Breaking News : "मिशन कर्मयोगी" के मंच से गूंजा तकनीक और संकल्प का मंत्र, ग्रेटर नोएडा में परिवहन आयुक्त बी.एन. सिंह ने दिखाई सड़क सुरक्षा में भविष्य की नई राह, हजारों ने लिया सुरक्षित यातायात का संकल्प

ग्रेटर नोएडा, रफ्तार टुडे।
उत्तर प्रदेश में सड़क सुरक्षा के क्षेत्र में क्रांति लाने और तकनीकी नवाचारों को जन आंदोलन में बदलने की दिशा में शनिवार को एक ऐतिहासिक पहल देखने को मिली। ग्रेटर नोएडा के गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय में “मिशन कर्मयोगी एवं सड़क सुरक्षा” विषय पर आयोजित एक भव्य कार्यशाला ने पूरे परिवहन तंत्र को झकझोर दिया।
कार्यशाला का नेतृत्व प्रदेश के जुझारू परिवहन आयुक्त बी.एन. सिंह ने किया, जिन्होंने न सिर्फ तकनीक की ताकत को रेखांकित किया, बल्कि सड़क सुरक्षा को उत्तर प्रदेश में एक जन चेतना का स्वरूप देने का आह्वान भी किया। इस कार्यक्रम में एक हजार से अधिक प्रतिभागियों — जिसमें परिवहन अधिकारी, यातायात पुलिसकर्मी, सड़क सुरक्षा विशेषज्ञ, शैक्षणिक संस्थानों के प्रतिनिधि और विद्यार्थी शामिल रहे — ने पूरे जोश और प्रतिबद्धता के साथ भाग लिया।
सड़क सुरक्षा की नई परिभाषा: तकनीक, अनुशासन और जनभागीदारी
परिवहन आयुक्त बी.एन. सिंह ने उद्घाटन भाषण में स्पष्ट किया कि सड़क सुरक्षा केवल चालान काटने या हेलमेट चेकिंग तक सीमित नहीं रह सकती। उन्होंने कहा,
“हमें सड़क सुरक्षा को तकनीकी नवाचार, शिक्षा, और सामाजिक सहभागिता का समन्वय बनाना होगा। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), इंटेलिजेंट ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम (ITMS), और सेंसर तकनीक आज सड़क सुरक्षा की रीढ़ बन सकते हैं।“
उन्होंने बताया कि भविष्य में एआई आधारित ट्रैफिक कैमरे, सेंसर आधारित वाहन निगरानी और ऑटोमेटेड चालान व्यवस्था से सड़कों पर अनुशासन अपने आप सख्त होगा। इससे न सिर्फ दुर्घटनाओं में कमी आएगी, बल्कि कानून का सम्मान भी बढ़ेगा।
IDTR और ATS से बदलेंगे ड्राइविंग के मानक
कार्यशाला में सड़क सुरक्षा से जुड़े ढांचागत सुधारों पर भी व्यापक चर्चा हुई।
IDTR (इंस्टीट्यूट ऑफ ड्राइविंग ट्रेनिंग एंड रिसर्च) और ATS (ऑटोमेटेड टेस्टिंग स्टेशन) जैसी पहलों के माध्यम से ड्राइवरों की गुणवत्ता में सुधार लाने की योजनाएं साझा की गईं।
बी.एन. सिंह ने बताया कि रायबरेली स्थित IDTR को एक सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाया जा रहा है, जहां विश्व स्तरीय ड्राइविंग प्रशिक्षण दिया जाएगा।
इसके साथ ही गौतमबुद्ध नगर में भी एक नया आधुनिक ड्राइविंग प्रशिक्षण केंद्र खोलने की योजना है।
उन्होंने कहा कि सभी जिला मुख्यालयों पर ATS स्थापित कर वाहन फिटनेस परीक्षण प्रक्रिया को पारदर्शी और तकनीकी आधारित बनाया जाएगा, ताकि भ्रष्टाचार और लापरवाही पर पूर्ण विराम लगाया जा सके।
बच्चों से बनेगी सुरक्षित यातायात की संस्कृति: नोडल टीचर्स का बड़ा रोल
कार्यशाला में अपर मुख्य सचिव एल. वेंकटेश्वर लू ने कहा कि अगर सड़क सुरक्षा के संस्कार बचपन से दिए जाएं तो दुर्घटनाओं की रोकथाम का सबसे मजबूत आधार तैयार किया जा सकता है।
उन्होंने कहा,
“हर स्कूल में सड़क सुरक्षा नोडल शिक्षक नियुक्त किए जाएंगे, जो बच्चों को सड़क नियमों के महत्व से परिचित कराएंगे। बच्चे ही भविष्य में जिम्मेदार नागरिक बनेंगे और अपने परिवार तथा समाज में भी जागरूकता फैलाएंगे।“
यह कदम स्कूली शिक्षा को सड़क सुरक्षा से जोड़ने की दिशा में एक क्रांतिकारी पहल मानी जा रही है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सर्वोच्च प्राथमिकता: सड़क सुरक्षा
कार्यशाला के विशेष सत्र में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सलाहकार अवनीश अवस्थी ने कार्यशाला को संबोधित किया।
उन्होंने जोर देकर कहा कि मुख्यमंत्री सड़क सुरक्षा को प्रदेश की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में रखते हैं।
अवस्थी ने कहा,
“उत्तर प्रदेश सरकार का लक्ष्य न सिर्फ सड़क दुर्घटनाओं की संख्या कम करना है, बल्कि जनता के व्यवहार में ऐसा बदलाव लाना है कि यातायात नियमों का पालन एक आदत बन जाए।“
उन्होंने बताया कि राज्य में सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने के लिए तकनीकी पहल के साथ-साथ बड़े पैमाने पर जनजागरूकता अभियान भी शुरू किए जा रहे हैं।
तकनीक + संकल्प = सुरक्षित उत्तर प्रदेश
बी.एन. सिंह ने कहा कि यदि हम तकनीक का सही तरीके से उपयोग करें और समाज में जागरूकता फैलाएं तो उत्तर प्रदेश को सड़क सुरक्षा के क्षेत्र में देश का अग्रणी राज्य बनाया जा सकता है।
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि एआई आधारित निगरानी तंत्र लागू करने से ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन को तुरंत रोका जा सकता है, साथ ही प्रवर्तन प्रक्रिया निष्पक्ष और तेज होगी।
कार्यशाला में कई तकनीकी प्रस्तुतियां भी दी गईं, जिसमें स्मार्ट ट्रैफिक सिग्नल्स, ऑटोमेटेड चालान प्रणाली, और AI आधारित रूट मॉनिटरिंग सिस्टम के बारे में जानकारी साझा की गई।
संकल्प का शंखनाद: ‘सड़क सुरक्षा मेरा दायित्व’
कार्यशाला के समापन सत्र में बी.एन. सिंह ने सभी प्रतिभागियों से संकल्प लिया कि वे व्यक्तिगत और सामाजिक दोनों स्तरों पर सड़क सुरक्षा को बढ़ावा देंगे।
सभी उपस्थितों ने एक स्वर में संकल्प लिया:
“हम यातायात नियमों का पालन करेंगे, दूसरों को प्रेरित करेंगे, तकनीक का सहयोग करेंगे और उत्तर प्रदेश को सड़क दुर्घटनाओं से मुक्त बनाने में अपना योगदान देंगे।“
इस ऐतिहासिक संकल्प के साथ कार्यशाला का समापन हुआ, लेकिन यह संकल्प केवल शब्दों तक सीमित नहीं रहा — उपस्थित प्रत्येक प्रतिभागी के हृदय में ‘सुरक्षित सड़क, सुरक्षित जीवन’ का बीज बो दिया गया।
निष्कर्ष: ग्रेटर नोएडा से उठी एक नई शुरुआत
ग्रेटर नोएडा की इस कार्यशाला ने यह साबित कर दिया कि यदि सरकार, प्रशासन और समाज मिलकर काम करें, तो सड़क सुरक्षा जैसे जटिल विषय को भी एक जन आंदोलन में बदला जा सकता है।
“मिशन कर्मयोगी” के इस प्रेरणादायक आयोजन ने साबित कर दिया कि सुरक्षित उत्तर प्रदेश का सपना अब दूर नहीं है — बस जरूरत है तकनीक और संकल्प के इस संगम को निरंतर बनाए रखने की।
हैशटैग्स
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