Sharda University News : "अहिंसा का आलोक, महावीर का संदेश, शारदा विश्वविद्यालय में श्रद्धा, संस्कृति और प्रेरणा के साथ मनाई गई महावीर जयंती"

ग्रेटर नोएडा | रफ़्तार टुडे
नॉलेज पार्क स्थित शारदा विश्वविद्यालय ने बुधवार को भगवान महावीर स्वामी की 2623वीं जयंती को एक आध्यात्मिक उत्सव के रूप में मनाया, जिसमें विद्यार्थियों, शिक्षकों, और प्रशासनिक अधिकारियों ने एक साथ मिलकर जैन धर्म के मूल सिद्धांतों – अहिंसा, सत्य, तप और करुणा – को आत्मसात किया और अपने जीवन में उतारने का संकल्प लिया।
पूजा-अर्चना और माल्यार्पण से हुआ कार्यक्रम का शुभारंभ
कार्यक्रम की शुरुआत प्रो चांसलर वाई. के. गुप्ता और रजिस्ट्रार डॉ. विवेक गुप्ता द्वारा भगवान महावीर स्वामी की प्रतिमा पर माल्यार्पण और पूजा-अर्चना से हुई। इस अवसर पर उन्होंने संपूर्ण विश्वविद्यालय समुदाय की ओर से भगवान महावीर को श्रद्धांजलि अर्पित की और जैन दर्शन के उच्चतम मूल्यों पर प्रकाश डाला।
वाई. के. गुप्ता ने कहा, “लक्ष्य के प्रति पूर्ण समर्पण ही किसी को महावीर बनाता है। उन्होंने जो उपदेश दिए – संयम, मौन, दया, और आत्मबल – वो आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने सदियों पहले थे।” उन्होंने आगे कहा कि भगवान महावीर का दर्शन, सिर्फ जैन समुदाय के लिए नहीं, बल्कि पूरी मानवता के कल्याण का मार्ग है।

सांस्कृतिक प्रस्तुतियां और विचार मंच
कार्यक्रम के दौरान छात्रों ने सांस्कृतिक प्रस्तुतियां, भक्ति गीत, और आध्यात्मिक विचार मंच के माध्यम से भगवान महावीर के जीवन और शिक्षाओं को प्रस्तुत किया। इन प्रस्तुतियों ने न केवल धार्मिक भावनाओं को जाग्रत किया बल्कि युवाओं के भीतर संयम, समर्पण और सेवा भावना के बीज भी बो दिए।
विचार गोष्ठी में उभरे आधुनिक भारत में महावीर के सिद्धांतों के मायने
इस मौके पर आयोजित एक चर्चा सत्र में शिक्षकों और विद्यार्थियों ने भगवान महावीर की शिक्षाओं पर विस्तृत विचार-विमर्श किया। विषय था – “आधुनिक भारत में अहिंसा और आत्म संयम की भूमिका“। वक्ताओं ने बताया कि कैसे महावीर के सिद्धांत आज के अराजक, हिंसात्मक और प्रतिस्पर्धी समय में एक रोशनी की किरण हैं।
उपस्थित गणमान्य व्यक्ति और संकाय सदस्य
इस कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के डीन रिसर्च डॉ. भुवनेश कुमार, स्पोर्ट्स डायरेक्टर डॉ. कपिल दवे, लेफ्टिनेंट यशोधरा राजे, प्रोफेसर रुचि जैन, डॉ. रानी अस्तया, डॉ. रचना बंसल, डॉ. रुचि, सहित विभिन्न विभागों के डीन और एचओडी भी मौजूद रहे। सभी ने अपने-अपने विचार रखे और भगवान महावीर की शिक्षाओं को अपने जीवन में उतारने का संकल्प लिया।

समापन संदेश: आत्मबल, दया और अनुशासन ही महावीर की विरासत
कार्यक्रम के अंत में प्रो चांसलर ने कहा, “आज जब हम भारत को विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में बढ़ रहे हैं, तो भगवान महावीर के सिद्धांत हमारे सांस्कृतिक और नैतिक पथप्रदर्शक बन सकते हैं। हमें चाहिए कि हम उनके दिखाए मार्ग पर चलकर शांति, समरसता और सह-अस्तित्व को बढ़ावा दें।”
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