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Morari Bapu said – If wealth stays at one place, inequality will come, efforts will have to be made to reduce pollution | मोरारी बापू ने कहा- धन एक जगह रुकेगा तो असमानता आएगी, प्रदूषण कम हो इसके लिए मिल-जुल कर करने होंगे प्रयास

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नई दिल्ली10 घंटे पहले

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राम कथा वाचक संत मोरारी बापू ने कहा कि धनवान को उदार होना चाहिए। पैसे की पूजा न करें। पैसा प्रवाहित होना चाहिए। पैसा एक जगह स्थिर हो जाए तो असमानता बन जाती है। सिरी फोर्ट ऑडिटोरियम में चल रही राम कथा साधु चरित मानस के चौथे दिन बापू ने कहा कि सिर्फ ज्ञान और विचार पर्याप्त नहीं हैं। जीवन में जब भक्ति का प्राक्टय होता है तभी प्रेम और करुणा की बरसात होती है। जनकपुर में अकाल पड़ा था तो सीता का जन्म हुआ। जनकपुर में अकाल हो, ये बुद्धि में नहीं उतरता।

अकाल तो वहां होता है जहां कलि का प्रभाव बढ़े। जनकपुर में तो पुण्यशाली लोग रहते थे, पाप परायण नहीं। इस अकाल से मुक्ति के लिए उपाय बताया गया कि राजा जनक और रानी सुनयना हल से खेत जोतें। सभी जानते हैं कि खेत में घड़ा था जिस पर हल की नोक लग गई। घड़ा टूटा तो उसमें से किशोरी जी का प्राक्टय हुआ। बरसात होने लगी। जीवन में जब तक भक्ति का प्राक्टय नहीं होता, प्रेम और करुणा की बरसात नहीं होती। भक्ति आती है तो अकाल जैसा ह्रदय शस्य-श्यामला हो जाता है।

दशरथ मरण के प्रंसग: जो बीत गया, वो बीत गया, उस पर शोक न करें
दशरथ मरण के प्रंसग पर बोलते हुए बापू ने कहा कि जो बीत गया, वो बीत गया। उस पर शोक न करें। मानस में बताया गया है कि शोक कब किया जाए, कब न किया जाए। जो ब्राह्मणों का अपमान करे, करे कुछ नहीं और बोलता ही रहे, वो मरने के बाद शोक करने योग्य है। जो हमेशा मोहग्रस्त रहे, वो गृहस्थ शोक करने योग्य है। प्रपंच करने वाला सन्यासी सोच करने लायक है।
जो ब्राह्मण ब्रहम को न जाने, जिसमें ब्राह्मणत्व न हो और निजी विलासिता में ही लगा रहे, वो मृत्यु के बाद शोक करने योग्य है। जो राजा नीति नहीं जानता और जिसे अपनी प्रजा प्राण से प्रिय नहीं है, वो राजा मरे तो शोक करने लायक है। मानस में बताया गया है कि ऐसा व्यक्ति मृत्यु के बाद शोक करने लायक है जो धनवान होते हुए भी कृपण है। धनवान तो है मगर लोभी बहुत है। धनवान को चाहिए उदार बने।
पैसे की पूजा न करें। पैसा प्रवाहित होना चाहिए। पैसा एक जगह स्थिर हो जाए तो असमानता बन जाती है। दिल्ली में फुटपाथ पर सोते लोग देखता हूं तो लगता है पैसा कहीं स्थिर हो गया है। प्रवाहित यानि सब तक पहुंचे। ऐसे जरूरतमंदों के लिए दशांश ईमानदारी से निकालें। जब अभावग्रस्तता है तो पैसे की पूजा न हो, प्रवाह हो। कुछ हिस्सा निकालने से कुछ फर्क नहीं पड़ता।

सामूहिक प्रयास हों तो अच्छे परिणाम सामने आ सकते हैं
बापू ने कहा कि दिल्ली और एनसीआर में प्रदूषण कम हो, इसका प्रयास सभी को मिल-जुल कर करना चाहिए। इसे सिर्फ किसी एक व्यक्ति या संस्था की जिम्मेदारी न मानें। प्रदूषण की समस्या दिल्ली में ज्यादा है। इस पर सभी को ध्यान देना चाहिए। सब लोग ऐसे प्रयास करें कि इसमें वृद्धि न हो और ये कम हो जाए। सामूहिक प्रयास हों तो अच्छे परिणाम सामने आ सकते हैं। उन्होंने कहा कि प्रदूषण के कारण बीमारियां न बढ़ें, इसके लिए भी मास्क लगाने आदि सभी उपाय करने चाहिए।

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