Noida Authority News : हाउसिंग क्राइसिस पर NOIDA का 'फाइनल अटैक', 4777 फँसे फ्लैट्स की रजिस्ट्री का रास्ता साफ़, अब बिल्डरों को 'नो एक्सक्यूज़' ज़ोन!, 219वीं बोर्ड बैठक में प्राधिकरण ने थामी घर खरीदारों की नब्ज, भ्रष्टाचार पर चाणक्य का प्रहार और जर्जर इमारतों के लिए 'मेकओवर' प्लान ऑन-बोर्ड!

नोएडा, रफ़्तार टुडे।नोएडा के लाखों निवासियों और हज़ारों घर खरीदारों के लिए आज एक ऐतिहासिक दिन साबित हुआ। उत्तर प्रदेश के अपर मुख्य सचिव और नोएडा प्राधिकरण के अध्यक्ष दीपक कुमार की अध्यक्षता में आयोजित 219वीं बोर्ड बैठक ने कई बड़े और दूरगामी फैसले लिए, जो नोएडा के मास्टर प्लान, शहरी विकास और सबसे बड़ी—रुकी हुई हाउसिंग परियोजनाओं की किस्मत बदलने की क्षमता रखते हैं।
करीब 11 बजे शुरू हुई इस मैराथन बैठक में प्राधिकरण ने सिर्फ बिल्डरों पर सख्ती नहीं की, बल्कि शहर के प्रदूषण नियंत्रण, जल प्रबंधन, और प्रशासनिक पारदर्शिता के लिए भी ‘ज़ीरो टॉलरेंस’ की नीति अपनाई।
सेक्शन 1: फँसी हाउसिंग परियोजनाओं पर “महा-राहत” पैकेज
बैठक का सबसे महत्वपूर्ण एजेंडा था, बिल्डर-खरीदार विवादों को जड़ से खत्म करना। बोर्ड ने फंसी हुई-रुकी हुई परियोजनाओं के निष्पादन के संबंध में शासन द्वारा जारी 7774 नंबर के शासनादेश को लागू करने में बड़ी तेज़ी दिखाई है।
बिल्डरों के लिए अब ‘नो एक्सक्यूज़’ ज़ोन
प्राधिकरण ने स्पष्ट किया कि कुल 57 परियोजनाएँ इस शासनादेश के अंतर्गत आती हैं। इनमें से अब तक 35 परियोजनाओं (कुल परियोजनाओं का 60% हिस्सा) के बिल्डरों ने शासनादेश के लाभ लेने की औपचारिक सहमति दे दी है। यह एक बड़ा मील का पत्थर है, जो दिखाता है कि लंबे समय से चली आ रही खींचतान अब ख़त्म होने की कगार पर है।
4777 रजिस्ट्री का तत्काल रास्ता साफ़:
इन 57 परियोजनाओं में, प्राधिकरण ने घोषणा की कि 4777 फ्लैटों की रजिस्ट्री का रास्ता तुरंत साफ़ हो गया है। प्राधिकरण ने पहले ही 3724 फ्लैट खरीदारों को उनकी रजिस्ट्री सौंप दी है, जिसका मतलब है कि हज़ारों परिवारों को अब जल्द ही अपने सपनों का घर मिलने वाला है। यह आंकड़ा न सिर्फ खरीदारों को राहत देगा, बल्कि प्राधिकरण के राजस्व को भी एक बड़ा बूस्ट देगा।
’25 प्रतिशत जमा’ नियम पर बड़ा बदलाव:
सबसे बड़ी राहत उन डेवलपर्स के लिए आई जो 25% धनराशि तुरंत जमा नहीं कर पा रहे थे।
- 13 डेवलपर पहले ही 25% धनराशि जमा कर चुके हैं।
- 36 डेवलपर ने 25% धनराशि जमा करने की सहमति दी है।
प्राधिकरण ने स्पष्ट किया कि यदि कोई डेवलपर सहमति देने के बावजूद 25% की न्यूनतम धनराशि जमा नहीं करता है, तो भी उससे कोई अतिरिक्त दंडात्मक ब्याज (पेनल्टी इंटरेस्ट) नहीं लिया जाएगा। यह एक अभूतपूर्व कदम है जिसका उद्देश्य बिल्डरों को डिफ़ॉल्ट होने से बचाना है, बशर्ते वे मूल बकाया जमा करने की अपनी मंशा ज़ाहिर रखें। यह फैसला उन डेवलपर्स को अंतिम मौका देता है जो आर्थिक तंगी के कारण अटके हुए हैं।

इस कदम को विश्लेषक एक संतुलित नीति मान रहे हैं, जो खरीदारों के हितों की रक्षा करते हुए, डेवलपर्स को परियोजनाएं पूरी करने के लिए एक व्यावहारिक समय-सीमा और वित्तीय छूट प्रदान करती है।
सेक्शन 2: ‘चाणक्य’ का आगमन: पारदर्शिता और भ्रष्टाचार पर ज़ीरो टॉलरेंस
नोएडा प्राधिकरण अब अपनी कार्यशैली को डिजिटल और पारदर्शी बनाने के लिए तैयार है।
प्रशासनिक प्रक्रियाओं का डिजिटलीकरण:
बोर्ड बैठक में यह फैसला लिया गया कि प्राधिकरण की सभी प्रशासनिक, वित्तीय और कार्य-निष्पादन संबंधी गतिविधियों को एक एकीकृत डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लाया जाएगा, जिसे ‘चाणक्य’ नाम दिया गया है।
- ‘चाणक्य’ के माध्यम से परियोजनाओं के तकनीकी मूल्यांकन, कार्य आवंटन और व्यय (Expenditure) का पूरा लेखा-जोखा ऑनलाइन उपलब्ध होगा। यह सिस्टम निविदा प्रक्रिया (Tendering) से लेकर भुगतान तक की हर कड़ी को डिजिटल रूप से ट्रैक करेगा।
- यह न सिर्फ मानवीय हस्तक्षेप को कम करेगा, बल्कि भ्रष्टाचार की गुंजाइश को भी ख़त्म कर देगा, जिससे परियोजनाओं की गुणवत्ता और समय पर पूरा होना सुनिश्चित होगा।
ठेकेदारों के भुगतान में क्रांति:
ठेकेदारों के भुगतान की प्रक्रिया को भी सरल बनाया गया है। अब भुगतान तकनीकी मूल्यांकन, प्रगति की फ़ोटो-वीडियो और थर्ड-पार्टी मॉनिटरिंग एजेंसी की रिपोर्ट के आधार पर किया जाएगा। यह सुनिश्चित करेगा कि काम की गुणवत्ता उच्च हो और सही काम के लिए सही समय पर भुगतान हो।
सेक्शन 3: नोएडा का ‘मेकओवर’ प्लान: जर्जर इमारतें और हरित क्रांति
शहर के इंफ्रास्ट्रक्चर और पर्यावरण को लेकर भी प्राधिकरण ने कई कड़े और भविष्योन्मुखी फैसले लिए।
जर्जर इमारतों का अनिवार्य पुनर्विकास (Redevelopment):
यह शायद सबसे साहसिक और सामाजिक रूप से महत्वपूर्ण निर्णय है। बोर्ड ने उन समूह आवास परियोजनाओं (Group Housing Projects) के लिए एक सख्त नीति को मंजूरी दी है, जो 12 वर्ष से अधिक पुरानी हैं।
- स्ट्रक्चरल ऑडिट अनिवार्य: इन इमारतों का एक विस्तृत स्ट्रक्चरल ऑडिट कराया जाएगा।
- 6 माह का नोटिस: ऑडिट में जो इमारतें रहने के लिए असुरक्षित पाई जाएंगी, उनके निवासियों को 6 माह का एडवांस नोटिस देकर इमारत खाली करवाई जाएगी और उसका पुनर्विकास किया जाएगा।
- यह कदम निवासियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए लिया गया है और यह देश के अन्य मेट्रो शहरों के लिए एक मॉडल बन सकता है।
प्रदूषण और जल प्रबंधन पर ‘मिशन क्लीन नोएडा’:
नोएडा प्राधिकरण ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के दिशानिर्देशों का कड़ाई से पालन करने का फैसला किया है।
- STP अपग्रेडेशन: 87.6 करोड़ रुपये की लागत से 5 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) (सेक्टर-50, 33, 54, 35, 123 और 168 में) का रेट्रोफिटिंग (आधुनिकीकरण) किया जाएगा। यह अपग्रेडेशन गंगाजल परियोजना को ध्यान में रखते हुए पानी की गुणवत्ता को अंतर्राष्ट्रीय मानकों तक ले जाएगा।
- ड्रेनेज क्लीन-अप: प्राधिकरण क्षेत्र में मौजूद 24 ड्रेनों में प्रदूषण को कम करने के लिए FBAS (Fixed Bed Biofilm Activated Sludge) तकनीक का उपयोग किया जाएगा।
- ठोस अपशिष्ट प्रबंधन: शहर से निकलने वाले कचरे के लिए 300 TPD (टन प्रति दिन) क्षमता का एक एकीकृत नगरपालिका ठोस अपशिष्ट प्रबंधन संयंत्र स्थापित किया जाएगा। यह प्लांट न केवल कचरे का निस्तारण करेगा, बल्कि ऊर्जा उत्पादन में भी सहायक होगा।
सेक्शन 4: संस्थागत और अन्य विकास
- पुलिस थाना हेतु निःशुल्क भूमि: प्राधिकरण ने कानून-व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए सेक्टर-143 में 4000 वर्ग मीटर का एक भूखंड ₹1/- प्रतिवर्ष के प्रतीकात्मक लीज रेंट पर पुलिस विभाग को आवंटित किया है।
- नीतियों का सरलीकरण: विभिन्न संस्थागत भूखंडों (जैसे महाविद्यालय, नर्सिंग होम, वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय) की योजनाओं के ब्रोशर में संशोधन को मंजूरी दी गई, जिससे आवंटन प्रक्रिया सरल और आकर्षक बन सकेगी।
- कानूनी मामले: प्राधिकरण ने विभिन्न अदालती मामलों के प्रभावी ढंग से निपटने के लिए वकीलों और कानूनी सलाहकारों के पैनल को सशक्त करने का भी फैसला लिया।
निष्कर्ष:
नोएडा प्राधिकरण की 219वीं बोर्ड बैठक ने स्पष्ट कर दिया है कि वह अब ‘सुस्त’ प्राधिकरण की छवि से बाहर निकलकर, एक गतिशील और जवाबदेह शहरी विकास संस्था बनने की राह पर है। बिल्डरों पर नरम पड़कर उन्हें काम पूरा करने का अवसर देना, प्रशासनिक पारदर्शिता के लिए ‘चाणक्य’ जैसे डिजिटल टूल का उपयोग करना, और शहर के इंफ्रास्ट्रक्चर पर 87.6 करोड़ रुपये का निवेश करना, यह सब नोएडा को एक विश्वस्तरीय शहर बनाने की दिशा में उठाए गए ठोस कदम हैं। घर खरीदारों के लिए यह दिवाली से पहले की सबसे बड़ी ख़ुशी है।
नोएडा प्राधिकरण की 219वी बोर्ड बैठक हुई।।बोर्ड बैठक में नोएडा प्राधिकरण के अध्यक्ष दीपक कुमार के अध्यक्षता में हुई, बैठक में ACS विकास प्राधिकरण, तीनों प्राधिकरण के सीईओ नोएडा प्राधिकरण के डॉक्टर लोकेश एम, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के NG रवि कुमार कुमार, यमुना प्राधिकरण के राकेश कुमार सिंह, ACEO विजय कुमार रावल सहित ACEO, OSD समेत अन्य अधिकारी रहे।



