Sharda Hospital Care News : शारदा हॉस्पिटल पर किसान एकता महासंघ का बड़ा आरोप, ‘आयुष्मान कार्ड धारकों से हो रही लूट’, ज्ञापन सौंपकर दिया एक सप्ताह का अल्टीमेटम, बोले – नहीं रुका भ्रष्टाचार तो लगेगा अनिश्चितकालीन धरना, इलाज के नाम पर ‘लूटखसोट’ – 5 दिन तक बंधक बनाए जाते हैं मरीज

ग्रेटर नोएडा, रफ़्तार टुडे। ग्रेटर नोएडा के नॉलेज पार्क-III स्थित शारदा हॉस्पिटल एक बार फिर विवादों में घिर गया है।
किसान एकता महासंघ ने आरोप लगाया है कि अस्पताल में आयुष्मान कार्ड धारकों से इलाज के नाम पर सरकारी धन की खुली लूट की जा रही है। इसी को लेकर शुक्रवार को संगठन के कार्यकर्ताओं ने राष्ट्रीय संरक्षक चौधरी बाली सिंह के नेतृत्व में अस्पताल प्रशासन को महाप्रबंधक के नाम ज्ञापन सौंपा।
इलाज के नाम पर ‘लूटखसोट’ – 5 दिन तक बंधक बनाए जाते हैं मरीज
संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष रमेश कसाना ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि शारदा हॉस्पिटल में आयुष्मान कार्ड से इलाज कराने वाले गरीब मरीजों के साथ धोखा किया जा रहा है।
अस्पताल प्रशासन की मिलीभगत से अन्य राज्यों से एजेंटों द्वारा बसों में भरकर मरीजों को अस्पताल लाया जाता है, और फिर उन्हें इलाज के नाम पर 4 से 5 दिन तक अस्पताल में रोककर रखा जाता है।
कसाना ने कहा कि ऐसा दिखाया जाता है मानो मरीज का बड़ा इलाज हुआ हो, जबकि असल में केवल सामान्य जांचें की जाती हैं।
लेकिन सरकारी रिकॉर्ड में 5 लाख रुपये तक की राशि इलाज के नाम पर दिखाकर हेराफेरी की जाती है।
यह जनहित योजनाओं का खुला दुरुपयोग है, जिसमें गरीब मरीजों और सरकारी कोष – दोनों को नुकसान पहुंचाया जा रहा है।
भ्रष्टाचार पर कड़ा रुख – एक सप्ताह में सुधार नहीं हुआ तो आंदोलन तय
किसान एकता महासंघ के कार्यकर्ताओं ने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि अस्पताल प्रशासन ने एक सप्ताह के अंदर यह भ्रष्टाचार बंद नहीं किया, तो संगठन शारदा हॉस्पिटल के मुख्य द्वार पर अनिश्चितकालीन धरना-प्रदर्शन करेगा।
संगठन का कहना है कि वे अस्पताल के अंदर हो रही गतिविधियों की विस्तृत जांच केंद्रीय एजेंसी से कराने की मांग भी करेंगे।
ज्ञापन के दौरान महासंघ के सदस्यों ने कहा कि अगर गरीबों के इलाज के नाम पर सरकारी धन की बंदरबांट जारी रही, तो आंदोलन को राष्ट्रीय स्तर तक ले जाया जाएगा।
अस्पताल प्रशासन से सभागार में हुई बातचीत
ज्ञापन सौंपने के बाद कार्यकर्ताओं ने अस्पताल प्रशासन से अस्पताल के सभागार में बातचीत भी की।
इस दौरान संगठन के प्रतिनिधियों ने बिंदुवार सभी समस्याओं से प्रबंधन को अवगत कराया और पारदर्शिता की मांग की। अस्पताल के अधिकारियों ने शिकायतों को संज्ञान में लेने का आश्वासन तो दिया, लेकिन महासंघ का कहना है कि “सिर्फ आश्वासन से काम नहीं चलेगा, जमीनी बदलाव जरूरी है।”
किसान नेताओं ने कहा – “आयुष्मान योजना गरीबों के लिए बनी है, मुनाफे का जरिया नहीं”
चौधरी बाली सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री की आयुष्मान भारत योजना गरीबों को मुफ्त इलाज की सुविधा देने के लिए शुरू की गई थी,
लेकिन कुछ निजी अस्पतालों ने इसे लूट का जरिया बना लिया है।
उन्होंने कहा “शारदा हॉस्पिटल जैसे संस्थानों में गरीबों के नाम पर फर्जी इलाज दिखाकर सरकारी फंड को हजम किया जा रहा है।
अगर सरकार ने इस पर सख्ती नहीं की, तो यह भ्रष्टाचार पूरे देश के स्वास्थ्य सिस्टम को निगल जाएगा।”
मांगें – जांच, जवाबदेही और पारदर्शिता
ज्ञापन में किसान एकता महासंघ ने कुछ प्रमुख मांगें रखीं –
आयुष्मान कार्ड धारकों के इलाज से संबंधित बिलों और रिकॉर्ड की स्वतंत्र जांच कराई जाए।
एजेंटों के माध्यम से मरीज लाने की दलाली व्यवस्था पर तुरंत रोक लगे।
मरीजों को बंधक बनाकर रखने जैसी मानवाधिकार विरोधी घटनाओं पर कार्रवाई की जाए।
अस्पताल में इलाज की ऑनलाइन मॉनिटरिंग प्रणाली लागू की जाए, जिससे पारदर्शिता बनी रहे।
आयुष्मान कार्ड से इलाज करने वाले डॉक्टरों और प्रबंधन की जवाबदेही तय की जाए।
बड़ी संख्या में पहुंचे कार्यकर्ता – प्रदर्शन की तैयारी शुरू
ज्ञापन के समय सैकड़ों किसान एकता महासंघ के कार्यकर्ता और पदाधिकारी मौजूद रहे।
इस मौके पर उपस्थित प्रमुख लोगों में चौधरी बाली सिंह, रमेश कसाना, पप्पू प्रधान, राजवीर ठेकेदार, राजेंद्र चौहान, रवि नागर, अमित नागर, कर्मवीर भाटी, राकेश चौधरी, अरविंद सेक्रेटरी, बलजीत हवलदार, मास्टर इंद्रपाल सिंह, वीरू ठेकेदार, चंद्रपाल सिंह, रज्जाक ठेकेदार, कुलदीप राजपूत, साजिद प्रधान, सुशील राजपूत, विपिन राजपूत, मोनू कसाना समेत कई प्रमुख सदस्य शामिल थे।
सभी ने एक स्वर में कहा “अब और नहीं! गरीबों के अधिकारों की लूट बंद होनी चाहिए। अगर शासन नहीं सुनता, तो किसान सड़क पर उतरने को तैयार हैं।”
क्या बोले स्थानीय नागरिक?
अस्पताल के बाहर मौजूद कई स्थानीय नागरिकों ने भी संगठन के आरोपों का समर्थन किया।
उनका कहना है कि कई बार आयुष्मान कार्ड से इलाज के लिए आए मरीजों को
“बिना इलाज के डिस्चार्ज कर दिया जाता है या भारी बिल थमा दिया जाता है।”
लोगों ने कहा कि अगर यह सच है, तो प्रशासन को तुरंत सघन जांच करनी चाहिए।
प्रशासन की भूमिका पर सवाल
किसान एकता महासंघ ने सवाल उठाया कि जब अस्पताल में ऐसे कारनामे हो रहे हैं, तो
स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन मौन क्यों है?
क्या अधिकारियों को इन अनियमितताओं की खबर नहीं या जानबूझकर आंखें मूंदी गई हैं? संगठन ने कहा कि वे मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री को भी विस्तृत रिपोर्ट भेजेंगे, ताकि जांच उच्च स्तर पर हो सके।
आंदोलन का अगला चरण तय
संगठन ने घोषणा की है कि अगर एक सप्ताह में ठोस कदम नहीं उठाए गए,
तो वे अस्पताल के मुख्य द्वार पर टेंट लगाकर धरना शुरू करेंगे और
“भ्रष्टाचार मुक्त चिकित्सा” की मांग को लेकर
अनिश्चितकालीन आंदोलन चलाएंगे।



