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यूपी निकाय चुनाव: बजा शहरी निकाय चुनाव का डंका, 4 मई और 11 मई को होगा मतदान

लखनऊ, रफ्तार टुडे। उत्तर प्रदेश में बहुप्रतीक्षित नगर निकाय चुनाव का डंका आखिरकार बज ही गया है। उत्तर प्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग ने यूपी में नगर निगम, नगर पालिका और नगर ​पंचायतों में चुनाव संपन्न कराने के लिए तारीखों का ऐलान कर दिया है। कुल 2 चरणों में चुनाव संपन्न कराया जाएगा और पहला चरण से शुरु होगा। पहले चरण की वोटिंग 4 मई और दूसरे चरण की वोटिंग 11 मई को होगी, जबकि 13 मई को मतगणना होगी। नगर पालिका और नगर पंचायत के पदों पर बैलट पेपर से मतदान होगा। इसके अलावा चुनाव आयोग ने संवेदनशील जगहों पर अतिरिक्त पुलिस लगाने के निर्देश दिए हैं।

उत्तर प्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग के आयुक्त ने यहां प्रेस कांफ्रेंस के दौरान बताया कि राज्य निर्वाचन आयोग ने यूपी में नगर निकाय चुनाव संपन्न कराने के लिए पूरी तैयारी कर ली गई है। प्रदेश के 9-9 मंडलों में चुनाव कराया जाएगा। मेरठ, शामली, गाजियाबाद, ग्रेटर नोएडा में 2 चरण में चुनाव कराया जाएगा।

उत्तर प्रदेश में 17 नगर निगम के मेयर, 199 नगर पालिकाओं के अध्यक्ष और 544 नगर पंचायत के अध्यक्ष चुने जाने हैं। महापौर की 17 में से 9 सीटों को आरक्षित किया गया है। इनमें आगरा सीट एससी (महिला), झांसी एससी, शाहजहांपुर और फिरोजाबाद ओबीसी (महिला), सहारनपुर और मेरठ ओबीसी और लखनऊ, कानपुर और गाजियाबाद को महिला के लिए आरक्षित किया गया है। जबकि वाराणसी, प्रयागराज, अलीगढ़, बरेली, मुरादाबाद, गोरखपुर, अयोध्या और मथुरा-वृंदावन अनारक्षित सीटें हैं।

सीमा विस्तार का असर क्या?
सीमा विस्तार होने से नगर निगम, नगर पालिका और नगर पंचायत की संख्या बढ़ गई है। कुल मिलाकर अब 17 नगर निगम, 200 नगर पालिकाएं और 545 नगर पंचायत हैं। हालांकि, इनमें से 760 पर ही चुनाव होने हैं। पिछली बार यानी 2017 के चुनाव में 16 नगर निगम, 198 नगर पालिका और 438 नगर पंचायत थीं। यानी, इस बार एक नगर निगम, 2 नगर पालिका और 107 नगर पंचायतें बढ़ गई।

क्या होते हैं शहरी निकाय
जिस प्रकार देश में लोकसभा और राज्य में विधानसभा होती है, उसी प्रकार महानगर में नगर निगम, शहर में नगर पालिका और देहात क्षेत्र में नगर पंचायत होती है। इन तीनों के गठन का आधार जनसंख्या के आधार पर होता है। दस लाख की जनसंख्या वाले शहर में नगर निगम, 1 लाख से अधिक की जनसंख्या पर नगर पालिका और 20 हजार से अधिक की आबादी वाले क्षेत्र पर नगर पंचायत होती है। नगर निगम, नगर पालिका और नगर पंचायतों को विभिन्न वार्डों में विभाजित किया जाता है। नगर निगम में महापौर या मेयर इसके अध्यक्ष होते हैं, जबकि नगर पालिका में पालिकाध्यक्ष और नगर पंचायत में नगर पंचायत अध्यक्ष होते हैं। इसके अलावा प्रत्येक वार्ड में पार्षद और सभासद होते हैं। इन सभी का चुनाव जनता द्वारा किया जाता है। नगर निगम में प्रशासनिक अधिकारी के तौर पर नगर आयुक्त होते हैं, जबकि नगर पालिका और नगर पंचायत में प्रशासनिक अधिकारी के तौर पर अधिशासी अधिकारी होते हैं।

नगर निगम के मेयर, नगर पालिका और नगर पंचायत के अध्यक्ष और सभासदों का चुनाव भी विधायक और सांसद की भांति होता है। जनता डायरेक्ट इनका चुनाव करती है।

नगर निगम, नगर पालिका व नगर पंचायत के चुनाव से पूर्व जिला प्रशासन या स्थानीय प्रशासन द्वारा निर्वाचन नामावली का प्रकाशन किया जाता है। जिसके बाद जिस मतदाता का नाम निर्वाचन नामावली में होता है, वहीं मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करता है। यह सूची लोकसभा व विधानसभा चुनाव से अलग होती है। नगर निगम के मेयर व पार्षदों, नगर पालिकाध्यक्ष और नगर ​पंचायत अध्यक्ष व सभसदों के चुनाव वही व्यक्ति लड़ सकता है, जो उस शहर का निवासी हो। चुनाव संपन्न होने के बाद एक बैठक होती है, जिसमें नगर निगम, नगर पालिका और नगर पंचायत बोर्ड का गठन किया जाता है। यही बोर्ड शहर और नगर की साफ सफाई, वॉटर सप्लाई, जन स्वास्थ्य, सड़क, नाली नालों का निर्माण व जनता से जुड़े अन्य कार्यों को पूरा कराता है।

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