Sharda University News : शारदा विश्वविद्यालय में दो दिवसीय व्यावहारिक प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित, शोधकर्ताओं और छात्रों को मिला नया मंच
वैज्ञानिक शोध और प्रयोगशाला तकनीकों पर केंद्रित रहा कार्यशाला का मुख्य विषय
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📍 ग्रेटर नोएडा, रफ़्तार टुडे। नॉलेज पार्क स्थित शारदा विश्वविद्यालय के डीएसटी-फिस्ट लैब द्वारा पशु कोशिका (Animal Cell Culture) पर दो दिवसीय व्यावहारिक प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का उद्देश्य छात्रों, शोधकर्ताओं और पेशेवरों को वैज्ञानिक अनुसंधान में आधुनिक तकनीकों और प्रयोगशाला विधियों से अवगत कराना था।
इस कार्यक्रम ने दिल्ली-एनसीआर के विभिन्न शिक्षण संस्थानों के जीवन विज्ञान, जैव प्रौद्योगिकी और जैव रसायन क्षेत्र से जुड़े शोधकर्ताओं और छात्रों को आकर्षित किया।
🔬 कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य: प्रयोगशाला तकनीकों को मजबूत करना
शारदा विश्वविद्यालय के डीन रिसर्च डॉ. भुवनेश कुमार ने कार्यशाला के दौरान कहा:
🗣️ “पशु कोशिकाओं का संवर्धन और उनमें हेरफेर करने की विधियाँ आधुनिक अनुसंधान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। यह दवा की खोज, वैक्सीन उत्पादन और रोग मॉडलिंग जैसे क्षेत्रों में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती हैं।”
उन्होंने बताया कि टीका उत्पादन और रोग मॉडलिंग के लिए पशु कोशिका संवर्धन तकनीकों में व्यावहारिक प्रशिक्षण देना इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य था।
🧪 वैज्ञानिक उपकरणों और तकनीकों की जानकारी पर जोर
शारदा विश्वविद्यालय के डीएसटी-फिस्ट प्रमुख डॉ. संदीप शुक्ला ने कहा:
🗣️ “इस तरह की कार्यशालाएँ अनुसंधानकर्ताओं के ज्ञान को बढ़ाने और मौजूदा विशेषज्ञता के उन्नयन के लिए आवश्यक हैं। प्रयोगशाला उपकरणों की समझ और नवीनतम तकनीकों का ज्ञान होना वैज्ञानिकों और छात्रों के लिए अनिवार्य है।”
उन्होंने आगे बताया कि कार्यशाला जैव प्रौद्योगिकी, जैव रसायन और संबंधित क्षेत्रों के छात्रों, शोधकर्ताओं और पेशेवरों के बीच ज्ञान के आदान-प्रदान और कौशल विकास के लिए एक महत्वपूर्ण मंच बनी।
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👩🔬 कार्यशाला के प्रमुख आकर्षण
✅ पशु कोशिका संवर्धन तकनीकों पर व्यावहारिक सत्र।
✅ टीका उत्पादन और रोग मॉडलिंग में कोशिका अनुसंधान का महत्व।
✅ आधुनिक प्रयोगशाला उपकरणों का परिचय और उपयोग।
✅ अनुभवी वैज्ञानिकों और प्रोफेसरों के साथ संवाद सत्र।
👨🏫 शिक्षाविदों और विशेषज्ञों की रही विशेष उपस्थिति
कार्यशाला में विभिन्न विषयों के विशेषज्ञ और वैज्ञानिक मौजूद रहे, जिनमें शामिल थे:
🔹 डॉ. मोहित साहनी – जीवन विज्ञान विशेषज्ञ
🔹 डॉ. संजय कुमार – जैव प्रौद्योगिकी विशेषज्ञ
🔹 डॉ. सौमी साधु – जैव रसायन विशेषज्ञ
🔹 डॉ. अनुपम अग्रवाल – अनुसंधान और विकास विशेषज्ञ
📢 शोधकर्ताओं और छात्रों को मिला नया मंच
इस कार्यशाला ने शोधकर्ताओं और छात्रों को अपने ज्ञान और कौशल को उन्नत करने का अवसर दिया। छात्रों ने आधुनिक जैव प्रौद्योगिकी उपकरणों और तकनीकों का प्रत्यक्ष अनुभव लिया, जिससे उन्हें वैज्ञानिक अनुसंधान के व्यावहारिक पहलुओं को समझने में मदद मिली।
📌 निष्कर्ष: भविष्य के वैज्ञानिकों के लिए एक प्रेरणादायक पहल
🔹 शारदा विश्वविद्यालय का यह प्रयास अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ।
🔹 इस तरह की कार्यशालाएँ विद्यार्थियों को नए प्रयोगों और अनुसंधान तकनीकों में निपुण बनाने में सहायक होती हैं।
🔹 वैज्ञानिकों ने भविष्य में भी इस तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रमों को और विस्तार देने की आवश्यकता जताई।
रफ़्तार टुडे इस तरह के महत्वपूर्ण शैक्षणिक और अनुसंधान संबंधी आयोजनों की रिपोर्टिंग करता रहेगा।
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