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High Court  asked Delhi Municipal Corporation Officials On Contempt Of Order – दिल्ली : आदेश की अवमानना पर हाईकोर्ट ने पूछा- व्हीलचेयर से फुटपाथ का क्यों नहीं किया निरीक्षण

हाईकोर्ट ने बृहस्पतिवार को दक्षिण दिल्ली नगर निगम (एसडीएमसी) के अधिकारियों से पूछा कि व्हीलचेयर पर बैठकर वसंत विहार के फुटपाथों की उपयुक्तता का निरीक्षण क्यों नहीं किया। अदालत ने अधिकारियों से पूछा कि क्या व्हीलचेयर पर बैठना उनकी गरिमा को कम करता है?

अदालत ने पूछा कि 15 नवंबर के उस आदेश का पालन क्यों नहीं किया गया जिसमें कहा गया था कि फुटपाथ की उपयुक्तता परखने के लिए उन पर निगम के इंजीनियर व्हीलचेयर पर बैठकर बिना किसी मदद या सहायता के घूमेंगे।

न्यायमूर्ति नजमी वजीरी ने कहा कि वे मान कर चल रहे थे कि निगम अधिकारियों ने ये परीक्षण कर लिया होगा। ये क्यों नहीं किया गया? क्या व्हीलचेयर पर बैठना आपकी गरिमा को कम करता है? डिमोलिशन पर प्रतिबंध लगा हुआ है, क्या इस पर भी रोक है? क्या हाईकोर्ट के आदेश का पालन करने पर भी रोक है? अगर आपको लगता है ये आपकी गरिमा के खिलाफ है तो हमें बताइए? आप व्हीलचेयर पर बैठे लोगों की गरिमा का सम्मान नहीं करते?  

एसडीएमसी की ओर से अधिवक्ता संजीव सभरवाल ने कहा कि बढ़े प्रदूषण के कारण डिमोलिशन पर रोक है, इसलिए निगम रैंप को नहीं तोड़ पाया। इसे जल्दी ही कर दिया जाएगा।

अदालत ने कहा कि घरों के बाहर बने रैंप की ऊंचाई को एसडीएमसी के मानकों के अनुसार ठीक करिए ताकि व्हीलचेयर या वॉकर का इस्तेमाल करने वालों को दिक्कत न हो। अदालत ने ये निर्देश भावरीन कंधारी की अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है। भावरीन ने अधिवक्ता आदित्य एन प्रसाद के जरिये याचिका दायर कर कहा था कि वसंत विहार में सैकड़ों पेड़ों के चारों ओर कंक्रीट के घेरे बना दिए गए हैं, उनका संरक्षण होना चाहिए।

याचिका पर सुनवाई के दौरान निगम ने अदालत को बताया कि पेड़ों और सड़कों पर लगातार पानी का छिड़काव किया जा रहा है ताकि धूल और प्रदूषण न हो। इसके पेड़ों से कंक्रीट हटाने से हुए मलबे को भी हटा दिया गया है।  दिल्ली सरकार के लोक निर्माण विभाग की ओर से पेश अधिवक्ता ने कहा कि पेड़ों को पानी देने और छिड़काव का काम आउटर रिंग रोड पर मोदी मिल से एयरपोर्ट तक और वसंत विहार में लगातार किया जा रहा है।  एजेंसी

दिव्यांगों को बुनियादी ढांचा मुहैया न कराना संविधान का उल्लंघन
उच्च न्यायालय ने कहा कि दिव्यांगों को जरूरी बुनियादी ढांचे की अनुपलब्धता संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है। अदालत ने राजधानी में स्थिति का आकलन करने के लिए सामाजिक दिव्यांगता ऑडिट का आदेश दिया है। न्यायमूर्ति नजमी वजीरी ने एक दिव्यांग स्कूली छात्रा ज्योति सिंह द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान यह आदेश दिया।  

न्यायमूर्ति वजीरी ने कहा स्वतंत्रता को हर संभव तरीके से सम्मानित और आश्वस्त किया जाना चाहिए, इसे नागरिक सुविधाओं की कमी से रोका नहीं जा सकता।  अदालत ने कहा उत्तरी दिल्ली नगर निगम, लोक निर्माण विभाग, डिस्कॉम, दिल्ली पुलिस, दिल्ली यातायात पुलिस, दिल्ली परिवहन निगम, दिल्ली मेट्रो रेल निगम, नई दिल्ली नगर पालिका परिषद के साथ-साथ ऐसी अन्य एजेंसियों सहित प्रत्येक एजेंसी एक वरिष्ठ अधिकारी को नियुक्त करेगी। दिव्यांगों के लिए उचित सुविधाओं के प्रावधान के लिए सरकार द्वारा नियुक्त नोडल अधिकारी के साथ सहायता और समन्वय करने के लिए कार्यकारी अभियंता का पद होना चाहिए। बयूरो

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