RSS News : 100 वर्षों की तपस्या, राष्ट्र निर्माण की प्रेरणा, ग्रेटर नोएडा और ग्रेनो वेस्ट में संघ के शताब्दी वर्ष का भव्य उत्सव, 94 स्थानों पर 8000 स्वयंसेवकों का अभूतपूर्व पथ संचलन — एकता, अनुशासन और पंच परिवर्तन का सशक्त संदेश, पथ संचलन में गूंजा राष्ट्रगीत, अनुशासन ने किया सबको प्रभावित

ग्रेटर नोएडा, रफ़्तार टुडे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की स्थापना के 100 वर्ष पूर्ण होने पर पूरा देश इस समय एक ऐतिहासिक दौर से गुजर रहा है। यह केवल एक संगठन का शताब्दी वर्ष नहीं, बल्कि भारत के सामाजिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पुनर्जागरण की एक शताब्दी है। इसी गौरवशाली यात्रा के उपलक्ष्य में ग्रेटर नोएडा और ग्रेनो वेस्ट में संघ का शताब्दी उत्सव और विजयदशमी कार्यक्रम अत्यंत भव्य और अनुशासित रूप से मनाया गया।
28 सितंबर से 5 अक्टूबर तक जिला गौतमबुद्ध नगर की 94 शाखाओं और मंडलों पर आयोजित पथ संचलन कार्यक्रमों में 8000 से अधिक स्वयंसेवकों ने पूर्ण गणवेश में भाग लेकर राष्ट्रभक्ति और अनुशासन की मिसाल पेश की। इस दौरान “एकता, सेवा और सामाजिक परिवर्तन” का संदेश जन-जन तक पहुंचा। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का यह शताब्दी वर्ष केवल संगठन का उत्सव नहीं, बल्कि एक सदी की साधना का परिणाम है।
यह संदेश देता है कि यदि समाज अनुशासन, समर्पण और सेवा की भावना से जुड़ जाए, तो भारत विश्वगुरु बनने की दिशा में अगला कदम उठा चुका है।
पथ संचलन में गूंजा राष्ट्रगीत, अनुशासन ने किया सबको प्रभावित
ग्रेटर नोएडा की गलियां और मैदान जब स्वयंसेवकों की कदमताल और घोषों से गूंज उठे, तो दृश्य मन को राष्ट्रभक्ति से भर देने वाला था।
गीत के सुरों और घोष के ताल पर कदमताल करते स्वयंसेवक समाज को यह संदेश दे रहे थे कि संघ का उद्देश्य केवल संगठन निर्माण नहीं, बल्कि राष्ट्र के चरित्र निर्माण से जुड़ा है।
हर बस्ती, हर मार्ग पर पुष्पवर्षा से स्वयंसेवकों का स्वागत हुआ। बच्चे, बुजुर्ग और महिलाएं अपने घरों से बाहर निकलकर इस अद्भुत दृश्य के साक्षी बने।
“पंच परिवर्तन” बना केंद्र बिंदु, समाज परिवर्तन की नई दिशा तय
इस वर्ष संघ ने अपने शताब्दी वर्ष में जो मुख्य संकल्प लिया है, वह है “पंच परिवर्तन” — एक ऐसा विचार जो समाज के हर वर्ग को जोड़ता है।
इस अवधारणा को विस्तार से बताते हुए अखिल भारतीय अधिकारी श्री रूपेश जी ने कहा “कुटुंब प्रबोधन, सामाजिक समरसता, पर्यावरण संरक्षण, स्व जागरण और नागरिक कर्तव्य – यही वे पांच स्तंभ हैं जो आने वाले भारत की दिशा और दशा तय करेंगे।”
उन्होंने कहा कि संघ की यह यात्रा केवल विचारों की नहीं, बल्कि जीवन को समाज के हित में समर्पित करने की यात्रा है।

संघ की सौ वर्ष की गौरवगाथा: राष्ट्र सेवा का प्रेरक अध्याय
सह प्रांत प्रचार प्रमुख श्री आनंद जी ने संघ की 100 वर्षों की यात्रा का वर्णन करते हुए कहा “संघ ने सदैव देश के सबसे कमजोर व्यक्ति तक पहुंचकर उसे आत्मगौरव का भाव दिया है। स्वतंत्रता संग्राम से लेकर सेवा कार्यों तक, संघ ने हर मोड़ पर राष्ट्र निर्माण में अपनी भूमिका निभाई है।”
उन्होंने यह भी कहा कि शताब्दी वर्ष केवल उत्सव नहीं, बल्कि नए संकल्पों और आत्ममंथन का कालखंड है।
विजयदशमी पर मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम से प्रेरणा लेने का संदेश
संघ के सह प्रचार प्रमुख श्री तपन जी ने मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के चरित्र से प्रेरणा लेते हुए कहा “राम केवल एक व्यक्ति नहीं, बल्कि आदर्श हैं — अनुशासन, सेवा, मर्यादा और समर्पण के प्रतीक। जब समाज इन मूल्यों पर चलेगा, तभी सच्चे अर्थों में अच्छाई की विजय होगी।”
उन्होंने बताया कि विजयदशमी का पर्व अच्छाई की जीत और बुराई के अंत का प्रतीक है, और संघ इस परंपरा को समाजिक एकता से जोड़ रहा है।
संगठन की शक्ति ही राष्ट्र की शक्ति — संचलन ने दिखाया अनुशासन का अद्भुत दृश्य
प्रांत के शारीरिक प्रमुख श्री राजेश जी ने कहा कि संचलन केवल परेड नहीं, बल्कि यह संगठन की जीवंत ऊर्जा का प्रदर्शन है। उन्होंने कहा, “जब हजारों स्वयंसेवक एक ही ताल पर कदम बढ़ाते हैं, तो यह भारत की सामूहिक चेतना और शक्ति का प्रतीक बन जाता है।”
वहीं, प्रांत के बौद्धिक प्रमुख श्री सुनील जी ने संघ की कठिन परिस्थितियों में भी सतत राष्ट्र सेवा की परंपरा पर विस्तार से प्रकाश डाला।
वरिष्ठ पदाधिकारियों की गरिमामयी उपस्थिति ने बढ़ाया कार्यक्रम का महत्व
इस अवसर पर जिला प्रचारक श्री नेमपाल जी, विभाग प्रचारक श्री चिरंजीव जी और विभाग प्रचार प्रमुख श्री मुकेश जी भी उपस्थित रहे।
उन्होंने स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए कहा कि “संघ का हर स्वयंसेवक एक चलता-फिरता विद्यालय है, जो समाज में सेवा, त्याग और एकता के संस्कार फैलाता है।”
शताब्दी वर्ष के पांच संकल्प: सशक्त राष्ट्र की दिशा में बढ़ते कदम
संघ ने अपने शताब्दी वर्ष के अवसर पर पांच प्रमुख संकल्प लिए हैं कार्य विस्तार – हर गांव, हर मोहल्ले तक संघ की शाखा।
सज्जन शक्ति का जागरण – अच्छे लोगों को समाज सेवा में जोड़ना।
कार्य की गुणात्मकता – संगठन की कार्यशैली में उत्कृष्टता।
विमर्श – समाजिक मुद्दों पर संवाद और विचार-विमर्श।
सामाजिक परिवर्तन – समाज को समरस, सशक्त और आत्मनिर्भर बनाना।
इन संकल्पों को जन-जन तक पहुंचाने के लिए आगामी महीनों में गृह संपर्क अभियान, कुटुंब संवाद, और पर्यावरण संरक्षण गतिविधियां आयोजित की जाएंगी।
समरसता और स्वच्छ विचारों से सजेगा “नया भारत”
संघ का उद्देश्य केवल शाखाओं का विस्तार नहीं, बल्कि मानवता और नैतिकता का विस्तार है।
कार्यक्रमों के दौरान यह स्पष्ट हुआ कि संघ के स्वयंसेवक समाज में सकारात्मक परिवर्तन के वाहक बन रहे हैं।
चाहे पर्यावरण संरक्षण की बात हो या सामाजिक समरसता की, संघ का प्रत्येक कार्य “सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास” की भावना को मजबूत कर रहा है।



