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नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) अगले साल अपनी स्थापना के सौ साल पूरे कर लेगा। डीयू के सौवें साल में दो बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे। एक तो स्नातक की तीन साल की पढ़ाई चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम में बदल जाएगी। वहीं दाखिले भी प्रवेश परीक्षा से होंगे। चार साल की स्नातक पढ़ाई के लिए तैयारी होनी शुरू हो गई है।
डीयू प्रशासन ने कॉलेज व विभागों को चार वर्षीय पाठ्यक्रम के अनुसार वर्कलोड बनाने को कहा है। इसके लिए 184-164 क्रेडिट का प्रस्ताव कॉलेजों को भेजा गया है। शिक्षकों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया है। शिक्षकों का कहना है कि इससे वर्कलोड कम होगा और तदर्थ शिक्षकों को हटाया जाएगा।
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत लाए जा रहे चार वर्षीय अंडर ग्रेजुएट प्रोग्राम (एफवाईयूपी) को डीयू की एकेडमिक काउंसिल (एसी) व कार्यकारी परिषद से मंजूरी मिल चुकी है। यह चार वर्षीय पाठ्यक्रम वर्ष 2022-23 से लागू किया जाना है। इसमें कभी भी पढ़ाई छोड़कर कभी भी उसे वापस आकर पूरा करने का प्रावधान है।
इसकी तैयारी के मद्देनजर प्रशासन ने 184 से 164 क्रेडिट करने का प्रस्ताव कॉलेजों व विभागों को भेेजा है। शिक्षकों ने इसका विरोध करना शुरू किया है। डीयू के एकेडमिक फॉर एक्शन एंड डेवलपमेंट के पदाधिकारी व राजनीति विज्ञान के शिक्षक डॉ राजेश झा ने बताया कि विरोध इसलिए किया जा रहा है क्योंकि शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित होगी।
उन्होंने कहा कि शिक्षकों की जरूरत कम हो जाएगी। जो पढ़ाई पहले चार घंटे में कराई जाती थी, उसे दो घंटे में कैसे कराया जाएगा। शिक्षक-छात्र के अनुपात से क्लास रूम शिक्षण के मायने खत्म हो जाएंगे। एनवायरमेंटल स्टडी अभी तक चार क्रेडिट का था जो अब दो क्रेडिट का हो रहा है। इससे तदर्थ शिक्षकों को हटाया जाएगा।
दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन (डीटीए) अध्यक्ष डॉ हंसराज सुमन ने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय में एक बार फिर चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम विवादों में है। इससे पहले भी वर्ष 2013-14 में लागू होने से पहले इसका शिक्षक संगठनों ने विरोध किया था। वह कहते हैैं हमारी कुलपति से मांग है कि पाठ्यक्रम में बदलाव से पूर्व शिक्षकों का नियमितीकरण होना चाहिए।
वह कहते हैं कि नई शिक्षा नीति के प्रस्तावित ढांचे के प्रतिकूल प्रभावों में से एक यह है कि यूजी कॉलेजों में विभिन्न विषयों के समग्र कार्यभार में बदलाव किया जाएगा।
नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) अगले साल अपनी स्थापना के सौ साल पूरे कर लेगा। डीयू के सौवें साल में दो बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे। एक तो स्नातक की तीन साल की पढ़ाई चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम में बदल जाएगी। वहीं दाखिले भी प्रवेश परीक्षा से होंगे। चार साल की स्नातक पढ़ाई के लिए तैयारी होनी शुरू हो गई है।
डीयू प्रशासन ने कॉलेज व विभागों को चार वर्षीय पाठ्यक्रम के अनुसार वर्कलोड बनाने को कहा है। इसके लिए 184-164 क्रेडिट का प्रस्ताव कॉलेजों को भेजा गया है। शिक्षकों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया है। शिक्षकों का कहना है कि इससे वर्कलोड कम होगा और तदर्थ शिक्षकों को हटाया जाएगा।
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत लाए जा रहे चार वर्षीय अंडर ग्रेजुएट प्रोग्राम (एफवाईयूपी) को डीयू की एकेडमिक काउंसिल (एसी) व कार्यकारी परिषद से मंजूरी मिल चुकी है। यह चार वर्षीय पाठ्यक्रम वर्ष 2022-23 से लागू किया जाना है। इसमें कभी भी पढ़ाई छोड़कर कभी भी उसे वापस आकर पूरा करने का प्रावधान है।
इसकी तैयारी के मद्देनजर प्रशासन ने 184 से 164 क्रेडिट करने का प्रस्ताव कॉलेजों व विभागों को भेेजा है। शिक्षकों ने इसका विरोध करना शुरू किया है। डीयू के एकेडमिक फॉर एक्शन एंड डेवलपमेंट के पदाधिकारी व राजनीति विज्ञान के शिक्षक डॉ राजेश झा ने बताया कि विरोध इसलिए किया जा रहा है क्योंकि शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित होगी।
उन्होंने कहा कि शिक्षकों की जरूरत कम हो जाएगी। जो पढ़ाई पहले चार घंटे में कराई जाती थी, उसे दो घंटे में कैसे कराया जाएगा। शिक्षक-छात्र के अनुपात से क्लास रूम शिक्षण के मायने खत्म हो जाएंगे। एनवायरमेंटल स्टडी अभी तक चार क्रेडिट का था जो अब दो क्रेडिट का हो रहा है। इससे तदर्थ शिक्षकों को हटाया जाएगा।
दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन (डीटीए) अध्यक्ष डॉ हंसराज सुमन ने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय में एक बार फिर चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम विवादों में है। इससे पहले भी वर्ष 2013-14 में लागू होने से पहले इसका शिक्षक संगठनों ने विरोध किया था। वह कहते हैैं हमारी कुलपति से मांग है कि पाठ्यक्रम में बदलाव से पूर्व शिक्षकों का नियमितीकरण होना चाहिए।
वह कहते हैं कि नई शिक्षा नीति के प्रस्तावित ढांचे के प्रतिकूल प्रभावों में से एक यह है कि यूजी कॉलेजों में विभिन्न विषयों के समग्र कार्यभार में बदलाव किया जाएगा।