गाजियाबाद3 घंटे पहले
गाजीपुर बॉर्डर पर 26 नवंबर 2020 को यह किसान खाली हाथ आए थे। तीन कृषि कानून वापसी के बाद किसान घर लौट रहे हैं।
यूपी-दिल्ली के गाजीपुर बॉर्डर से किसानों की घर वापसी जारी है। रविवार सुबह लखीमपुर खीरी, पीलीभीत, रामपुर के तराई क्षेत्र से आए सिख किसानों का जत्था लौट गया। बुलंदशहर के कुछ किसान भी घर वापसी कर गए हैं। किसान लगातार टैंट-तंबू खोल रहे हैं। सामान पैक कर रहे हैं। भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत का कहना है कि 15 दिसंबर तक गाजीपुर बॉर्डर खाली हो जाएगा।

किसान टैंट-तंबू और अपना सामान पैक करके वाहनों में रखवा रहे हैं।
डीजे पर नाचे, आतिशबाजी छोड़ी
आंदोलन की जीत और घर वापसी से उत्साहित किसानों का गाजीपुर बॉर्डर पर जश्न जारी है। शनिवार देर रात तक किसान डीजे पर खूब नाचे। उन्होंने आतिशबाजी छोड़ी। एक-दूसरे को मिठाई बांटी। गले लगकर आंदोलन जीत की शुभकामनाएं दी। किसानों को विजय तिलक लगाकर बॉर्डर से विदाई दी जा रही है। सालभर तक एकसाथ रहने वाले किसान अब विदाई पर भावुक हो रहे हैं।

तराई क्षेत्र से आए किसान रविवार सुबह अपने-अपने घरों को लौट गए।
किसान सभा का आखिरी जत्था गया
उप्र किसाप सभा ने गाजीपुर बॉर्डर पर पांच तंबू लगाए थे। इस तंबू का आखिरी जत्था रविवार सुबह अपने घरों को लौट गया। इस जत्थे में कामरेड डीपी सिंह, चंद्रपाल सिंह समेत अन्य किसान नेता मौजूद रहे। सभी ने एक-दूसरे को आंदोलन जीत की बधाई दी और इसी तरह अपनी मांगों को लेकर एकजुट रहने के लिए कहा।

तमाम किसान राकेश टिकैत से मिलने के बाद घरों को लौट रहे हैं।
टिकैत ने कहा- यहां की यादें दिलों में रहेंगी
भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि यहां की यादें किसानों के दिलों में हमेशा रहेंगी। हमें यहां के स्थानीय लोग, पत्रकार, सफाईकर्मी, डॉक्टर, पुलिसकर्मी याद रहेंगे। यहां से जो किसान जा रहे हैं, उनमें तमाम ऐसे होंगे जो कभी फिर एक-दूसरे को नहीं मिलेंगे। इसलिए वे जाते वक्त भावुक हो रहे हैं। राकेश टिकैत ने कहा कि अब किसान घर-घर जाकर अपने कामकाज देखेंगे। परिवार को संभालेंगे। टिकैत ने कहा कि 15 जनवरी 2022 को संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक होगी, उसमें समीक्षा होगी कि केंद्र सरकार ने उनकी मांगों पर क्या-क्या किया।