अंकल मेरे पापा कहां हैं, मेरे पापा को बुला दो…। हादसे के बाद कार की पिछली सीट पर सो रही मिशिका की जैसे ही आंख खुली तो उसने खुद को कार में कैद पाया। मिशिका का एक पैर कार की पिचकी हुई छत में फंसा था। मासूम को शायद यह पता भी न था कि उसके माता-पिता कार की अगली सीट पर मृत हैं। मिशिका कार से निकलने के लिए छटपटा रही थी। उसी दौरान बचाव दल वहां पहुंच गया। हालात कुछ इस तरह थे कि बिना कार से डंपर हटाए और कार को काटे मिशिका को सुरक्षित नहीं निकाला जा सकता था। पुलिस की मदद से दूर रात को घटना स्थल पर तीन हाईड्रॉलिक क्रेन को मौके पर बुलाया गया। पहले डंपर को कार पर से हटाकर किसी तरह कार की बॉडी को काटा गया। इसके बाद करीब पौने दो घंटे बाद मिशिका को सुरक्षित बाहर निकालकर अस्पताल पहुंचाया गया। करीब आधे घंटे बाद इसके माता-पिता के शवों को भी बाहर निकाल लिया गया।
विनय कुमार ने बताया कि उनका दमकल केंद्र घटना स्थल से चंद कदमों की दूरी पर ही है। सूचना मिलते ही टीम वहां पहुंच गई। हालात की जांच करने पर अगली सीट पर सवार दंपती मृत थे। डंपर का पिछला हिस्सा कार के अगले हिस्से पर गिरा था।