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High Court Reprimanded Delhi Government And Corporation For Not Controlling Dengue In The Capital – लापरवाही पर लताड़ : डेंगू को काबू न कर पाने पर दिल्ली सरकार और निगम को हाईकोर्ट की फटकार 

सार

अदालत ने कहा कि राजधानी में यह एक बहुत ही खेदजनक स्थिति है, नागरिक प्रशासन में पूरी तरह से लकवा मार गया है। 

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उच्च न्यायालय ने बुधवार को राजधानी में डेंगू के प्रसार को नियंत्रित करने में विफल रहने पर दिल्ली सरकार व तीनों नगर निगमों को कड़ी फटकार लगाई। अदालत ने कहा अधिकारियों की लापरवाही के कारण मरीजों की संख्या इस साल दोगुनी हो गई है। अदालत ने नाराजगी जताते हुए कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में यह एक बहुत ही खेदजनक स्थिति है। 

अदालत ने कहा कि नागरिक प्रशासन को पूरी तरह लकवा मार गया है क्योंकि किसी को भी मौतों की परवाह नहीं है। अधिकारी इस रवैये के साथ जी रहे हैं कि चूंकि एक बड़ी आबादी है, इसलिए बीमारी आएगी और जाएगी।

न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की पीठ ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि नीतियां लोकलुभावन तरीकों से बनाई जा रही हैं और सरकारें ऐसा कुछ भी करने से डरती हैं जिससे उनका वोट बैंक खो जाए।

दक्षिणी दिल्ली नगर निगम (एसडीएमसी) की ओर से पेश अधिवक्ता ने अदालत से उल्लंघन करने वाले चालानों पर जुर्माना राशि की सीमा बढ़ाने के लिए एक आदेश पारित करने का आग्रह किया। अदालत ने उनके तर्क को खारिज कर दिया। पीठ ने उनके तर्क पर कहा कि अदालत से ऐसा करने के लिए कहा जा रहा है क्योंकि अधिकारियों को डर है कि अगर वे कुछ भी करते हैं, तो लोग उन्हें वोट नहीं देंगे। 

अधिकारियों को डर लोग वोट नहीं देंगे
अदालत ने कहा हम एमसीडी के तर्क से सहमत हैं कि एक हल होना चाहिए। हमारे समाज में लोग तब तक नहीं समझते जब तक कि कोई ठोस जुर्माना न लगाया जाए। पीठ ने कहा हम इस मुद्दे पर कानून नहीं बना सकते। आप इतने लोकलुभावन हो गए हैं कि आपको लगता है कि अगर आप कुछ करेंगे तो लोग वोट नहीं देंगे। लोकलुभावन तरीके से नीतियां बनाई जा रही हैं।

न्यायमूर्ति सांघी ने कहा अगर केवल चुनाव लड़े और जीते या असली मुद्दों पर हारे, तो हमारे पास एक अलग शहर होगा। यह उस तरह से काम नहीं करता है। आज वे मुफ्त में लड़े जा रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि पूर्वी दिल्ली नगर निगम (ईडीएमसी) क्षेत्र में अधिकांश नाले खुले हैं और बदबू असहनीय है।

पीठ ने कहा कृपया समझें कि इस वर्ष डेंगू से प्रभावित मरीजों और मौतों की संख्या अभूतपूर्व है। यह कोविड-19 जैसा नहीं है जो पहली बार हुआ है। यह कैसे हो सकता है कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी और मशीन और जनशक्ति होने के बावजूद समस्या का समाधान नहीं किया जा सकता? 2013 के बाद से इस अदालत ने कई आदेश पारित किए फिर भी यह नियंत्रण में नहीं है।

बारिश को बताया प्रसार का कारण
एसडीएमसी की ओर से पेश वकील ने कोर्ट को बताया कि इस साल डेंगू की संख्या इतनी अधिक होने का कारण अक्तूूबर के महीने में हुई अभूतपूर्व बारिश है। उन्होंने कहा कि कई रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (आरडब्ल्यूए) अधिकारियों के साथ सहयोग नहीं कर रहे हैं जब वे फॉगिंग के लिए जाते हैं और मच्छरों के प्रजनन पर नजर रखते हैं। 

उन्होंने आग्रह किया कि अधिकारियों को रोकने पर जुर्माने की सीमा को 500 रुपये से बढ़ाकर 10,000 रुपये करने का निर्देश दिया जाए।
पीठ ने उनके आग्रह को खारिज करते हुए कहा कि वह ऐसा कोई निर्देश नहीं देगी और अगर अधिकारी चाहें तो वे डेंगू से वैसे ही निपट सकते हैं जैसे कोविड-19 में किया गया था। पीठ ने कहा मलेरिया और चिकनगुनिया जैसी बीमारियों सहित कई मुद्दों पर गौर करने के लिए वे मामले में न्याय मित्र नियुक्त करेंगे। 

विस्तार

उच्च न्यायालय ने बुधवार को राजधानी में डेंगू के प्रसार को नियंत्रित करने में विफल रहने पर दिल्ली सरकार व तीनों नगर निगमों को कड़ी फटकार लगाई। अदालत ने कहा अधिकारियों की लापरवाही के कारण मरीजों की संख्या इस साल दोगुनी हो गई है। अदालत ने नाराजगी जताते हुए कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में यह एक बहुत ही खेदजनक स्थिति है। 

अदालत ने कहा कि नागरिक प्रशासन को पूरी तरह लकवा मार गया है क्योंकि किसी को भी मौतों की परवाह नहीं है। अधिकारी इस रवैये के साथ जी रहे हैं कि चूंकि एक बड़ी आबादी है, इसलिए बीमारी आएगी और जाएगी।

न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की पीठ ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि नीतियां लोकलुभावन तरीकों से बनाई जा रही हैं और सरकारें ऐसा कुछ भी करने से डरती हैं जिससे उनका वोट बैंक खो जाए।

दक्षिणी दिल्ली नगर निगम (एसडीएमसी) की ओर से पेश अधिवक्ता ने अदालत से उल्लंघन करने वाले चालानों पर जुर्माना राशि की सीमा बढ़ाने के लिए एक आदेश पारित करने का आग्रह किया। अदालत ने उनके तर्क को खारिज कर दिया। पीठ ने उनके तर्क पर कहा कि अदालत से ऐसा करने के लिए कहा जा रहा है क्योंकि अधिकारियों को डर है कि अगर वे कुछ भी करते हैं, तो लोग उन्हें वोट नहीं देंगे। 

अधिकारियों को डर लोग वोट नहीं देंगे

अदालत ने कहा हम एमसीडी के तर्क से सहमत हैं कि एक हल होना चाहिए। हमारे समाज में लोग तब तक नहीं समझते जब तक कि कोई ठोस जुर्माना न लगाया जाए। पीठ ने कहा हम इस मुद्दे पर कानून नहीं बना सकते। आप इतने लोकलुभावन हो गए हैं कि आपको लगता है कि अगर आप कुछ करेंगे तो लोग वोट नहीं देंगे। लोकलुभावन तरीके से नीतियां बनाई जा रही हैं।

न्यायमूर्ति सांघी ने कहा अगर केवल चुनाव लड़े और जीते या असली मुद्दों पर हारे, तो हमारे पास एक अलग शहर होगा। यह उस तरह से काम नहीं करता है। आज वे मुफ्त में लड़े जा रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि पूर्वी दिल्ली नगर निगम (ईडीएमसी) क्षेत्र में अधिकांश नाले खुले हैं और बदबू असहनीय है।

पीठ ने कहा कृपया समझें कि इस वर्ष डेंगू से प्रभावित मरीजों और मौतों की संख्या अभूतपूर्व है। यह कोविड-19 जैसा नहीं है जो पहली बार हुआ है। यह कैसे हो सकता है कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी और मशीन और जनशक्ति होने के बावजूद समस्या का समाधान नहीं किया जा सकता? 2013 के बाद से इस अदालत ने कई आदेश पारित किए फिर भी यह नियंत्रण में नहीं है।

बारिश को बताया प्रसार का कारण

एसडीएमसी की ओर से पेश वकील ने कोर्ट को बताया कि इस साल डेंगू की संख्या इतनी अधिक होने का कारण अक्तूूबर के महीने में हुई अभूतपूर्व बारिश है। उन्होंने कहा कि कई रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (आरडब्ल्यूए) अधिकारियों के साथ सहयोग नहीं कर रहे हैं जब वे फॉगिंग के लिए जाते हैं और मच्छरों के प्रजनन पर नजर रखते हैं। 

उन्होंने आग्रह किया कि अधिकारियों को रोकने पर जुर्माने की सीमा को 500 रुपये से बढ़ाकर 10,000 रुपये करने का निर्देश दिया जाए।

पीठ ने उनके आग्रह को खारिज करते हुए कहा कि वह ऐसा कोई निर्देश नहीं देगी और अगर अधिकारी चाहें तो वे डेंगू से वैसे ही निपट सकते हैं जैसे कोविड-19 में किया गया था। पीठ ने कहा मलेरिया और चिकनगुनिया जैसी बीमारियों सहित कई मुद्दों पर गौर करने के लिए वे मामले में न्याय मित्र नियुक्त करेंगे। 

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