GNIOT College News : जब रंगों में बसा पर्यावरण का संदेश!, GNIOT MBA संस्थान में विश्व पर्यावरण दिवस पर ‘लोगो मेकिंग प्रतियोगिता’ का रचनात्मक आयोजन, जब कला और चेतना का हुआ संगम

ग्रेटर नोएडा, रफ़्तार टुडे।।
विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर ग्रेटर नोएडा स्थित GNIOT MBA इंस्टीट्यूट ने एक विशेष और प्रेरणादायक कार्यक्रम का आयोजन किया, जिसने न केवल छात्रों की रचनात्मकता को मंच दिया बल्कि पर्यावरण संरक्षण के प्रति उनकी जागरूकता को भी उभारने का काम किया। नॉलेज पार्क-2 स्थित संस्थान में ‘लोगो मेकिंग प्रतियोगिता’ का आयोजन एक ऐसे समय में किया गया जब पृथ्वी को हरसंभव तरीके से बचाने की ज़रूरत पहले से कहीं अधिक है।
प्रतियोगिता का मूल उद्देश्य था — “कला के ज़रिए पर्यावरण संरक्षण का संदेश देना और युवाओं को इस दिशा में प्रेरित करना।” आयोजन ने इस लक्ष्य को न केवल सिद्ध किया, बल्कि यह साबित भी कर दिया कि छात्र सिर्फ किताबी ज्ञान ही नहीं, बल्कि सामाजिक और वैश्विक मुद्दों पर भी गहराई से सोचने और प्रतिक्रिया देने में सक्षम हैं।
जब पर्यावरण बना प्रेरणा और ब्रश बना क्रांति का माध्यम
प्रतियोगिता में करीब 20 टीमों के 50 से अधिक विद्यार्थियों ने भाग लिया। प्रतिभागियों ने विभिन्न रंगों और आकृतियों के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण, प्लास्टिक मुक्त जीवन, हरियाली, जलवायु परिवर्तन और हरित ऊर्जा जैसे विषयों को अपने-अपने अनूठे अंदाज़ में पेश किया।
हर एक ‘लोगो’ न केवल एक कलाकृति था, बल्कि उसके पीछे एक सशक्त संदेश और गहरी सोच भी छिपी थी। कुछ लोगो में पृथ्वी को मां के रूप में चित्रित किया गया, तो कुछ में मानव जीवन के हर हिस्से को पर्यावरण से जोड़ते हुए प्रदर्शित किया गया।
प्रतियोगिता में चमके ये विजेता – पर्यावरण का सच्चा संदेश लेकर
इस रोमांचक और रचनात्मक मुकाबले में जिन प्रतिभागियों ने अपनी प्रस्तुति से सबसे अधिक प्रभाव छोड़ा, वे थे:
🥇 प्रथम स्थान — प्रिया पाल और पूजा (MBA हेल्थकेयर):
इनकी प्रस्तुति में हरित क्रांति, टिकाऊ विकास और नवीकरणीय ऊर्जा का संदेश एक रेखीय डिजाइन में इतने सुंदर तरीके से समाहित था कि निर्णायक मंडल भी दंग रह गया।
🥈 द्वितीय स्थान — आरुषि और भूमिका (MBA):
इनकी कला में एक वृक्ष की जड़ों से लेकर उसकी छाया में सांस लेते मानव तक की कथा को बेहद संवेदनशील ढंग से दिखाया गया।
🥉 तृतीय स्थान — आकांक्षा डोंडियाल और अर्पित श्रीवास्तव:
इनका डिजाइन एक शहरी और ग्रामीण जीवन के बीच संतुलन और उसमें पर्यावरण की भूमिका को बहुत ही अभिनव तरीके से पेश करता था।
सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र प्रदान किए गए ताकि उन्हें उनके प्रयासों और जागरूकता के लिए प्रोत्साहित किया जा सके।
संस्थान के निदेशक डॉ. अंशुल शर्मा ने दी प्रेरणा – कहा, ‘युवाओं की सोच ही असली बदलाव है’
संस्थान के निदेशक डॉ. अंशुल शर्मा ने प्रतियोगिता के समापन पर छात्रों को संबोधित करते हुए कहा:
“आज का युग सिर्फ टेक्नोलॉजी और व्यवसाय का नहीं, बल्कि जागरूकता और उत्तरदायित्व का युग है। यह प्रतियोगिता छात्रों को न केवल अपनी रचनात्मकता को उजागर करने का मौका देती है, बल्कि उन्हें यह भी सिखाती है कि पर्यावरण संरक्षण एक व्यक्तिगत जिम्मेदारी है।”
उन्होंने इस प्रकार की गतिविधियों को संस्थान में नियमित रूप से आयोजित करने की घोषणा भी की ताकि हर छात्र प्रकृति के प्रति संवेदनशील बन सके।

प्रबंधन टीम और फैकल्टी की भूमिका रही सराहनीय
इस आयोजन को सफल बनाने में संस्थान के डीन, विभागाध्यक्ष और कार्यक्रम संयोजकों की अहम भूमिका रही।
मुख्य उपस्थित गणमान्यजन थे:
🔹 डॉ. अनुराग जोशी – कार्यक्रम संयोजक
🔹 प्रो. प्रवीण राजपाल – रचनात्मक दिशा देने वाले शिक्षक
🔹 डॉ. पल्लवी सिंह – आयोजन समन्वयक
इन्होंने छात्रों को शुरुआत से ही प्रोत्साहित किया, उन्हें गाइड किया और आयोजन को एक शैक्षणिक अनुभव के साथ-साथ एक सामाजिक आंदोलन का रूप देने में मदद की।
पर्यावरण दिवस पर लोगो मेकिंग – क्यों है ये इतना महत्वपूर्ण?
लोगो मेकिंग सिर्फ एक कलात्मक अभ्यास नहीं है, बल्कि एक आइडेंटिटी बनाने की प्रक्रिया है। जब कोई छात्र एक पर्यावरण से जुड़ा लोगो डिज़ाइन करता है, तो वह उस पर्यावरणीय विचारधारा को प्रतीक रूप में प्रस्तुत करता है। यह लोगो आगे जाकर पोस्टर्स, जागरूकता अभियानों, सोशल मीडिया और प्रेजेंटेशनों में उपयोग होता है — जिससे छात्र का योगदान सिर्फ प्रतियोगिता तक सीमित नहीं रहता।
इस प्रकार की प्रतियोगिताएं नवाचार, कंपोजिशनल थिंकिंग और ग्राफिक सेंसिबिलिटी को बढ़ावा देती हैं, जो किसी भी मैनेजमेंट या प्रोफेशनल छात्र के लिए बेहद ज़रूरी हैं।
विश्व पर्यावरण दिवस: सिर्फ एक दिन नहीं, बल्कि एक सतत आंदोलन
हर साल 5 जून को मनाया जाने वाला विश्व पर्यावरण दिवस हमें याद दिलाता है कि हमारा अस्तित्व पूरी तरह से प्रकृति पर निर्भर है।
आज जब:
🌪️ जलवायु परिवर्तन चरम पर है,
🛢️ प्लास्टिक प्रदूषण बेकाबू हो चुका है,
🌿 जंगल कट रहे हैं,
🌊 जल स्रोत सूख रहे हैं —
तब युवाओं का जागरूक होना और अपनी कला व कौशल से पर्यावरण की रक्षा में भाग लेना एक उम्मीद की किरण है।
छात्रों की प्रतिक्रियाएं – “पहली बार लगा कि हम बदलाव ला सकते हैं”
एमबीए हेल्थकेयर की प्रिया पाल ने कहा:
“यह प्रतियोगिता मेरे लिए सिर्फ एक डिजाइनिंग इवेंट नहीं था। मैंने पहली बार महसूस किया कि मेरी सोच, मेरा आर्ट, एक बड़ा फर्क ला सकता है।”
वहीं आरुषि और भूमिका ने बताया कि उन्होंने अपने डिजाइन को रिसर्च और सामाजिक सरोकार के आधार पर तैयार किया था।
निष्कर्ष: जब शिक्षा और जागरूकता एकसाथ चलें, तो बनती है हरियाली की राह
GNIOT MBA संस्थान का यह प्रयास साबित करता है कि शिक्षण संस्थान केवल पढ़ाई के केंद्र नहीं होते, बल्कि समाज निर्माण और जागरूक नागरिकों के निर्माण की प्रयोगशालाएं होते हैं।
पर्यावरण दिवस जैसे मौकों पर यदि इसी तरह रचनात्मक और शिक्षाप्रद प्रतियोगिताएं आयोजित होती रहें, तो यह भविष्य की पीढ़ियों को सिर्फ जानकारी नहीं, बल्कि संकल्प से भर देगी।
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