83 शिक्षकों ने सीखी विशेष तकनीक, दिव्यांग बच्चों को मिलेगा समावेशी शिक्षा का लाभ
Greater Noida, Raftar Today। शिक्षा केवल पुस्तकों तक सीमित नहीं होती, बल्कि यह सभी के लिए एक समान अवसर और समावेशन का माध्यम भी है। इसी उद्देश्य को पूरा करने के लिए गौतमबुद्ध नगर जिले के दनकौर विकास क्षेत्र स्थित कंपोजिट विद्यालय लुक्सर में 10 दिवसीय नोडल शिक्षक प्रशिक्षण का आयोजन किया गया।
📌 दो चरणों में हुआ समावेशी शिक्षा प्रशिक्षण
माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार इस प्रशिक्षण का आयोजन खंड शिक्षा अधिकारी प्रवीण अग्रवाल के निर्देशानुसार किया गया। यह दो चरणों में आयोजित हुआ, जहां हर चरण में 5-5 दिनों की कार्यशाला आयोजित की गई। इस कार्यक्रम में 83 नोडल शिक्षकों ने भाग लिया और दिव्यांग बच्चों की समावेशी शिक्षा को प्रभावी बनाने के लिए आवश्यक कौशल सीखे।
इस विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम में होम बेस्ड एजुकेशन, टीचिंग टेक्निक, कक्षा प्रबंधन, टीचिंग-लर्निंग मटेरियल (TLM) का उपयोग जैसी प्रमुख विषयवस्तुओं पर फोकस किया गया।
🎯 दिव्यांग बच्चों की शिक्षा के लिए प्रशिक्षित हुए शिक्षक
इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य दिव्यांग बच्चों के लिए प्रभावी शिक्षण तकनीकों को बढ़ावा देना था, ताकि वे सामान्य शिक्षा प्रणाली के साथ आसानी से तालमेल बिठा सकें।
इस प्रशिक्षण में शिक्षकों को यह सिखाया गया कि विशेष जरूरतों वाले बच्चों को किस प्रकार प्रभावी रूप से शिक्षित किया जाए और उन्हें मुख्यधारा की शिक्षा प्रणाली में जोड़ा जाए। समावेशी शिक्षा का लक्ष्य यही है कि प्रत्येक बच्चा, चाहे वह शारीरिक, मानसिक, सामाजिक या किसी अन्य रूप में विशेष जरूरत वाला हो, उसे गुणवत्तापूर्ण और समान शिक्षा मिले।
👩🏫 विशेष शिक्षकों द्वारा दी गई ट्रेनिंग
इस प्रशिक्षण के मुख्य संदर्भदाता वर्तिका शुक्ला और अनिल कुमार (स्पेशल एजुकेटर) रहे। उन्होंने शिक्षकों को दिव्यांग बच्चों को पढ़ाने की विशेष तकनीक, उनकी व्यक्तिगत जरूरतों को समझने की रणनीति, मनोवैज्ञानिक पहलू और कक्षा प्रबंधन तकनीक के बारे में विस्तार से बताया।
📝 प्रशिक्षण में शामिल हुए शिक्षक
इस विशेष कार्यक्रम में जिलेभर से आए 83 शिक्षकों ने भाग लिया। इनमें से प्रमुख शिक्षक थे—
✔️ प्रवीण शर्मा
✔️ बृजेशपाल
✔️ संतोष नागर
✔️ बलेराम नागर
✔️ सतीश पीलवान
✔️ अरविंद शर्मा
✔️ निरंजन नागर
✔️ सरिता यादव
✔️ माला बजाज
✔️ लता वर्मा
✔️ कमलेश यादव
✔️ शालिनी गुप्ता
✔️ दीप्ति यादव
✔️ ममता राजपूत
✔️ नवनीत तिवारी
✔️ शौकत अली
✔️ गजराज रावत
✔️ अजीत नागर
✔️ अनिल कुमार
…सहित जिले के कई अनुभवी शिक्षकों ने इस प्रशिक्षण में भाग लिया।
📌 दिव्यांग बच्चों के लिए कैसे होगा लाभकारी?
✅ समावेशी शिक्षा को बढ़ावा – यह सुनिश्चित किया गया कि नोडल शिक्षक दिव्यांग बच्चों को एक सामान्य वातावरण में पढ़ाने के लिए पूरी तरह से तैयार हों।
✅ विशेष शिक्षण तकनीकों का विकास – शिक्षकों को व्यक्तिगत रूप से प्रत्येक बच्चे की जरूरतों को समझने और उनके अनुसार पढ़ाने के कौशल सिखाए गए।
✅ टीचिंग-लर्निंग मटेरियल (TLM) का बेहतर उपयोग – इससे बच्चों को अधिक रोचक और प्रभावी ढंग से सिखाया जा सकेगा।
✅ होम बेस्ड एजुकेशन – उन बच्चों के लिए विशेष रणनीति बनाई गई, जो नियमित रूप से स्कूल नहीं आ सकते।
💡 समावेशी शिक्षा: समाज में बदलाव लाने की पहल
विशेषज्ञों का कहना है कि समावेशी शिक्षा केवल शिक्षा की पहुंच तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समाज में समानता और समावेशन को बढ़ावा देने का एक महत्वपूर्ण साधन भी है। अगर सभी शिक्षक दिव्यांग छात्रों की जरूरतों को समझें और उन्हें विशेष सहायता प्रदान करें, तो समाज में एक नए प्रकार की समानता और आत्मनिर्भरता उत्पन्न होगी।
📢 शिक्षकों ने क्या कहा?
इस प्रशिक्षण में शामिल एक शिक्षक अरविंद शर्मा ने कहा—
“यह प्रशिक्षण बहुत उपयोगी रहा। अब हमें दिव्यांग बच्चों को शिक्षित करने के नए तरीके सीखने को मिले, जो पहले हमें नहीं पता थे। हम इन्हें अपने स्कूल में लागू करेंगे।”
वहीं, शिक्षिका सरिता यादव ने कहा—
“हमारे समाज में दिव्यांग बच्चों को कई बार नजरअंदाज कर दिया जाता है, लेकिन यह प्रशिक्षण हमें यह समझाता है कि उनकी शिक्षा भी उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी किसी अन्य छात्र की। अब हमें पता है कि उन्हें कैसे बेहतर तरीके से पढ़ाया जाए।”
📢 प्रशासन की क्या है योजना?
खंड शिक्षा अधिकारी प्रवीण अग्रवाल ने कहा—
“समावेशी शिक्षा को बढ़ावा देना हमारी प्राथमिकता है। यह प्रशिक्षण शिक्षकों को नई तकनीकें सीखने और उन्हें कक्षा में लागू करने का एक बेहतरीन अवसर देता है। भविष्य में भी इस तरह के और प्रशिक्षण आयोजित किए जाएंगे, ताकि सभी शिक्षकों को दिव्यांग छात्रों की जरूरतों के प्रति संवेदनशील बनाया जा सके।”
🌟 निष्कर्ष: शिक्षा का नया अध्याय
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम ने शिक्षा में समानता और समावेशन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। यह प्रशिक्षण दिव्यांग बच्चों के लिए शिक्षकों की समझ और दक्षता को बढ़ाने में मदद करेगा, जिससे उन्हें एक बेहतर और समान अवसर मिल सकेगा।
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