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BIG BREAKING: भाजपा एमएलसी नरेंद्र भाटी के भाई को नहीं मिली जमानत, अदालत ने लगाई 25 नवंबर की तारीख

ग्रेटर नोएडा, रफ्तार टुडे। गौतमबुद्ध नगर के दिग्गज नेता भाजपा एमएलसी नरेंद्र भाटी के भाई कैलाश भाटी की जमानत अर्जी पर सुनवाई कोर्ट ने टाल दी है। उसकी जमानत पर सुनवाई अब 25 नवंबर को होगी। कोर्ट के इस फैसले के बाद उसे कुछ दिन और जेल में भी बिताना होगा। कैलाश भाटी पर ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में प्रबंधक पर पर रहते हुए तुस्याना गांव में लगभग 150 करोड़ रुपये के भूमि घोटाले का आरोप है। इस मामले में पुलिस ने उसे 16 नवंबर को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। उसके साथ उसके दो गुर्गे कमल और दीपक को भी जेल भेजा गया था।

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में हुए लगभग 150 करोड़ के तुस्याना भूमि घोटाले की जांच के लिए सरकार ने एसआईटी बनाई थी। एसआईटी की जांच में कैलाश भाटी समेत कई लोगांे के घोटाले में शामिल होने की बात उजागर हुई थी। उसके बाद पुलिस ने बीती 16 नवंबर को कैलाश भाटी समेत तीन लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।

गौरतलब है कि नरेन्द्र भाटी उप्र के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के बेहद खास थे। समाजवादी पार्टी के टिकट पर नरेन्द्र भाटी दो बार विधायक बने। एक बार वह दर्जा प्राप्त मंत्री भी रहे। मुलायम सिंह की कृपा से वह विधान परिषद सदस्य भी रहे। वे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सपा के प्रमुख चेहरे रहे हैं। एक समय था, जब गौतमबुद्धनगर जिले में समाजवादी पार्टी का मतलब नरेन्द्र भाटी था। पूरी पार्टी उनके इशारे पर चलती थी। इन दिनों नरेंद्र भाटी भारतीय जनता पार्टी से विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) हैं। कैलाश भाटी इन्हीं नरेन्द्र भाटी का छोटा भाई है। अपने बड़े भाई की कृपा से ही कैलाश भाटी ने ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में मैनेजर के पद पर नौकरी पाई थी। इस पद पर रहते हुए कैलाश ने अनेक ‘खेल’ किए थे। इन दिनों वह यूपीसीडा कानपुर में तैनात है। सूत्रों का दावा है कि कैलाश भाटी का किया हुआ केवल तुस्याना भूमि घोटाला ही नहीं है, बल्कि वह अन्य घोटालों में भी लिप्त रहा है।

तुस्याना गांव में फर्जी तरीके से भूमि के पट्टे आवंटित किए गए थे। जब भूमि घोटाला हुआ था तो कैलाश भाटी ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में बतौर वरिष्ठ प्रबंधक के पद पर तैनात था। जांच के दौरान भूमि घोटाले में उसकी अहम भूमिका का खुलासा हुआ था। इसमें पाया गया था कि जिन्हें लाभ मिलना था, वे तो वंचित रह गए, लेकिन संपन्न लोगों ने गड़बड़ी कर पट्टा हासिल कर लिया। जांच में यह भी सामने आया था कि पट्टा आवंटन में पात्रता के सभी नियम तार-तार हो गए थे। कुल मिलाकर पात्र लोगों को कुछ नहीं मिला और गलत तरीके से लोगों को पट्टे का आवंटन कर दिया गया। इतना ही नहीं, ग्रामीणों के साथ बाहर के लोगों ने मिलीभगत कर पट्टा ले लिया। इसमें ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों की भी भूमिका थी, क्योंकि बड़ी मिलीभगत के बगैर इतना बड़ा घोटाला संभव ही नहीं था।

जांच में यह भी सामने आया था कि कुछ पट्टेधारकों ने पट्टे की जमीन का मुआवजा उठाने के साथ-साथ छह प्रतिशत का प्लाट भी ले लिया था। उन्होंने ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को भी चूना लगा दिया था। फर्जीवाड़े में कई पूर्व प्रधानों की भूमिका सामने आई है। एक अन्य गांव के प्रधान की भी भूमिका सामने आई थी। शासन ने मामले की उच्चस्तरीय जांच के लिए एसआईटी का आदेश दिया है।

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