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Good News : गाँव की गली से ज्ञान की गंगा तक, कुलीपुरा में ग्रामीणों के सहयोग से पुस्तकालय का उद्घाटन, शिक्षा और सेवा के अद्भुत संगम की मिसाल बनी यह पहल

रफ़्तार टुडे | जेवर (गौतमबुद्ध नगर)।
कहते हैं जहां पुस्तकें होती हैं, वहां समाज का भविष्य लिखा जाता है। इसी बात को चरितार्थ करते हुए जेवर क्षेत्र के कुलीपुरा गांव में एक ऐतिहासिक कदम उठाया गया, जब गाँववासियों ने मिलकर एक अत्याधुनिक पुस्तकालय की स्थापना कर दी। शिक्षा को गांव के आँगन तक लाने की इस मुहिम ने सिर्फ कुलीपुरा को ही नहीं, पूरे क्षेत्र को गौरवान्वित कर दिया।


गांव की सोच बदली, अब हाथ में हल के साथ होगी किताबें भी

कुलीपुरा गांव में इस पुस्तकालय की स्थापना सिर्फ एक इमारत का निर्माण नहीं, बल्कि एक विचारधारा का प्रसार है – “शिक्षा सबके लिए।” ग्रामीणों की सामूहिक मेहनत, उनके त्याग, योगदान और दृढ़ निश्चय का परिणाम है यह पुस्तकालय। इसका उद्घाटन ब्लॉक प्रमुख माननीय विपिन भाटी (घंघोला) तथा पर्यावरण योद्धा पौंड मैन ऑफ इंडिया रामवीर तंवर के कर-कमलों द्वारा फीता काटकर बड़े ही सम्मान के साथ किया गया।


समाज के सम्मानित चेहरे भी बने साक्षी

इस ऐतिहासिक अवसर पर कुलीपुरा की धरती कई वरिष्ठ और सम्माननीय व्यक्तियों की उपस्थिति से धन्य हुई। समारोह में मुख्य रूप से श्योराज राज सिंह, भभूति सिंह, हातम सिंह, नरेंद्र सिंह, बिजेंद्र सिंह ठेकेदार, सुबोध भाटी, पवन भाटी जैसे क्षेत्रीय प्रभावशाली व्यक्तियों की गरिमामयी उपस्थिति रही। सभी अतिथियों का स्वागत गाँववासियों ने परंपरागत रीति-रिवाज से, फूल-मालाओं और बुके से किया।


शब्दों में संवेदना, मंच पर सेवा भावना

कार्यक्रम का संचालन अत्यंत विनम्रता और शालीनता के साथ मास्टर मेघराज भाटी ने किया, जिन्होंने सभी वक्ताओं और अतिथियों को मंच पर आमंत्रित करते हुए गांव के इस सपने के पीछे की प्रेरणा और संघर्ष को उजागर किया।

ब्लॉक प्रमुख विपिन भाटी ने अपने ओजस्वी संबोधन में कहा, “शिक्षा वह ताकत है जो किसी भी समाज को दिशा देती है। गांव के युवाओं को चाहिए कि अच्छी शिक्षा प्राप्त करके अपने गाँव की सेवा करें।” इसके साथ उन्होंने पुस्तकालय के लिए ₹51,000 की राशि देने की घोषणा की और यह भी कहा कि आगे भी हर संभव सहयोग करते रहेंगे।


रामवीर तंवर ने शिक्षा और तकनीक को एक साथ जोड़ने की पहल की

“पौंड मैन ऑफ इंडिया” के नाम से देशभर में विख्यात पर्यावरण प्रेमी रामवीर तंवर ने इस मौके पर कहा, “शिक्षा को अगर तकनीक से जोड़ दिया जाए, तो गांवों में भी बड़े बदलाव संभव हैं।” उन्होंने पुस्तकालय को 65 इंच का स्मार्ट बोर्ड, लैपटॉप और अन्य आवश्यक डिजिटल संसाधनों की घोषणा करते हुए एक बार फिर साबित कर दिया कि बदलाव के लिए सिर्फ बड़े शहर जरूरी नहीं, बड़े विचार जरूरी हैं।


बिजेंद्र भाटी और डॉ. संजीव सिंह ने भी की दिल खोल कर मदद

बिजेंद्र भाटी ठेकेदार ने भी ₹51,000 रुपये की आर्थिक सहायता देने का वादा किया और कहा कि यह पुस्तकालय आने वाले समय में गांव के बच्चों के जीवन में बदलाव लाने वाला केंद्र बनेगा।

वहीं, डॉ. संजीव सिंह ठाकुर ने पुस्तकालय में वाटर कूलर, वाई-फाई और एक साल की इंटरनेट सेवा उपलब्ध कराने की घोषणा करते हुए कहा कि गांव के युवाओं को अब शिक्षा के लिए दूर जाने की ज़रूरत नहीं, बल्कि सुविधा उनके द्वार तक पहुंच चुकी है।


गांव के बुजुर्ग मास्टर नत्थे राम ने बताया प्रेरणा का स्रोत

गांव के वरिष्ठ शिक्षक मास्टर नत्थे राम ने बताया कि पुस्तकालय की प्रेरणा उन्हें घंघोला गांव की लाइब्रेरी से मिली। उन्होंने कहा कि “जब हमने देखा कि वहां शिक्षा का माहौल कितना सशक्त हो गया है, तो हमने निश्चय किया कि कुलीपुरा में भी ऐसा ही एक मंदिर स्थापित करेंगे, जहां किताबें भगवान हों और बच्चे उनके भक्त।” उन्होंने यह भी बताया कि पुस्तकालय का निर्माण सभी ग्रामवासियों के सामूहिक प्रयास से हुआ और अभी भी कुछ कार्य शेष हैं जिन्हें जल्द ही पूरा कर लिया जाएगा।


हर घर से एक कदम, हर दिल से एक संकल्प

पुस्तकालय के निर्माण में जिन लोगों ने तन-मन-धन से योगदान दिया, उनमें अजीपाल प्रधान, जयचंद, रणवीर सिंह, हरि सिंह, राजेंद्र सिंह, जसबीर सिंह, अशोक कुमार, सुबोध भाटी, नरेंद्र भाटी, गुड्डू भाटी, विपिन भाटी, अंकुश भाटी, सचिन भाटी, गजन भाटी, श्रीपाल, हरेंद्र शर्मा, तेज सिंह मास्टर समेत कई अन्य ग्रामवासी शामिल रहे।


यह सिर्फ एक पुस्तकालय नहीं, यह भविष्य की नींव है

इस पुस्तकालय में बच्चों के लिए पाठ्यपुस्तकों से लेकर सामान्य ज्ञान, प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी की किताबें, इंटरनेट सुविधाएं और डिजिटल बोर्ड तक की व्यवस्था की जा रही है। इसके माध्यम से न सिर्फ गांव के बच्चे बल्कि युवा, महिलाएं और बुजुर्ग भी ज्ञान के सागर में गोता लगा सकेंगे। यह गांव को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक ठोस कदम है।


रफ़्तार टुडे की विशेष अपील

देश में ऐसे कई गांव हैं जहां शिक्षा की लौ बुझ चुकी है। कुलीपुरा गांव ने जो मिसाल पेश की है, वह अन्य गांवों के लिए प्रेरणास्रोत बन सकता है। रफ़्तार टुडे उन सभी ग्रामीणों, अतिथियों और दानदाताओं को हृदय से नमन करता है, जिन्होंने ज्ञान की इस क्रांति को साकार किया।


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