Corrupation Free India News : ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण पर किसानों के हक की गूंज!, करप्शन फ्री इंडिया संगठन का बड़ा आंदोलन, 101 दिन के अन्न त्याग का ऐलान
ग्रेटर नोएडा, रफ़्तार टुडे।
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण (Greater Noida Authority) पर बुधवार को किसानों के हक की मांग को लेकर करप्शन फ्री इंडिया संगठन (Corruption Free India Organization) ने जबरदस्त प्रदर्शन किया। संगठन के कार्यकर्ताओं ने शिक्षण संस्थानों (Educational Institutions) और अस्पतालों (Hospitals) में स्थानीय किसानों को दी जाने वाली रियायतों की अनदेखी के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और ओएसडी जितेंद्र गौतम को ज्ञापन सौंपा। संगठन के संस्थापक चौधरी प्रवीण भारतीय (Chaudhary Praveen Bhartiya) ने मांगें पूरी न होने तक 101 दिन के अन्न त्याग का संकल्प लिया है, जिससे आंदोलन ने और भी जोर पकड़ लिया है।
तीन दशक बाद भी किसानों को नहीं मिल रहा हक! क्या है पूरा मामला?
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने वर्षों पहले शहर में सैकड़ों शिक्षण संस्थानों और अस्पतालों को सस्ती दरों पर भूखंड आवंटित किए थे। इसके बदले इन संस्थानों को स्थानीय किसानों और गरीब वर्ग के लोगों को विशेष सुविधाएं देने की शर्तें रखी गई थीं। इन शर्तों में निम्नलिखित प्रावधान शामिल थे—
✅ शिक्षण संस्थानों में:
- 25% ट्यूशन फीस में छूट स्थानीय किसानों के बच्चों के लिए
- गरीब किसानों के बच्चों को बिल्कुल मुफ्त शिक्षा
✅ अस्पतालों में:
- सुबह 2 घंटे और शाम 2 घंटे की फ्री OPD सेवा
- गरीबों के इलाज के लिए प्रत्येक अस्पताल में 10% बेड आरक्षित
- शहर के 15% गरीब लोगों के इलाज पर 50% की छूट
- सभी किसानों को 24 घंटे आपातकालीन सेवाएं उपलब्ध कराना अनिवार्य
लेकिन तीन दशक बीत जाने के बाद भी इन नियमों का पालन नहीं हो रहा है। स्थानीय किसानों और गरीबों को आज भी उनकी इस सुविधा से वंचित रखा जा रहा है। इसी के खिलाफ करप्शन फ्री इंडिया संगठन ने बिगुल फूंक दिया है।
चौधरी प्रवीण भारतीय का 101 दिन का अन्न त्याग संकल्प, संघर्ष तेज
संगठन के संस्थापक चौधरी प्रवीण भारतीय ने इस मुद्दे पर संघर्ष का एलान कर दिया है। उन्होंने कहा कि जब तक प्राधिकरण किसानों के हक में कोई ठोस कदम नहीं उठाता, तब तक वे 101 दिनों तक अन्न का त्याग करेंगे। उन्होंने प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि प्राधिकरण और भूखंड धारक संस्थानों के बीच मिलीभगत के कारण यह समस्या बनी हुई है।
उन्होंने कहा—
“जब प्राधिकरण ने शर्त रखी थी, तो उसे लागू भी करना चाहिए था। गरीब किसानों और उनके बच्चों को आज भी इन सुविधाओं के लिए भटकना पड़ता है। हमने कई बार प्रशासन को ज्ञापन दिए, लेकिन अब आर-पार की लड़ाई होगी।”
ओएसडी जितेंद्र गौतम ने दिया आश्वासन, लेकिन क्या मिलेगा समाधान?
प्रदर्शन के दौरान प्राधिकरण के ओएसडी जितेंद्र गौतम मौके पर पहुंचे और प्रदर्शनकारियों से मुलाकात की। उन्होंने आश्वासन दिया कि—
“हम जल्द ही इस मुद्दे पर विचार करेंगे और सभी समस्याओं का समाधान निकालेंगे। संबंधित विभागों को निर्देश दिए जाएंगे कि शिक्षण संस्थानों और अस्पतालों को उनकी लीज डीड की शर्तों का पालन करने के लिए बाध्य किया जाए।”
हालांकि, प्रदर्शनकारियों का कहना है कि वे सिर्फ आश्वासन से संतुष्ट नहीं होंगे। अगर जल्द ही कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया, तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा।
किसानों के हक की आवाज़ में कौन-कौन शामिल?
इस प्रदर्शन में कई सामाजिक कार्यकर्ता, किसान नेता और संगठन के प्रमुख सदस्य शामिल रहे—
✔ एडवोकेट दीपक शर्मा, बलराज हूंण, मास्टर दिनेश नागर, प्रेम प्रधान, प्रेमराज भाटी, राकेश नागर, कुलबीर भाटी, गौरव भाटी, हरेंद्र कसाना, ब्रह्म प्रधान, यतेंद्र नागर, हरीश भाटी, पिंटू मास्टर, बालेश्वर सूबेदार, विजय शर्मा, रमेश नागर, बिल्लू, अनिल भाटी, पिरोज भाटी, अजय नागर, मनीष कसाना, गौरव नागर, अभिषेक टाइगर, तेजवीर, प्रिंस नागर
क्या होगा आगे?
- प्राधिकरण को जल्द ही शिक्षण संस्थानों और अस्पतालों पर सख्त कार्रवाई करनी होगी।
- अगर किसानों की मांगें नहीं मानी गईं, तो आंदोलन और तेज होगा।
- चौधरी प्रवीण भारतीय के 101 दिन के अन्न त्याग संकल्प के बाद यह मामला और भी गर्मा सकता है।
अब देखने वाली बात होगी कि प्रशासन इस समस्या का समाधान निकालता है या फिर किसानों को अपने हक के लिए और लंबी लड़ाई लड़नी पड़ेगी।
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