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ED Raid Noida Authority CEO : लोटस-300 घोटाला बिल्डर और अफसरों की जुगलबंदी ने, बायर्स को किया बेहाल, हाईकोर्ट ने कहा- ठगी का सबसे बड़ा उदाहरण!, पूर्व IAS मोहिंदर सिंह से जुड़े हैं लोटस-300 ग्रुप धांधली के तार

नोएडा, रफ़्तार टुडे। नोएडा के सेक्टर-107 स्थित लोटस-300 ग्रुप हाउसिंग प्रोजेक्ट में फ्लैट बायर्स के साथ हुई बड़े पैमाने पर ठगी का खुलासा अब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच से हुआ है। इस मामले में बिल्डर और नोएडा अथॉरिटी के तत्कालीन सीईओ मोहिंदर सिंह समेत कई अधिकारियों की मिलीभगत के चलते बायर्स को सालों तक न्याय के लिए संघर्ष करना पड़ा। बायर्स ने पहले नोएडा अथॉरिटी के दरवाजे खटखटाए, फिर एफआईआर दर्ज करवाई और आखिरकार कोर्ट की शरण में पहुंचे, जहां से उन्हें न्याय की उम्मीद बंधी।

कोर्ट की सख्त टिप्पणी ने खोले घोटाले के नए आयाम

इस केस में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 29 फरवरी 2024 को सख्त टिप्पणी करते हुए इसे “ठगी का नायाब उदाहरण” करार दिया। अदालत ने ईडी को इस मामले की गहराई से जांच करने का आदेश दिया और नोएडा अथॉरिटी को निर्देशित किया कि वह जल्द से जल्द बायर्स की फ्लैट रजिस्ट्री पूरी करे। कोर्ट की इस कार्रवाई के बाद ईडी ने अपनी जांच शुरू की और कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए।

कैसे बिल्डर और अधिकारियों ने खेला फंड डायवर्जन का खेल?

ईडी की जांच में खुलासा हुआ कि लोटस-300 प्रोजेक्ट में बिल्डर ने बायर्स से जमा की गई रकम का गलत इस्तेमाल किया और इस फंड को डायवर्ट करके सहयोगी कंपनियों में लगाया गया। हैसिंडा प्रॉजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड के जरिए बायर्स से 190 करोड़ रुपये वसूले गए और फिर इस रकम को थ्री-सी यूनिवर्सल डिवेलपर्स और ग्रेनाइट गेट प्रॉपर्टीज जैसी कंपनियों में गबन किया गया।

नोएडा अथॉरिटी की लापरवाही ने बढ़ाई बायर्स की मुश्किलें

ईडी की रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि 2010 में नोएडा अथॉरिटी ने लोटस-300 प्रोजेक्ट के लिए 69 हजार 942 वर्ग मीटर जमीन का आवंटन किया था। लेकिन बिल्डर ने कुछ समय बाद किश्तें देना बंद कर दीं, बावजूद इसके अथॉरिटी ने 9 साल तक कोई रिकवरी नोटिस जारी नहीं किया। 2019 में जब रिकवरी का नोटिस जारी किया गया, तब तक बिल्डर ने कोर्ट से स्टे प्राप्त कर लिया था, जिससे कार्रवाई रुक गई।

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लापरवाह अफसरों पर भी गिरेगी गाज?

इस मामले में मोहिंदर सिंह के कार्यकाल के दौरान किए गए निर्णयों पर सवाल खड़े हो रहे हैं, लेकिन यह जांच यहीं नहीं रुकने वाली। ईडी की कार्रवाई से अब यह अनुमान लगाया जा रहा है कि नोएडा अथॉरिटी के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की भी जांच की जाएगी, जो इस भ्रष्टाचार में लिप्त हो सकते हैं।

क्या बायर्स को मिलेगा उनका हक?

बायर्स ने वर्षों तक संघर्ष किया, कोर्ट के दरवाजे खटखटाए और आखिरकार हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के बाद अब ईडी की जांच से उम्मीदें बढ़ी हैं। हालांकि बिल्डर ने सुप्रीम कोर्ट से स्टे लेकर जांच को कुछ समय के लिए रोक दिया था, लेकिन 30 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने स्टे हटा दिया, जिससे ईडी की जांच फिर से शुरू हो गई है। अब बायर्स को उम्मीद है कि उन्हें न्याय मिलेगा और उनके फ्लैट की रजिस्ट्री जल्द ही पूरी होगी।

आगे क्या उम्मीद ?

ईडी की जांच अभी जारी है और इस मामले में और भी चौंकाने वाले खुलासे हो सकते हैं। नोएडा के इस घोटाले ने जहां बायर्स की उम्मीदों को तोड़ा, वहीं अब ईडी की जांच से भ्रष्टाचार के जाल को खत्म करने की कोशिश हो रही है।

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