Galgotia University News : "गलगोटियाज़ विश्वविद्यालय में विधि का महासंगम, सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस राजेश बिंदल ने युवाओं को एक्टिव लिसनिंग और नैतिक मूल्यों का मंत्र दिया", विश्वविद्यालय कुलाधिपति सुनील गलगोटिया ने दी 'सत्य और नैतिकता' की सीख
गलगोटियाज़ विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्री सुनील गलगोटिया ने भी अपने प्रेरक शब्दों से विद्यार्थियों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि कानून केवल दलीलों का खेल नहीं है, बल्कि यह नैतिकता, सच्चाई और इंसाफ का प्रतिनिधित्व करता है।

ग्रेटर नोएडा, रफ्तार टुडे।
विधि शिक्षा और वैश्विक कानूनी दृष्टिकोण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से गलगोटियाज़ विश्वविद्यालय ने एक ऐतिहासिक आयोजन का सफलतापूर्वक समापन किया। स्कूल ऑफ लॉ, गलगोटियाज़ विश्वविद्यालय ने ऑस्ट्रेलिया के एडिथ कोवान विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ बिजनेस एंड लॉ के सहयोग से “श्रीमती शकुंतला देवी द्वितीय अंतरराष्ट्रीय मूट कोर्ट प्रतियोगिता 2025” का भव्य आयोजन किया। यह तीन दिवसीय विधिक महाकुंभ 24 अप्रैल से 26 अप्रैल 2025 तक विश्वविद्यालय परिसर में चला, जिसमें देश-विदेश से आए विधि छात्र-छात्राओं ने अपनी प्रतिभा का अद्भुत प्रदर्शन किया।
जस्टिस राजेश बिंदल ने दिया ‘एक्टिव लिसनिंग’ का मंत्र
समापन समारोह 26 अप्रैल को अत्यंत गरिमामय वातावरण में आयोजित हुआ, जिसमें भारत के सर्वोच्च न्यायालय के माननीय न्यायमूर्ति श्री राजेश बिंदल मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। अपने संबोधन में जस्टिस बिंदल ने “सक्रिय सुनने” (Active Listening) के महत्व पर बल दिया। उन्होंने कहा कि एक सफल वकील या न्यायाधीश वही बन सकता है, जो हर तथ्य को ध्यान से सुनता और समझता है। उन्होंने छात्रों को सतर्क रहकर सुनने, सोचने और तार्किक विश्लेषण विकसित करने की प्रेरणा दी।
न्यायमूर्ति बिंदल ने वर्तमान डिजिटल युग में युवाओं के बढ़ते “अवधान की कमी” (Attention Deficit) पर चिंता व्यक्त करते हुए विद्यार्थियों को तकनीक के विवेकपूर्ण उपयोग की सलाह दी। उन्होंने कहा कि केवल सोशल मीडिया स्क्रॉल करने से ज्ञान नहीं बढ़ता, बल्कि गहन अध्ययन और ठोस वैचारिक सोच से ही भविष्य निर्मित होता है।
न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी ने शेयर किए अपने छात्र जीवन के अनुभव
कार्यक्रम में इलाहाबाद उच्च न्यायालय, लखनऊ पीठ के माननीय न्यायमूर्ति श्री सुभाष विद्यार्थी ने भी अपनी उपस्थिति से समारोह को गौरवान्वित किया। उन्होंने छात्रों से अपने संघर्षों और अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि मूट कोर्ट प्रतियोगिताओं में असली जीत ट्रॉफी नहीं, बल्कि जो सीख और अनुभव मिलता है, वही भविष्य में काम आता है।
न्यायमूर्ति विद्यार्थी ने छात्रों को असफलताओं से घबराने के बजाय उन्हें सीखने का साधन बनाने का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि वास्तविक जीवन में कानूनी संघर्ष केवल कोर्ट रूम तक सीमित नहीं होता, बल्कि हर दिन का अनुभव एक नई सीख लेकर आता है।

विश्वविद्यालय कुलाधिपति सुनील गलगोटिया ने दी ‘सत्य और नैतिकता’ की सीख
गलगोटियाज़ विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्री सुनील गलगोटिया ने भी अपने प्रेरक शब्दों से विद्यार्थियों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि कानून केवल दलीलों का खेल नहीं है, बल्कि यह नैतिकता, सच्चाई और इंसाफ का प्रतिनिधित्व करता है।
उन्होंने विद्यार्थियों को सलाह दी कि चाहे कैसी भी परिस्थिति हो, हमेशा सत्य के पक्ष में खड़े रहें। उन्होंने कहा, “एक अच्छा वकील वही है, जो न केवल अपने मुवक्किल के लिए बल्कि समाज के लिए भी न्याय सुनिश्चित करने का प्रयास करे।”
CEO डॉ. ध्रुव गलगोटिया ने दिया ‘थ्योरी और प्रैक्टिकल’ के संतुलन का संदेश
गलगोटियाज़ विश्वविद्यालय के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. ध्रुव गलगोटिया ने विद्यार्थियों को “थ्योरी और प्रैक्टिकल ज्ञान” के बीच संतुलन बनाए रखने की सलाह दी। उन्होंने जोर दिया कि केवल किताबी ज्ञान से सफल कानूनी पेशेवर नहीं बना जा सकता; व्यावहारिक अनुभव भी उतना ही जरूरी है।
डॉ. ध्रुव ने छात्रों से तकनीक का सही और सकारात्मक उपयोग करने का आह्वान करते हुए कहा कि तकनीक आज हमारे काम को आसान बना रही है, लेकिन इसके साथ सही दिशा में निरंतर प्रयास भी जरूरी है।
डायरेक्टर डॉ. अराधना गलगोटिया ने वैश्विक सोच को बताया जरूरी
गलगोटियाज़ विश्वविद्यालय की डायरेक्टर, डॉ. अराधना गलगोटिया ने तुलनात्मक विधि (Comparative Law) के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इस तरह के अंतरराष्ट्रीय मंच छात्रों को वैश्विक दृष्टिकोण अपनाने और विभिन्न कानूनी प्रणालियों को समझने में सहायक होते हैं।
उन्होंने कहा, “आज का युग वैश्वीकरण का है। एक वकील को केवल अपने देश के कानूनों तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य को भी समझना चाहिए।” उन्होंने इस बात पर गर्व व्यक्त किया कि गलगोटियाज़ विश्वविद्यालय के छात्र विश्वस्तरीय कानूनी सोच विकसित कर रहे हैं।
जस्टिस जे.आर. मिड्ढा ने संवाद कौशल और क्रिटिकल थिंकिंग पर दिया जोर
दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश माननीय श्री जे. आर. मिड्ढा ने समारोह में उपस्थित छात्रों को सफल विधिक करियर के लिए संवाद कौशल (Communication Skills) और समालोचनात्मक चिंतन (Critical Thinking) के महत्व पर प्रकाश डाला।
उन्होंने कहा कि “सोचने की गहराई और बोलने की स्पष्टता” किसी भी विधिक पेशेवर की सबसे बड़ी ताकत होती है। न्यायमूर्ति मिड्ढा ने गलगोटियाज़ विश्वविद्यालय द्वारा उच्च अंतरराष्ट्रीय मानकों पर आयोजित इस प्रतियोगिता की भी भूरी-भूरी प्रशंसा की।
अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में हुआ ज्ञान का संगम
श्रीमती शकुंतला देवी द्वितीय अंतरराष्ट्रीय मूट कोर्ट प्रतियोगिता 2025 के साथ ही विश्वविद्यालय ने एक भव्य “अंतरराष्ट्रीय तुलनात्मक विधि सम्मेलन” का आयोजन भी किया। इस सम्मेलन में देश-विदेश के विद्वानों द्वारा 400 से अधिक शोध पत्र प्रस्तुत किए गए।
इनमें से 200 बेहतरीन शोध पत्रों को बारह समानांतर तकनीकी सत्रों में प्रस्तुत किया गया, जहां विधिक विशेषज्ञों और छात्रों के बीच विचारों का शानदार आदान-प्रदान हुआ। इस सम्मेलन ने छात्रों को नवीनतम कानूनी शोध पद्धतियों और वैश्विक विषयों पर गहरी समझ विकसित करने का अवसर प्रदान किया।
प्रतियोगिता में 38 राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय टीमों ने दिखाया दमखम
इस प्रतिष्ठित मूट कोर्ट प्रतियोगिता में देश और विदेश की 38 प्रमुख टीमों ने भाग लिया। तीन दिनों तक चली बहसों में प्रतिभागियों ने केस लॉ, तर्कशक्ति और प्रस्तुतीकरण कला में अपनी श्रेष्ठता का परिचय दिया।
प्रत्येक बहस में छात्रों की तैयारी, तथ्यगत पकड़ और कानूनी विश्लेषण ने निर्णायक मंडल को गहराई से प्रभावित किया। आयोजकों ने कहा कि इस तरह की प्रतियोगिताएं न केवल छात्रों में आत्मविश्वास बढ़ाती हैं, बल्कि उन्हें वास्तविक जीवन में भी कानूनी चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करती हैं।
निष्कर्ष : विधि शिक्षा में एक नई मिसाल
गलगोटियाज़ विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित यह द्वितीय अंतरराष्ट्रीय मूट कोर्ट प्रतियोगिता केवल एक विधिक प्रतियोगिता नहीं थी, बल्कि एक ऐसा मंच थी जिसने छात्रों को कानूनी, बौद्धिक और नैतिक स्तर पर समृद्ध किया। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों से प्रत्यक्ष संवाद का अवसर मिलना विद्यार्थियों के लिए एक अविस्मरणीय अनुभव रहा।
यह आयोजन यह साबित करता है कि गलगोटियाज़ विश्वविद्यालय न केवल शिक्षा का केंद्र है, बल्कि भविष्य के विधिक मस्तिष्कों को गढ़ने वाली एक प्रेरणास्रोत संस्था भी है।
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