न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: Vikas Kumar
Updated Tue, 14 Dec 2021 07:16 AM IST
सार
मनवीर ने बताया कि किसानों की सेवा में लगातार जुड़े रहे। आसपास की दुकानें और ग्रामीणों के सहयोग को कभी नहीं भूल सकते हैं। पेड़ों के बड़े होने के साथ साथ आसपास की झाड़ियां भी बड़ी हो गई हैं, जिन्हें देखकर किसानों के संघर्ष की कहानी फिर ताजा हो जाती है।
किसानों द्वारा लगाए गए केले के पेड़
– फोटो : amar ujala
लंबे समय से संघर्ष में शामिल किसानों ने सिंघु-कुंडली सीमा पर हरियाली की यादें छोड़ दी है। आंदोलन के शुरू होने पर किसानों ने राष्ट्रीय राजमार्ग के पौधे लगाए थे, जिन्हें आंदोलन के जज्बे से एक साल से अधिक वक्तों तक सींचते रहे। अब पेड़ों की शक्ल में हरियाली गर्मियों में इस रास्ते से आने जाने वालों के लिए छांव का काम करेंगी। पौधे के साथ-साथ एक कुटिया भी बनाई गई है कि ताकि पैदल मुसाफिरों को कुछ पल के लिए आराम का मौका मिल सके। पंजाब के मनवीर ने बताया कि पौधे लगाने के बाद रोजाना इसमें पानी की बौछार की ताकि बढ़ने का मौका मिल सके। एक साल से अधिक वक्त बीतने के बाद अब पेड़ की शक्ल ले चुके हैं।
मनवीर ने बताया कि किसानों की सेवा में लगातार जुड़े रहे। आसपास की दुकानें और ग्रामीणों के सहयोग को कभी नहीं भूल सकते हैं। पेड़ों के बड़े होने के साथ साथ आसपास की झाड़ियां भी बड़ी हो गई हैं, जिन्हें देखकर किसानों के संघर्ष की कहानी फिर ताजा हो जाती है। इससे आसपास के ग्रामीणों को भी कभी कभार काम करने के बाद थोड़ा वक्त बिताने का मौका मिलेगा। आंदोलन के दौरान भी पंजाब और हरियाणा के किसानों के साथ असापास के गांवों के लोंगों ने सहयोग किया। इस कारण आंदोलन को आगे बढ़ाने में दिक्कत नहीं आई। खाने पीने की चीजें हो या रहने की जगह, हर सुविधा मुहैया करने में लोगों ने सहायता की।
निहंग सिखों के साथ घोड़े भी लौटने के लिए तैयार
सिंघु बॉर्डर पर मौजूद एक निहंग सिख ने बताया कि आंदोलन में किसानों की जीत मिली है। हमेशा उनके साथ रहने वाले घोड़े भी अब पंजाब लौटने की तैयारी में हैं। यहां से लौटने के लिए घोड़ों के ट्रक पर सवार होने से पहले आसपास के क्षेत्र की खुद सफाई की। इस आंदोलन के लिए पूरे जज्बे के साथ पहुंचे। पहले ही कहा था जीत के बाद ही लौटेंगे, अब पूरा करने का वक्त आ गया है।
विस्तार
लंबे समय से संघर्ष में शामिल किसानों ने सिंघु-कुंडली सीमा पर हरियाली की यादें छोड़ दी है। आंदोलन के शुरू होने पर किसानों ने राष्ट्रीय राजमार्ग के पौधे लगाए थे, जिन्हें आंदोलन के जज्बे से एक साल से अधिक वक्तों तक सींचते रहे। अब पेड़ों की शक्ल में हरियाली गर्मियों में इस रास्ते से आने जाने वालों के लिए छांव का काम करेंगी। पौधे के साथ-साथ एक कुटिया भी बनाई गई है कि ताकि पैदल मुसाफिरों को कुछ पल के लिए आराम का मौका मिल सके। पंजाब के मनवीर ने बताया कि पौधे लगाने के बाद रोजाना इसमें पानी की बौछार की ताकि बढ़ने का मौका मिल सके। एक साल से अधिक वक्त बीतने के बाद अब पेड़ की शक्ल ले चुके हैं।
मनवीर ने बताया कि किसानों की सेवा में लगातार जुड़े रहे। आसपास की दुकानें और ग्रामीणों के सहयोग को कभी नहीं भूल सकते हैं। पेड़ों के बड़े होने के साथ साथ आसपास की झाड़ियां भी बड़ी हो गई हैं, जिन्हें देखकर किसानों के संघर्ष की कहानी फिर ताजा हो जाती है। इससे आसपास के ग्रामीणों को भी कभी कभार काम करने के बाद थोड़ा वक्त बिताने का मौका मिलेगा। आंदोलन के दौरान भी पंजाब और हरियाणा के किसानों के साथ असापास के गांवों के लोंगों ने सहयोग किया। इस कारण आंदोलन को आगे बढ़ाने में दिक्कत नहीं आई। खाने पीने की चीजें हो या रहने की जगह, हर सुविधा मुहैया करने में लोगों ने सहायता की।
निहंग सिखों के साथ घोड़े भी लौटने के लिए तैयार
सिंघु बॉर्डर पर मौजूद एक निहंग सिख ने बताया कि आंदोलन में किसानों की जीत मिली है। हमेशा उनके साथ रहने वाले घोड़े भी अब पंजाब लौटने की तैयारी में हैं। यहां से लौटने के लिए घोड़ों के ट्रक पर सवार होने से पहले आसपास के क्षेत्र की खुद सफाई की। इस आंदोलन के लिए पूरे जज्बे के साथ पहुंचे। पहले ही कहा था जीत के बाद ही लौटेंगे, अब पूरा करने का वक्त आ गया है।
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