DWPS School News : “स्कूल बना पर्यावरण का स्कूल मास्टर, D.W.P.S. के छात्रों ने उठाया धरती को बचाने का जिम्मा, छोटे कदमों से बड़ा संदेश”, “बालक नहीं, पर्यावरण रक्षक बनो”
विद्यालय की प्रधानाचार्या डॉ. हीमा शर्मा ने भी बच्चों को बहुत ही सरल लेकिन प्रभावशाली संदेश दिया। उन्होंने कहा हर छोटा प्रयास, चाहे वह कागज़ की बचत हो या प्लास्टिक का परहेज — वह पृथ्वी की रक्षा की ओर एक बड़ा कदम है। आइए, हम सिर्फ 5 जून को ही नहीं, हर दिन पर्यावरण दिवस मनाएं।”

ग्रेटर नोएडा वेस्ट, रफ्तार टुडे।।
जहां एक ओर पर्यावरण संकट दिन-ब-दिन गहराता जा रहा है, वहीं दिल्ली वर्ल्ड पब्लिक स्कूल (DWPS), केपी-III, ग्रेटर नोएडा के छात्रों ने 5 जून 2025 को विश्व पर्यावरण दिवस पर ऐसा संदेश दिया, जो न केवल प्रेरणादायक था बल्कि टिकाऊ जीवनशैली की एक शिक्षाप्रद पाठशाला बन गया।
इस आयोजन में बच्चों की आंखों में भविष्य की चमक और कदमों में परिवर्तन की लय साफ नजर आई।
थीम था – ‘सतत जीवनशैली और जिम्मेदार कचरा प्रबंधन’, और इसके साथ छात्रों ने सिद्ध कर दिया कि शिक्षा सिर्फ किताबी नहीं, बल्कि क्रियात्मक और संवेदनशील भी हो सकती है।
लीडिंग बाय एक्जाम्पल’ – छात्रों और एनसीसी कैडेट्स की संयुक्त भागीदारी
कार्यक्रम में विद्यालय के एनसीसी कैडेट्स और अन्य छात्रों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।
हर गतिविधि में उनका जोश, ज्ञान और जिम्मेदारी देखते ही बनती थी।
छात्रों ने न केवल पर्यावरण को लेकर विचार साझा किए, बल्कि वास्तविक रूप से स्वच्छता और हरियाली के लिए कार्य भी किए।
पौधारोपण, पोस्टर मेकिंग, कचरा पृथक्करण का डेमो, और रिसाइक्लिंग वर्कशॉप जैसी गतिविधियों से यह दिन एक पर्यावरणीय उत्सव बन गया।
लेंडिंग हैंड्स फाउंडेशन के साथ कचरा प्रबंधन पर संवादात्मक सत्र
कार्यक्रम की विशेष बात थी – लेंडिंग हैंड्स फाउंडेशन द्वारा आयोजित संवादात्मक सत्र, जिसमें कचरा पृथक्करण, पुनःचक्रण (Recycling), और रचनात्मक पुन: उपयोग (Upcycling) पर छात्रों को जागरूक किया गया।
बच्चों ने प्लास्टिक बोतलों से पेन होल्डर बनाना सीखा, पुराने कपड़ों से टोट बैग्स तैयार किए और बायोडिग्रेडेबल वेस्ट से खाद बनाने की प्रक्रिया को समझा।
यह सत्र न केवल ज्ञानवर्धक था, बल्कि छात्रों के रचनात्मक और वैज्ञानिक सोच को भी प्रोत्साहित करने वाला साबित हुआ।
“बालक नहीं, पर्यावरण रक्षक बनो” – निदेशक कंचन कुमारी का प्रेरक संदेश
विद्यालय की निदेशक सुश्री कंचन कुमारी ने इस अवसर पर छात्रों को संबोधित करते हुए कहा:
“एक जागरूक और सशक्त बालक ही भविष्य का जिम्मेदार नागरिक बनता है।
आज हम जो सोचेंगे और करेंगे, वही कल हमारे शहर और देश का चेहरा होगा।
आइए, स्थिरता के बीज अभी से बोएं और पर्यावरण रक्षक बनने की दिशा में आगे बढ़ें।”
उनकी यह बात छात्रों के दिलों में उतर गई, और वातावरण में “हमसे ही बदलाव है” जैसी भावना गूंजने लगी।
छोटे कदम, बड़ी दिशा – प्रधानाचार्या डॉ. हीमा शर्मा की अपील
विद्यालय की प्रधानाचार्या डॉ. हीमा शर्मा ने भी बच्चों को बहुत ही सरल लेकिन प्रभावशाली संदेश दिया। उन्होंने कहा:
“हर छोटा प्रयास, चाहे वह कागज़ की बचत हो या प्लास्टिक का परहेज —
वह पृथ्वी की रक्षा की ओर एक बड़ा कदम है।
आइए, हम सिर्फ 5 जून को ही नहीं, हर दिन पर्यावरण दिवस मनाएं।”
उनकी इस बात पर पूरा स्कूल प्रांगण तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।
पौधारोपण: बच्चों के हाथों से हरियाली का वादा
कार्यक्रम का सबसे भावुक और उत्साही हिस्सा रहा – एनसीसी कैडेट्स और छात्रों द्वारा पौधारोपण।
छात्रों ने नीम, अशोक, गुड़हल, तुलसी और आम के पौधे लगाए।
हर पौधे को नाम दिया गया, और उसे ‘ग्रीन गार्डियन’ छात्र को सौंपा गया जो उसकी देखभाल करेगा।
यह एक प्रकार से छात्रों और पेड़ के बीच संवेदनात्मक जुड़ाव की शुरुआत थी।
पर्यावरण शिक्षा को दी जा रही प्राथमिकता
DWPS ने यह सुनिश्चित किया कि यह आयोजन सिर्फ एक दिन की जागरूकता तक सीमित न रहे।
विद्यालय ने घोषणा की कि अब हर महीने ‘ग्रीन एक्टिविटी वीक’ आयोजित किया जाएगा, जिसमें छात्र:
- रिसाइक्लिंग प्रोजेक्ट्स
- कंपोस्टिंग एक्सपेरिमेंट्स
- प्लास्टिक-मुक्त दिवस
- और ‘नो पेपर डे’ में भाग लेंगे।
बच्चों के विचार, बड़ों की सीख
कार्यक्रम के दौरान कक्षा 5वीं की छात्रा साक्षी सिंह ने कहा:
“मैंने सीखा कि मेरा लंच बॉक्स का प्लास्टिक रैपर भी पर्यावरण को नुकसान पहुंचा सकता है।
अब मैं हर दिन स्टील का टिफिन लेकर आऊंगी और बाकी दोस्तों को भी प्रेरित करूंगी।”
इसी तरह कक्षा 8वीं के एनसीसी कैडेट आर्यन त्यागी ने बताया:
“हम केवल ड्रिल नहीं करते, हम पर्यावरण की रक्षा के लिए भी तैयार हैं।
पौधारोपण हमारी नई परेड है।”
सिर्फ कार्यक्रम नहीं, एक नई सोच की शुरुआत
यह समारोह केवल एक आयोजन नहीं था, बल्कि एक सोच, एक दिशा और एक आंदोलन की नींव थी।
दिल्ली वर्ल्ड पब्लिक स्कूल, केपी-III, ग्रेटर नोएडा ने यह साबित कर दिया कि
“जब शिक्षा, संवेदना और क्रिया तीनों मिल जाएं – तो बदलाव अवश्य आता है।”
समाज के लिए संदेश: पृथ्वी को बचाना, अब बच्चों का खेल नहीं
इस आयोजन से एक स्पष्ट संदेश गया —
पर्यावरण संरक्षण अब सरकार, उद्योग या एनजीओ की ज़िम्मेदारी मात्र नहीं है,
बल्कि हर छात्र, हर शिक्षक, हर नागरिक की सामूहिक जिम्मेदारी है।
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