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Special Qr Code Will Be On The Medicine Leaf – दवा के पत्ते पर होगा विशेष क्यूआर कोड

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नई दिल्ली। दवाओं के पत्ते पर अब जल्द ही एक विशेष क्यूआर कोड दिख सकता है। इससे दृष्टिबाधितों को दवा के बारे में पूरी जानकारी मिल सकेगी। इस नई पहल के पीछे दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के मैत्रेयी कॉलेज में दृष्टिबाधित एसोसिएट प्रोफेसर स्मृति सिंह का प्रयास सफल साबित हुआ है। क्यूआर कोड को स्कैन कर कोई भी व्यक्ति दवा के बारे में पूरी जानकारी को सुन सकता है। इसे लेकर नीति आयोग की ओर से डॉ. वीके पॉल ने क्यूआर कोड के लिए उन्हें आश्वासन दिया है।
दरअसल, मैत्रेयी कॉलेज में अंग्रेजी की शिक्षिका डॉ. स्मृति सिंह ने दृष्टिबाधितों की परेशानी को देखते हुए हाल ही में दवाओं के पत्ते पर क्यूआर कोड अंकित करने का अभियान शुरू किया था। अभियान में उनके साथ सेंट स्टीफेन अस्पताल से वरिष्ठ आर्थोपेडिक सर्जन डॉ. मैथ्यू वर्गीज भी शामिल रहे थे।
दवाओं के पत्ते पर दृष्टिबाधित लोगों के लिए कोई विशेष कोड अंकित नहीं होने से उन्हें कई बार दवा के बारे में सही जानकारी नहीं मिल पाती है। इसको देखते हुए डॉ. स्मृति ने दवाओं के पत्ते पर विशिष्ट संकेतों वाले क्यूआर कोड के तहत दवा की मात्रा, दवा का नाम, दवा का जेनरिक नाम, बैच नंबर, उत्पादन तिथि, एक्सपायरी तिथि, दुष्परिणाम समेत अन्य जानकारियों को शामिल करने की मांग की थी। इसे लेकर उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय, स्वास्थ्य मंत्रालय, आयुष मंत्रालय व नीति आयोग से अपील की थी। साथ ही सोशल मीडिया पर भी अभियान चला था। अब उन्हें नीति आयोग से वीके पॉल की ओर से दवाओं के पत्ते पर क्यूआर कोड डालने का आश्वासन दिया गया है।
डॉ. स्मृति सिंह के मुताबिक, उनके दो छोटे बच्चे हैं। पति भी दृष्टिबाधित हैं और डीयू में शिक्षक हैं। कोरोना की दूसरी लहर में वह संक्रमण की चपेट में आ गई थी। इस दौरान वह दवा को टटोलकर पहचान करने की कोशिश करती थीं। इससे गलती की संभावनाएं बढ़ जाती थीं। वहीं, दवाइयों की एक्सपायरी तारीख के बारे में भी पता नहीं चल पाता था। ऐसे में उन्हें दवाई पर अंकित होने वाले क्यूआर कोड की जरूरत महसूस हुई, जिससे दवाई के बारे में सही जानकारी मिल सके। स्वस्थ होने पर उन्होंने इसे लेकर अभियान शुरू किया था।

नई दिल्ली। दवाओं के पत्ते पर अब जल्द ही एक विशेष क्यूआर कोड दिख सकता है। इससे दृष्टिबाधितों को दवा के बारे में पूरी जानकारी मिल सकेगी। इस नई पहल के पीछे दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के मैत्रेयी कॉलेज में दृष्टिबाधित एसोसिएट प्रोफेसर स्मृति सिंह का प्रयास सफल साबित हुआ है। क्यूआर कोड को स्कैन कर कोई भी व्यक्ति दवा के बारे में पूरी जानकारी को सुन सकता है। इसे लेकर नीति आयोग की ओर से डॉ. वीके पॉल ने क्यूआर कोड के लिए उन्हें आश्वासन दिया है।

दरअसल, मैत्रेयी कॉलेज में अंग्रेजी की शिक्षिका डॉ. स्मृति सिंह ने दृष्टिबाधितों की परेशानी को देखते हुए हाल ही में दवाओं के पत्ते पर क्यूआर कोड अंकित करने का अभियान शुरू किया था। अभियान में उनके साथ सेंट स्टीफेन अस्पताल से वरिष्ठ आर्थोपेडिक सर्जन डॉ. मैथ्यू वर्गीज भी शामिल रहे थे।

दवाओं के पत्ते पर दृष्टिबाधित लोगों के लिए कोई विशेष कोड अंकित नहीं होने से उन्हें कई बार दवा के बारे में सही जानकारी नहीं मिल पाती है। इसको देखते हुए डॉ. स्मृति ने दवाओं के पत्ते पर विशिष्ट संकेतों वाले क्यूआर कोड के तहत दवा की मात्रा, दवा का नाम, दवा का जेनरिक नाम, बैच नंबर, उत्पादन तिथि, एक्सपायरी तिथि, दुष्परिणाम समेत अन्य जानकारियों को शामिल करने की मांग की थी। इसे लेकर उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय, स्वास्थ्य मंत्रालय, आयुष मंत्रालय व नीति आयोग से अपील की थी। साथ ही सोशल मीडिया पर भी अभियान चला था। अब उन्हें नीति आयोग से वीके पॉल की ओर से दवाओं के पत्ते पर क्यूआर कोड डालने का आश्वासन दिया गया है।

डॉ. स्मृति सिंह के मुताबिक, उनके दो छोटे बच्चे हैं। पति भी दृष्टिबाधित हैं और डीयू में शिक्षक हैं। कोरोना की दूसरी लहर में वह संक्रमण की चपेट में आ गई थी। इस दौरान वह दवा को टटोलकर पहचान करने की कोशिश करती थीं। इससे गलती की संभावनाएं बढ़ जाती थीं। वहीं, दवाइयों की एक्सपायरी तारीख के बारे में भी पता नहीं चल पाता था। ऐसे में उन्हें दवाई पर अंकित होने वाले क्यूआर कोड की जरूरत महसूस हुई, जिससे दवाई के बारे में सही जानकारी मिल सके। स्वस्थ होने पर उन्होंने इसे लेकर अभियान शुरू किया था।

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