Greater Noida Authority News : मायचा में किसानों की लीजबैक लड़ाई पहुंची निर्णायक दौर में! प्राधिकरण की सुनवाई जारी, 26 प्रकरणों पर हुआ विचार, प्राधिकरण की समिति ग्रामवार कर रही सुनवाई, सबूतों के साथ पेश हुए ग्रामीण, उम्मीद – जल्द मिलेगा न्याय

ग्रेटर नोएडा, रफ़्तार टुडे।।
ग्रेटर नोएडा के मायचा गांव में लीजबैक से जुड़े किसानों के 26 प्रकरणों पर शुक्रवार को प्राधिकरण की विशेष समिति ने सुनवाई की।
गांव के किसानों की वर्षों पुरानी मांग को अब गंभीरता से लिया जा रहा है और 24 मार्च से चल रही ग्रामवार सुनवाई प्रक्रिया के अंतर्गत मायचा गांव का नंबर आया।
इस सुनवाई में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के ओएसडी गिरीश कुमार झा, ओएसडी जितेन्द्र गौतम और ओएसडी राम नयन सिंह ने किसानों की आपत्तियों और दस्तावेजों को ध्यानपूर्वक सुना और देखा।
क्या है लीजबैक प्रकरण? क्यों किसान सालों से कर रहे हैं मांग?
ग्रेटर नोएडा क्षेत्र में जब शहरीकरण के लिए अधिग्रहण शुरू हुआ था, तब कई गांवों की जमीन सरकार द्वारा अधिग्रहीत की गई थी।
परंतु ग्रामीणों का कहना है कि जिस उद्देश्य से जमीन ली गई थी, उस पर न तो निर्माण हुआ, न ही उसका कोई उपयोग।
ऐसे में किसान चाहते हैं कि उनकी जमीन उन्हें फिर से लीज पर वापस दे दी जाए, यानी लीज बैक कर दी जाए ताकि वे उसका उपयोग कर सकें या मुआवजा पुनः प्राप्त कर सकें।
मायचा गांव में उठी न्याय की पुकार – 26 केसों की सुनवाई में क्या हुआ खास
शुक्रवार को प्राधिकरण के तीनों ओएसडी अधिकारियों ने मायचा के 26 अलग-अलग लीजबैक मामलों पर किसानों से साक्ष्य एकत्र किए।
कई किसानों ने पुराने रिकॉर्ड, नक्शे, राजस्व अभिलेख और सीमांकन संबंधी दस्तावेज पेश किए। कुछ मामलों में किसानों ने भूमि पर आज भी कब्जा न होने या उपयोग न होने के साक्ष्य दिए।
ओएसडी गिरीश कुमार झा ने बताया कि यह सुनवाई आबादी व्यवस्थापन समिति के तहत की जा रही है, जो गांववार सभी विवादों को शांतिपूर्ण व दस्तावेज आधारित समाधान देने का कार्य कर रही है।
गांववालों की उम्मीद – अब मिलेगी न्याय की रौशनी
सुनवाई में भाग लेने वाले किसान नेता रामधारी शर्मा ने कहा –
“हमारे पूर्वजों की जमीन विकास के नाम पर ली गई थी, लेकिन उसका कोई उपयोग नहीं किया गया। अब हम चाहते हैं कि वह जमीन वापस मिले ताकि हम अपने बच्चों का भविष्य बना सकें।“
एक अन्य किसान शिव कुमार मायचा ने बताया –
“कई दशकों से हमारे परिवार जमीन वापसी के लिए दर-दर भटक रहे हैं। अब प्राधिकरण की यह पहल सराहनीय है।“
24 मार्च से चल रही सुनवाई – तय शेड्यूल के अनुसार गांववार प्रक्रिया
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने लीजबैक, आबादी और पट्टे से जुड़े मामलों को निपटाने के लिए एक समिति का गठन किया है, जो ग्रामवार सुनवाई कर रही है।
सुनवाई की प्रक्रिया 24 मार्च से शुरू की गई थी, जिसमें हर सप्ताह अलग-अलग गांवों के केस लिए जा रहे हैं।
इस समिति में भूलेख, योजना, संपत्ति और विधि विभाग के अधिकारी शामिल हैं। सुनवाई का उद्देश्य है कि सभी मामलों का निष्पक्ष और त्वरित निस्तारण किया जा सके।
प्राधिकरण की नीति – किसानों की समस्याओं का न्यायसंगत हल
सीईओ एन.जी. रवि कुमार और उनकी टीम का कहना है कि प्राधिकरण किसानों के साथ न्याय करेगा।
प्राधिकरण ने लीजबैक, मुआवजा, आबादी निस्तारण जैसे विषयों को प्राथमिकता सूची में डाला है।
ओएसडी गिरीश कुमार झा ने कहा –
“हमारी नीति है कि कोई भी मामला लंबित न रहे। सभी किसानों को दस्तावेज पेश करने का पूरा अवसर दिया जा रहा है।“
📍 क्यों है मायचा का मामला खास?
- मायचा गांव ग्रेटर नोएडा के केंद्र में है और इसकी जमीन वाणिज्यिक और आवासीय दृष्टि से अत्यंत मूल्यवान है।
- यहां की अधिग्रहित भूमि का काफी हिस्सा वर्षों से खाली पड़ा है।
- गांववालों का दावा है कि जमीन का उपयोग न होने पर उन्हें उचित मुआवजा और लीजबैक का अधिकार मिलना चाहिए।
आगे क्या? कैसे निस्तारित होंगे प्रकरण?
प्राधिकरण ने स्पष्ट किया है कि –
- जिन किसानों के दस्तावेज प्रामाणिक पाए जाएंगे, उनके केस को अनुशंसा के साथ बोर्ड में भेजा जाएगा।
- लीजबैक की स्वीकृति के बाद संबंधित जमीनों पर री-लीज की प्रक्रिया शुरू होगी।
- अगर किसी जमीन पर पहले से निर्माण या विकास कार्य हो चुका है, तो उस आधार पर नियमों के तहत निर्णय लिया जाएगा।
समाजसेवियों और अधिवक्ताओं की भी भागीदारी
सुनवाई में कई सामाजिक कार्यकर्ता, अधिवक्ता और स्थानीय पंचायत प्रतिनिधि भी मौजूद रहे, जो किसानों को दस्तावेज तैयार करने और कानूनी सलाह देने में सहायता कर रहे हैं।
अधिवक्ता अनुराग शुक्ला ने बताया –
“कई किसानों के पास कागजात हैं, लेकिन प्रक्रिया की जानकारी नहीं। अब समिति की वजह से पारदर्शिता आई है।“
सकारात्मक संकेत – प्राधिकरण और किसानों के बीच बना संवाद का पुल
इस प्रक्रिया से यह स्पष्ट हो गया है कि अब किसान और प्राधिकरण आमने-सामने नहीं, बल्कि साथ-साथ समाधान की दिशा में बढ़ रहे हैं।
प्राधिकरण की इस पारदर्शी नीति से अन्य गांवों के किसानों में भी उम्मीद जगी है।
लीजबैक सुनवाई – अब तक का ब्यौरा (संक्षेप में)
बिंदु | विवरण |
---|---|
शुरूआत | 24 मार्च 2025 |
अब तक कवर किए गए गांव | 12+ |
मायचा में केस | 26 |
जिम्मेदार अधिकारी | गिरीश कुमार झा, जितेन्द्र गौतम, राम नयन सिंह |
कार्यप्रणाली | ग्रामवार सुनवाई, दस्तावेज मूल्यांकन, अनुशंसा |
ग्रामीणों की मांग – तय समय में हो हर गांव की सुनवाई
गांववालों का कहना है कि अब जब प्रक्रिया शुरू हो गई है, तो इसे सप्ताहवार फिक्स शेड्यूल के साथ समय से पूरा किया जाए।
मायचा के किसानों ने अन्य गांवों को भी आगे आने की सलाह दी है, ताकि न्याय की प्रक्रिया पूर्ण हो।
🔚 निष्कर्ष – न्याय की ओर बढ़ता एक ठोस कदम
ग्रेटर नोएडा में चल रही यह सुनवाई प्रक्रिया सिर्फ लीजबैक नहीं, बल्कि एक भरोसे की बहाली है।
किसानों को लगता था कि उनका पक्ष कभी नहीं सुना जाएगा, लेकिन अब प्राधिकरण के सहयोग से उम्मीद की किरण दिखाई दी है।
अगर यह मॉडल सफल रहा, तो यह अन्य ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के भूमि विवादों के लिए भी एक आदर्श मिसाल बन सकता है।
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