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ग्रेटर नोएडा के किसान आर-पार के मूड़ में, 27 की महापंचायत में लेंगे बड़ा फैसला

ग्रेटर नोएडा, रफ्तार टुडे। ग्रेटर नोएडा क्षेत्र के किसानों ने एक सुर में आर-पार की लड़ाई लडऩे की घोषणा की है। किसानों का कहना है कि अब ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के खिलाफ आर-पार की लड़ाई लड़ी जाएगी। इस लड़ाई की रणनीति बनाने के लिए 27 जून को प्राधिकरण के बाहर महापंचायत आयोजित की जाएगी। महा पंचायत के दिन प्राधिकरण कार्यालय के दोनों प्रवेश द्वार बंद कर दिए जाएंगे और कोई बड़ा फैसला लिया जाएगा।

महापंचायत 27 जून को
15 दिन से जेल में बंद प्रमुख किसान नेताओं के कहने पर किसानों ने बड़ा फैसला लिया है। इस फैसले के तहत 27 जून को ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के कार्यालय पर एक महापंचायत बुलाई गई है। इस महापंचायत में आंदोलन को किसी निश्चित अंजाम तक पहुंचाने की रणनीति बनाई जाएगी।

प्रमुख नेताओं की अनुपस्थिति में आंदोलन का काम देख रहे प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता सुशील नागर ने चेतना मंच को बताया कि किसानों को शांतिपूर्ण ढंग से धरना देते हुए दो महीने का समय बीत गया है। अब इस आंदोलन को अंजाम तक पहुंचाने का मौका आ गया है। कोई बड़ा फैसला लेने के लिए पूरे क्षेत्र के किसानों की महापंचायत बुलाई गई है। यह महापंचायत 27 जून को होगी। उस दिन किसान कोई भी बड़े से बड़ा फैसला ले सकते हैं। इस बीच राजनैतिक विश्लेषकों ने भी इस आंदोलन को लेकर अपनी -अपनी टिप्पणियां करनी शुरू कर दी है।

अब किसानों का धैर्य दे रहा है जवाब
श्री नागर आगे लिखते हैं कि जैसा की सर्वविदित है कि किसानों ने आबादी मामलों का निस्तारण करने, बगैर लीजबैक किए आबादी भूमि को शिफ्ट न करने, लीजबैक के 1451 मामलों का निपटारा करने, एसआईटी जांच की बाबत लीजबैक के 533 प्रकरण एवं बादलपुर के 208 प्रकरणों में मांगी गई रिपोर्ट की शासन से स्वीकृति लेना, किसानों के 6 एवं 8त्न के बजाय 10 परसेंट के भूखंड आवंटित करने, किसान कोटा खत्म न करने और भूमि अधिग्रहण में नए भूमि अधिग्रहण बिल को लागू करने जैसे मुद्दों पर 18 सूत्रीय मांग पत्र प्राधिकरण को सौंपा था। इन मुद्दों को लेकर किसान 14 मार्च 2023 से ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सामने धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। इनमें से 33 किसानों को जेल भेज दिया गया और बहुत बड़ी तादाद में अन्य किसानों को शांति भंग करने की धारा में नोटिस भेजे जा रहे हैं। किसानों को जेल भेजने और ग्रामीणों को शांति भंग का नोटिस जारी करने से शांति प्रिय व मनपसंद लोग भले ही धरना प्रदर्शन करने से हिचक रहे हैं लेकिन लगभग 2 महीने से चल रहे धरने के बाद भी समाधान नहीं निकलने से ग्रामीणों में बेइंतहा रोष है।

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