Noida Bharat Vikas Parishad News : संस्कारों से सजे भविष्य की ओर बढ़ते कदम!, नोएडा में तीन दिवसीय बाल संस्कार शिविर और अहिल्याबाई होलकर की 300वीं जयंती का भव्य आयोजन

नोएडा, रफ़्तार टुडे।।
आज के समय में जब आधुनिकता के नाम पर पारंपरिक मूल्यों से दूर होता समाज चिंता का विषय बनता जा रहा है, ऐसे में भारत विकास परिषद – स्वर्णिम शाखा, नोएडा ने संस्कार और संस्कृति को केंद्र में रखकर एक अद्भुत पहल की है।
दिनांक 2 जून से 4 जून 2025 तक, नोएडा स्थित भाऊराव देवरस सरस्वती विद्या मंदिर, सेक्टर-12 में आयोजित हुआ एक त्रिदिवसीय बाल संस्कार शिविर, जिसमें लगभग 90 बालिकाओं ने भाग लिया। शिविर के समापन समारोह को और भी ऐतिहासिक बना दिया गया महान समाज सुधारक रानी अहिल्याबाई होलकर की 300वीं जयंती के विशेष आयोजन ने।
बालिकाओं को सिखाए गए जीवन के सच्चे मूल्य – आत्मरक्षा से लेकर आत्मबल तक
भारत विकास परिषद की महिला सदस्यों ने इस शिविर को न केवल शैक्षिक, बल्कि आत्मिक और सांस्कृतिक विकास का मंच बना दिया। तीन दिन की इस प्रशिक्षण श्रृंखला में शामिल रही कई रोचक और उपयोगी गतिविधियां:
- सिलाई-कढ़ाई और पाक कला प्रशिक्षण:
बच्चियों ने रचनात्मक कौशल सीखे, जो आत्मनिर्भरता की दिशा में पहला कदम हैं। - नृत्य, आत्मरक्षा और व्यक्तित्व विकास:
प्रशिक्षण में भारतीय सांस्कृतिक नृत्य, बेसिक सेल्फ डिफेंस, और सार्वजनिक बोलने व आत्मविश्वास जैसे महत्वपूर्ण गुणों पर फोकस किया गया। - नुक्कड़ नाटक और पारिवारिक मूल्य शिक्षा:
नुक्कड़ नाटकों के ज़रिए बच्चियों ने नारी सशक्तिकरण, प्लास्टिक मुक्त भारत, और बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ जैसे विषयों पर प्रस्तुति दी। - आध्यात्मिक शिक्षा और योगाभ्यास:
उन्हें प्राणायाम, ध्यान, और गीता सार जैसे शाश्वत सिद्धांतों से परिचित कराया गया।
शिविर में महिलाओं की नेतृत्व भूमिका रही प्रेरणादायक
शिविर के संचालन में विशेष भूमिका निभाई भारत विकास परिषद की महिला सदस्याओं ने, जिन्होंने अपने अनुभवों और ज्ञान से इन बालिकाओं को सशक्त बनाने का बीड़ा उठाया।
शाखा सचिव महेन्द्र कुमार शाह ने बताया –
“हम चाहते हैं कि ये बालिकाएं आने वाले कल की मजबूत और मूल्यनिष्ठ नागरिक बनें। संस्कार ही किसी भी सभ्यता की आत्मा होते हैं।“
समापन समारोह में रानी अहिल्याबाई होलकर की प्रेरणादायक जीवनगाथा ने सभी को भावुक किया
4 जून को शिविर के समापन अवसर पर रानी अहिल्याबाई होलकर की 300वीं जयंती का विशेष आयोजन किया गया।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह प्रांत संपर्क प्रमुख श्री वेदपाल जी ने उनके जीवन पर आधारित उल्लेखनीय संस्मरण प्रस्तुत किए। उन्होंने बताया कि कैसे रानी अहिल्याबाई ने:
- समाज के हर वर्ग के लिए शिक्षा, जल प्रबंधन और धर्मशालाओं की स्थापना की।
- भ्रष्टाचार और अन्याय के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया।
- महिला सशक्तिकरण के लिए साहसिक निर्णय लिए।
वेदपाल जी ने बालिकाओं को संबोधित करते हुए कहा –
“रानी अहिल्याबाई का जीवन केवल इतिहास नहीं, बल्कि एक जीता-जागता आदर्श है। हमें उनके जैसे नेतृत्व, करुणा और दृढ़ निश्चय को अपनाना चाहिए।“
विशिष्ट अतिथियों की गरिमामयी उपस्थिति ने समारोह को दिया गौरवपूर्ण स्वरूप
इस आयोजन की गरिमा तब और बढ़ गई जब भारत विकास परिषद के राष्ट्रीय वित्त मंत्री महेश बाबू गुप्ता, प्रांतीय महासचिव श्रीमती मुक्ता अग्रवाल, और संघ के सह प्रांत संपर्क प्रमुख वेदपाल जी जैसे वरिष्ठ अतिथि मंच पर उपस्थित रहे।
इनके साथ-साथ अन्य प्रमुख गणमान्य जनों में शामिल रहे:
- शाखा संरक्षक श्रीमती सुमन गुप्ता
- शाखा अध्यक्ष प्रमोद शर्मा
- नैवेद्य शर्मा, अजय अग्रवाल, ओमप्रकाश बंसल
- डॉ. एम के अग्रवाल, डॉ. आलोक गोयल, डॉ. निर्दोष सिंह
- डॉ. ए के त्यागी, अंशु अग्रवाल, मुकुल बाजपेई
- महिला प्रतिनिधि: सुजाता शर्मा, सपना बंसल, सिंधुजा बाजपेई, मीनू अग्रवाल, सीमा खंडेलवाल, कल्पना अग्रवाल
संस्कार, संस्कृति और सशक्तिकरण – तीनों का मिला अद्भुत संगम
शिविर में भाग लेने वाली बच्चियों ने संकल्प लिया कि वे यहां सीखी गई बातों को अपने जीवन में लागू करेंगी, और समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने में भूमिका निभाएंगी।
कुछ बालिकाओं ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा:
“हमने सीखा कि आत्मरक्षा सिर्फ एक कला नहीं, बल्कि आत्मसम्मान की रक्षा है।“
“संस्कारों के बिना शिक्षा अधूरी है।“
स्मरणीय क्षणों को कैमरे में कैद किया गया – बनेंगी यादगार प्रेरणा
समारोह के सभी पल फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी के माध्यम से सुरक्षित किए गए, जो भविष्य में संस्कार आधारित शिविरों के प्रेरणास्त्रोत बनेंगे।
निष्कर्ष – यह शिविर बना “संस्कारों की पाठशाला, नारी शक्ति की मशाल”
भारत विकास परिषद – स्वर्णिम शाखा, नोएडा द्वारा आयोजित यह बाल संस्कार शिविर केवल एक कार्यक्रम नहीं था, बल्कि राष्ट्र निर्माण के बीज बोने वाला उत्सव था।
संस्कार, सेवा और संगठित समाज की भावना से भरपूर यह आयोजन इस बात का प्रमाण है कि यदि समाज के हर वर्ग में ऐसे कार्यक्रम हों, तो भारत की आने वाली पीढ़ी और भी मजबूत और मूल्यों से भरी होगी।
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