BJP Gautambudh Nagar News : गौतमबुद्ध नगर का भाटी परिवार, त्याग, संगठन और राष्ट्रहित को सर्वोपरि मानने वाली संघनिष्ठ परंपरा का जीवंत प्रतीक, त्याग, अनुशासन और समर्पण से भरा 33 वर्षों का सफर, संघ और भाजपा की विचारधारा को चमकाने वाली भाटी परिवार की विरासत

गौतमबुद्ध नगर, रफ़्तार टुडे। “व्यक्ति से बड़ा संगठन और संगठन से बड़ा राष्ट्र” – इस सिद्धांत को जीवन का आधार बनाने वाला परिवार आज भी लाखों कार्यकर्ताओं के लिए प्रेरणा है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) की विचारधारा को जन-जन तक पहुँचाने में भाटी परिवार ने 33 वर्षों से जो त्याग और समर्पण दिखाया है, वह बेमिसाल है।
संघ ने विजयादशमी 2025 पर अपने 101वें वर्ष में प्रवेश किया। 1925 में डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार द्वारा स्थापित इस संगठन ने स्वतंत्रता आंदोलन से लेकर आपातकाल, सामाजिक उत्थान से लेकर सांस्कृतिक पुनर्जागरण तक हर क्षेत्र में योगदान दिया। इसी महान परंपरा को आगे बढ़ाते हुए गौतमबुद्ध नगर के प्रणीत भाटी ने अपने जीवन को संगठन और राष्ट्र को समर्पित कर दिया।
प्रारंभिक जीवन और परिवार से मिली प्रेरणा
प्रणीत भाटी का जन्म ऐसे घर में हुआ, जहाँ संघ और भाजपा के संस्कार पीढ़ी दर पीढ़ी प्रवाहित होते रहे। उनके पिता स्व. तेजपाल भाटी संघ और भाजपा की विभिन्न जिम्मेदारियों का निर्वहन कर चुके थे। बड़े भाई स्व. प्रवीण भाटी भाजपा के जिलाध्यक्ष रहे और दादरी-नोएडा विधानसभा से चुनाव भी लड़े।
ऐसे परिवार में जन्म लेने से ही प्रणीत के जीवन में राष्ट्रभक्ति और संगठन निष्ठा की गहरी जड़ें पड़ गईं। यही कारण है कि नगर पालिका अध्यक्ष या विधायक की टिकट न मिलने पर भी उन्होंने संगठन से कभी दूरी नहीं बनाई।

1992 से शुरू हुआ सफर – नंगे पाँव गली-गली में प्रचार
जब 1990 के दशक में अयोध्या आंदोलन का नारा “रामलला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे” देशभर में गूंज रहा था, उस समय दादरी की गलियों में प्रणीत भाटी नंगे पाँव, हाथ में भगवा ध्वज लिए कार्यकर्ताओं के साथ निकलते थे।
1992 से उन्होंने संघ की शाखाओं और प्रांत स्तरीय गतिविधियों में सक्रिय योगदान देना शुरू किया। शिक्षा, संस्कार और सामाजिक उत्थान से जुड़े अभियानों का नेतृत्व किया। रक्तदान शिविर, आपदा सहायता, भूदान क्षेत्र विकास, मंदिर निर्माण आंदोलन और राष्ट्र रक्षा अभियानों में अहम भूमिका निभाई।
प्रमुख सामाजिक अभियानों में योगदान
प्रणीत भाटी ने कई राष्ट्रीय और प्रांतीय स्तर के अभियानों में सक्रिय भागीदारी निभाई तरुण चेतना उत्थान समिति से जुड़कर युवा जागरूकता अभियान चलाया। भारत निर्माण तुर्द मेर में समाज सेवा गतिविधियों का नेतृत्व किया।
समरसता महाशिविर और राष्ट्रीय रक्षा महाशिविर (ब्रज प्रांत) में पूर्ण निष्ठा के साथ योगदान दिया। इन अभियानों ने न केवल उन्हें समाज में पहचान दिलाई बल्कि संगठन की पकड़ भी मजबूत की।

राजनीतिक जीवन और जिम्मेदारियाँ
प्रणीत भाटी का सफर सिर्फ सामाजिक अभियानों तक सीमित नहीं रहा। उनका राजनीतिक सफर भी उतना ही उल्लेखनीय है।
भाजपा के नगर अध्यक्ष बने।
उसके बाद जिला अध्यक्ष के रूप में संगठन को मजबूती दी।
क्षेत्रीय समिति सदस्य के तौर पर कार्य किया।
भाजपा किसान मोर्चा, उत्तर प्रदेश में सक्रिय भूमिका निभाई।
मुरादाबाद, गाजियाबाद और झाँसी के अभियानों में भी योगदान दिया। 2024 विधानसभा चुनाव में संगठनात्मक जिम्मेदारी निभाते हुए भाजपा को सुदृढ़ करने में अहम भूमिका निभाई। उनकी पहचान हमेशा एक निष्ठावान स्वयंसेवक और समर्पित संगठनकर्ता के रूप में रही है।
संगठन को सर्वोपरि मानने की परंपरा
भाटी परिवार की सबसे बड़ी विशेषता रही है –
निजी स्वार्थ या लाभ को हमेशा त्यागना।
संगठन और राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखना।
कठिनाइयों और अभावों के बावजूद विचारधारा से समझौता न करना।
प्रणीत भाटी कहते हैं “देश को विश्वगुरु बनाने के लिए आज की युवा पीढ़ी को राष्ट्रवादी विचारधारा, संगठन निष्ठा और समाज सेवा का उदाहरण प्रस्तुत करना होगा। यदि युवा स्वयं को संगठन और राष्ट्र के लिए समर्पित कर दें तो उनका जीवन एक निरंतर सेवा-यज्ञ बन जाता है।”

त्याग और सेवा का अद्वितीय उदाहरण
गौतमबुद्ध नगर का भाटी परिवार उन गिने-चुने परिवारों में से है जिन्होंने संगठन को सर्वोपरि और राष्ट्रहित को सर्वोच्च माना।
33 वर्षों से चल रहा यह सफर आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा है।
त्याग, अनुशासन और निष्ठा ही उनकी सबसे बड़ी पहचान है।
यह परिवार संघ और भाजपा की विचारधारा को गांव-गांव, गली-गली तक पहुंचाने का काम करता रहा है।
भाटी परिवार की यह गाथा बताती है कि जब कोई परिवार निजी स्वार्थ छोड़कर संगठन और राष्ट्र के लिए खड़ा हो जाता है तो उसका हर क्षण सेवा-यज्ञ बन जाता है।
भाटी परिवार की विरासत
भाटी परिवार की यह परंपरा केवल प्रणीत तक सीमित नहीं रही।
पिता तेजपाल भाटी और भाई प्रवीण भाटी ने भी संघ और भाजपा को जीवन का आधार बनाया।
वर्तमान पीढ़ी भी इन्हीं मूल्यों को आत्मसात कर संगठन और समाज की सेवा में लगी है।
इस परिवार ने यह दिखाया कि राजनीति का असली मकसद व्यक्तिगत लाभ नहीं, बल्कि राष्ट्र और समाज की सेवा है।
संघ और भाजपा की विचारधारा का प्रचार-प्रसार
संघ और भाजपा की विचारधारा को जन-जन तक पहुंचाने के लिए भाटी परिवार का योगदान उल्लेखनीय रहा है।
यह परिवार हमेशा से समाज सेवा, राष्ट्रवाद और संगठन निष्ठा के रास्ते पर चलता आया है।
गांव-गांव और घर-घर तक संघ और भाजपा का संदेश पहुंचाने में इस परिवार ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
त्याग और अनुशासन के साथ काम करते हुए इन्होंने दिखाया कि विचारधारा को जीवन से बड़ा मानने का क्या अर्थ होता है।
गौतमबुद्ध नगर का भाटी परिवार न सिर्फ संघ और भाजपा की विचारधारा को जन-जन तक पहुंचाने में अग्रणी रहा है, बल्कि उन्होंने यह भी दिखाया है कि निजी महत्वाकांक्षाओं से ऊपर उठकर संगठन और राष्ट्रहित को कैसे सर्वोपरि रखा जा सकता है।
33 वर्षों का यह पारिवारिक सफर आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा है। यह परिवार त्याग, समर्पण और राष्ट्रसेवा का जीवंत प्रतीक है।
संगठन से बड़ा कुछ नहीं।
राष्ट्रहित में ही व्यक्तिगत हित समाहित है।
त्याग और अनुशासन से ही समाज और देश मजबूत होता है।
संघ और भाजपा की विचारधारा को जन-जन तक पहुंचाना हर स्वयंसेवक का कर्तव्य है।



