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Greater Noida Authority News : “अब पंजीकरण नहीं तो भूखंड नहीं!”, औद्योगिक प्राधिकरणों की सख्त समीक्षा में बोले प्रमुख सचिव आलोक कुमार, फैक्ट्री एक्ट में पंजीकरण अनिवार्य, निर्माण नहीं तो निरस्त होगा प्लॉट, निवेश व रोजगार को रफ्तार देने की रणनीति तेज

ग्रेटर नोएडा, रफ़्तार टुडे।
उत्तर प्रदेश में औद्योगिक विकास को गति देने की दिशा में बुधवार को एक महत्वपूर्ण और निर्णायक कदम उठाया गया। राज्य के औद्योगिक विकास विभाग के प्रमुख सचिव आलोक कुमार ने ग्रेटर नोएडा स्थित औद्योगिक विकास प्राधिकरणों की समीक्षा बैठक के दौरान स्पष्ट संकेत दे दिया कि अब लापरवाही नहीं चलेगी।

इस समीक्षा में नोएडा, ग्रेटर नोएडा, यमुना प्राधिकरण (YEIDA), यूपीसीडा सहित राज्य के तमाम औद्योगिक विकास प्राधिकरणों के अधिकारियों की कार्यशैली और औद्योगिक भूखंडों के उपयोग की स्थिति की गहराई से पड़ताल की गई।


फैक्ट्री एक्ट के तहत पंजीकरण में सुस्ती पर जताई नाराज़गी

प्रमुख सचिव ने सबसे पहले फैक्ट्री एक्ट के तहत कंपनियों के पंजीकरण की धीमी रफ्तार पर नाखुशी जताई। उन्होंने दो टूक कहा कि अगर सरकार उद्योगों को सुविधाएं दे रही है तो उद्यमियों की जिम्मेदारी है कि वे समय पर वैधानिक पंजीकरण पूरा करें।

“फैक्ट्री एक्ट में पंजीकरण अनिवार्य है। इसमें देरी निवेश के माहौल को प्रभावित करती है,” – आलोक कुमार

उन्होंने सुझाव दिया कि सभी औद्योगिक प्राधिकरण श्रम एवं कारखाना विभाग के साथ मिलकर विशेष शिविरों का आयोजन करें, ताकि उद्यमियों को एक ही स्थान पर सभी आवश्यक औपचारिकताएं पूरी करने की सुविधा मिले।


भूखंड आवंटन लेकर उद्योग न लगाने वालों के खिलाफ कार्रवाई के संकेत

समीक्षा बैठक की सबसे अहम बात रही औद्योगिक भूखंडों पर वर्षों से कब्जा जमाए बैठे, लेकिन निर्माण कार्य शुरू न करने वाले आवंटियों के खिलाफ सख्ती।

“जो लोग वर्षों से भूखंड लेकर खाली बैठे हैं, उनके खिलाफ अब कार्रवाई होगी। निर्माण नहीं, तो भूखंड नहीं।” – प्रमुख सचिव आलोक कुमार

प्रमुख सचिव ने स्पष्ट निर्देश दिए कि ऐसे भूखंड जिन पर निर्माण कार्य निर्धारित समय सीमा में शुरू नहीं हुआ है, उन पर तुरंत जांच की जाए। और यदि संतोषजनक कारण नहीं मिले, तो आवंटन रद्द कर उसे दूसरे इच्छुक उद्यमी को आवंटित कर दिया जाए।


श्रम विभाग को दी गई शिविरों की जिम्मेदारी

बैठक में यह निर्णय लिया गया कि श्रम विभाग और कारखाना निरीक्षण विभाग मिलकर सप्ताहिक या मासिक शिविर आयोजित करेंगे, जिससे उद्यमियों को एक ही छत के नीचे विभिन्न मंजूरियों और पंजीकरणों की सुविधा मिल सके।

“हमारी प्राथमिकता है कि उद्योगों को किसी दफ्तर के चक्कर न लगाने पड़ें। शिविरों से प्रक्रिया सरल और पारदर्शी होगी।”


निवेश और रोजगार में तेजी लाने का खाका तैयार

राज्य सरकार का लक्ष्य स्पष्ट है – निवेश आकर्षित करें, भूखंड का सदुपयोग हो और रोजगार के अवसर बढ़ें।
इस समीक्षा बैठक से यह संदेश गया कि सरकार अब भूखंड कब्जाकर बैठे रहने वालों को संरक्षण नहीं देगी

जो उद्यमी वास्तव में उद्योग लगाने के इच्छुक हैं, उन्हें जल्द प्लॉट मिलेगा, लेकिन खाली भूखंडों पर अब बैठने नहीं दिया जाएगा।


बैठक में शामिल हुए प्रमुख अधिकारी और उद्यमी मित्र

इस महत्वपूर्ण समीक्षा बैठक में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के उच्च अधिकारी मौजूद रहे:

  • सीईओ एन. जी. रवि कुमार
  • एसीईओ सुनील कुमार सिंह
  • एसीईओ श्रीलक्ष्मी वी. एस.
  • एसीईओ प्रेरणा सिंह
  • महाप्रबंधक वित्त विनोद कुमार
  • महाप्रबंधक एके सिंह
  • ओएसडी एनके सिंह
  • ओएसडी गिरीश कुमार झा
  • रामनयन सिंह

इसके साथ ही ‘उद्यमी मित्र’ योजना से जुड़े कारोबारी और अन्य प्राधिकरणों के अधिकारीगण वर्चुअल रूप से बैठक से जुड़े रहे।

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औद्योगिक प्राधिकरणों की सख्त समीक्षा में बोले प्रमुख सचिव आलोक कुमार, फैक्ट्री एक्ट में पंजीकरण अनिवार्य, निर्माण नहीं तो निरस्त होगा प्लॉट

क्या होगा असर? जानिए इस सख्ती का संभावित परिणाम

🔹 तेजी से बढ़ेगा फैक्ट्री एक्ट के तहत पंजीकरण
🔹 औद्योगिक भूखंडों पर निर्माण कार्य में आएगी तेजी
🔹 निवेशकों को मिलेगा भूखंडों का बेहतर आवंटन
🔹 निष्क्रिय आवंटियों पर होगी कार्रवाई
🔹 औद्योगिक इलाकों में रोजगार के अवसर होंगे सृजित


उद्यमियों की प्रतिक्रिया भी मिली सकारात्मक

कुछ स्थानीय उद्यमियों ने बताया कि ऐसे शिविरों से प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और गति आएगी।

“अक्सर हमें श्रम विभाग की औपचारिकताएं पूरी करने में महीनों लग जाते हैं। शिविर लगेंगे तो सारी सुविधा एक ही दिन में मिल सकती है।” – एक स्थानीय उद्यमी


फैक्ट्री एक्ट पंजीकरण: क्यों है जरूरी?

  • यह कानून कर्मचारियों की सुरक्षा, स्वास्थ्य और श्रम अधिकारों की रक्षा करता है।
  • इससे सरकार को उद्योगों की संख्या, क्षमता और उत्पादन की जानकारी मिलती है।
  • औद्योगिक क्षेत्रों की योजना निर्माण और निवेश नीति तय करने में सहायक होता है।

अब कोई भूखंड बंजर नहीं रहेगा – सरकार की मंशा साफ

राज्य सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि औद्योगिक भूखंडों का 100% उपयोग हो
कोई भूखंड सिर्फ कब्जे और मूल्यवृद्धि के लिए आवंटित नहीं किया जाएगा।

यही वजह है कि अब सरकार “उद्योग लगाओ या भूखंड लौटाओ” की नीति पर चल पड़ी है।


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