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Sharda University News : शारदा विश्वविद्यालय में विज्ञान, आध्यात्मिकता और स्वास्थ्य पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का समापन

ग्रेटर नोएडा, रफ़्तार टुडे। ग्रेटर नोएडा स्थित शारदा विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ ह्यूमैनिटीज एंड सोशल साइंसेज और भारतीय संस्कृति वैश्विक केंद्र (BSVK) द्वारा आयोजित तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का सफल समापन हो गया। इस सम्मेलन में आठ देशों से 750 से अधिक विद्वानों, चिकित्सकों और शोधकर्ताओं ने भाग लिया, और 400 से अधिक शोध पत्र प्रस्तुत किए गए।

सम्मेलन के दौरान विभिन्न तकनीकी सत्रों में उत्कृष्ट शोध प्रस्तुत करने वाले प्रतिभागियों को सर्वश्रेष्ठ पेपर प्रस्तुतकर्ता पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इस मौके पर सेंट्रल इंस्टीट्यूट फॉर बौद्ध स्टडीज, लद्दाख के वीसी राजेश रंजन, प्रो. नलिनी के. शास्त्री और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव दीपक सिंघल सहित कई गणमान्य अतिथियों ने अपने विचार व्यक्त किए।

सम्मेलन के प्रमुख विचार

मुख्य अतिथि बी. आर. शंकरानंद, संयुक्त संगठन सचिव, भारतीय शिक्षण मंडल, ने कहा कि भारत को केवल विश्व में अपनी पहचान बनाए रखने तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि ज्ञान और मार्गदर्शन के शिखर तक पहुंचने का लक्ष्य रखना चाहिए। उन्होंने कहा,
“विचार ही दुनिया पर शासन करते हैं। भारत का विचार विश्व शांति के लिए अनिवार्य है। यदि हम इस दृष्टिकोण को अपनाएं, तो वैश्विक समस्याओं का समाधान भारतीय दृष्टिकोण से हो सकता है।”

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शारदा यूनिवर्सिटी की वॉइस चेंजर Y K gupta

वैज्ञानिक प्रमाणों के हवाले से उन्होंने बताया कि जो लोग नियमित रूप से आध्यात्मिक गतिविधियों में भाग लेते हैं, वे अधिक स्वस्थ होते हैं और उनमें बेहतर उपचार क्षमताएं होती हैं

बुद्ध की शिक्षाओं पर चर्चा

राजेश रंजन, वीसी, सेंट्रल इंस्टीट्यूट फॉर बौद्ध स्टडीज, लद्दाख, ने कहा कि भगवान बुद्ध ने अपने शिष्यों को सिखाया था कि संतोष और सरलता ही जीवन का मूल मंत्र है। उन्होंने कहा कि,
“बौद्ध धर्म का सार अच्छे कर्मों में निहित है। बौद्ध वस्त्र ‘चिवारा’ एक तपस्वी जीवनशैली का प्रतीक है, जो त्याग और अनुशासन का संदेश देता है।”

विज्ञान, आध्यात्मिकता और स्वास्थ्य का संबंध

शारदा विश्वविद्यालय के प्रो-चांसलर वाई. के. गुप्ता ने कहा कि विज्ञान, आध्यात्मिकता और स्वास्थ्य आपस में गहराई से जुड़े हुए हैं।
“आध्यात्मिकता से जुड़ी गतिविधियां शांति और मानसिक संतुलन प्रदान करती हैं, जिससे व्यक्ति का शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होता है। हमारा लक्ष्य है कि छात्र इस विषय पर गहराई से अध्ययन करें और भारत की संस्कृति को वैश्विक स्तर पर प्रचारित करें।”

सम्मेलन के समापन सत्र में स्कूल ऑफ ह्यूमैनिटीज एंड सोशल साइंसेज की डीन डॉ. अन्विति गुप्त, एसोसिएट डीन हरिओम शर्मा सहित अन्य शिक्षाविदों ने भी अपने विचार साझा किए और सभी प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया।

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