केवल एक कार्रवाई नहीं, बल्कि सुधार की श्रृंखला की शुरुआत बने।
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