Corruption Free India News : ग्रेटर नोएडा के किसानों की पढ़ाई और इलाज पर लटका छूट का सवाल, करप्शन फ्री इंडिया संगठन ने भरी हुंकार, बोले"अब सड़कों पर होगा फैसला!", प्राइवेट स्कूलों और अस्पतालों में नहीं मिल रही वादे के मुताबिक रियायत, लीज डीड की शर्तें बन रहीं मजाक!

ग्रेटर नोएडा, रफ़्तार टुडे।
ग्रेटर नोएडा के किसानों का आक्रोश अब सड़कों पर उतरने को तैयार है। शहर की चमचमाती इमारतों और विकास के पीछे जिन किसानों की ज़मीन है, आज वही अपने बच्चों की पढ़ाई और घरवालों के इलाज के लिए संघर्ष कर रहे हैं। करप्शन फ्री इंडिया संगठन ने साफ शब्दों में कहा है— “अगर प्राधिकरण और संबंधित स्कूल व अस्पतालों ने जल्द छूट नहीं दी, तो बड़ा जनांदोलन होगा!”
सेक्टर 36 में हुई बैठक में किसानों का दर्द छलका
गुरुवार को ग्रेटर नोएडा के सेक्टर-36 स्थित सतवीर प्रधान के आवास पर करप्शन फ्री इंडिया संगठन की अहम बैठक हुई।
इस बैठक की अध्यक्षता जिला उपाध्यक्ष कुलबीर भाटी ने की, जिसमें स्थानीय किसान और संगठन के प्रमुख कार्यकर्ता बड़ी संख्या में शामिल हुए।
सभी का एक ही सुर था— “हमारी ज़मीन लेकर शहर बसाया गया, लेकिन बदले में वादे अधूरे रह गए!”
लीज डीड की शर्तें बनी ‘शोपीस’, न स्कूल मान रहे न अस्पताल
बैठक में संगठन के संस्थापक चौधरी प्रवीण भारतीय और कार्यकर्ता आलोक नागर ने बताया कि:
“ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने स्कूलों और अस्पतालों को सस्ती दरों पर ज़मीन दी थी, इस शर्त पर कि स्थानिक किसानों के बच्चों को शिक्षा में 25% छूट मिलेगी और ओपीडी में फ्री इलाज का प्रावधान होगा।”
लेकिन दुर्भाग्य यह है कि ये शर्तें आज भी सिर्फ कागज़ों पर हैं। न कोई स्कूल छूट दे रहा है, न कोई अस्पताल मुफ्त ओपीडी चला रहा है।
क्या थीं लीज डीड की शर्तें? जानिए संक्षेप में:
- शिक्षा में छूट:
- प्राधिकरण की शर्तों के मुताबिक, निजी स्कूलों को कम से कम 25% तक फीस में छूट देनी थी स्थानिक किसानों के बच्चों को।
- स्वास्थ्य सुविधा:
- निजी अस्पतालों को सुबह और शाम के दो-दो घंटे की ओपीडी स्थानीय किसानों और उनके परिवारों के लिए मुफ्त रखनी थी।
लेकिन ज़मीनी हकीकत यह है कि इन प्रावधानों का पालन लगभग शून्य है।
प्राधिकरण की चुप्पी और संस्थानों की मनमानी से नाराज़ किसान
बैठक में किसानों ने कहा कि यह सीधी धोखाधड़ी है। प्राधिकरण को चाहिए कि:
- वह लीज शर्तों के उल्लंघन पर कार्रवाई करे
- नियम न मानने वाले स्कूलों और अस्पतालों की लीज रद्द की जाए
- और इस विषय पर पब्लिक नोटिस जारी कर जवाबदेही तय की जाए
अब नहीं रुकेगा आंदोलन: करप्शन फ्री इंडिया संगठन
बैठक के अंत में चौधरी प्रवीण भारतीय ने कहा कि:
“अब यह मामला चेतावनी का नहीं, कार्यवाही का है। अगर 15 दिनों में किसानों को शिक्षा व इलाज में छूट नहीं मिली, तो ग्रेटर नोएडा की सड़कों पर बड़ा आंदोलन छेड़ा जाएगा।”
उन्होंने कहा कि यह सिर्फ ग्रेटर नोएडा की नहीं, देशभर के शहरीकरण में बलिदान देने वाले किसानों की लड़ाई है।
बैठक में शामिल प्रमुख किसान व कार्यकर्ता
इस रणनीतिक बैठक में सैकड़ों किसानों और कार्यकर्ताओं ने भाग लिया, जिनमें शामिल रहे:
- कृष्णपाल यादव, बलराज हुन, मास्टर दिनेश नागर, प्रेम प्रधान, आलोक नागर,
- कुलबीर भाटी, यतेन्द्र नागर, राकेश नागर, अनिल भाटी, नीरज भाटी,
- नरेश भाटी, राम नागर, टीटू भाटी, शशांक टाइगर, जितेन्द्र भाटी,
- लीलू चेची, नवीन, रविन्द्र, रणधीर, अमित, अजय,
- सतेंद्र चौधरी, तेजवीर चौहान, बिल्लू नागर आदि।
क्या कहता है प्राधिकरण?
अब तक इस विषय में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि जल्द ही इस विषय पर समीक्षा बैठक की जा सकती है।
जनता की मांग: पारदर्शिता और जवाबदेही
स्थानीय निवासियों और किसानों की मांग है कि:
- सभी स्कूल और अस्पताल प्राधिकरण की शर्तों को सार्वजनिक करें
- हर स्कूल/अस्पताल के बाहर बोर्ड लगाएं, जिसमें छूट की जानकारी दी जाए
- प्राधिकरण हर 6 महीने में इन शर्तों के अनुपालन की रिपोर्ट प्रकाशित करे
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