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ग्रेटर नोएडा: 19वीं मंजिल से कूदकर लड़की ने दे दी जान, NEET परीक्षा में हुई है फेल, NEET के एग्जाम में फेल होने पर एक लड़की ने आत्महत्या कर ली

ग्रेटर नोएडा, रफ्तार टुडे। राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (NEET) UG 2022 का परिणाम 7 सितंबर को रात 11 बजे राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) द्वारा घोषित किया गया था। नॉलेज पार्क क्षेत्र पुलिस ने कहा कि परिणाम घोषित होने के बाद, नोएडा की 20 वर्षीय एक लड़की ने कथित तौर पर एक सोसायटी की इमारत से छलांग लगा दी क्योंकि वह नीट पास करने में विफल रही। युवती नोएडा के 151 सेक्टर की जेपी अमन सोसायटी की रहने वाली थी।

युवाओं में डिप्रेशन के कारण बढ़ती आत्महत्या की घटनाओं का प्रमुख कारण परिवार में अकेलापन और साथियों सहयोगियों के बीच खुद को साबित ना कर पाना भी है । आज संयुक्त परिवार टूटते जा रहे हैं युवा किसी से अपनी बात नहीं कह पाते बाहर की दुनिया चकाचौंध और प्रतियोगिता से भरी पड़ी है । माता-पिता भी कई बार अपने बच्चों के रिजल्ट को अपनी प्रतिष्ठा और सामाजिक हैसियत से जोड़ लेते हैं, जिससे बच्चों के मन पर अनावश्यक बोझ पड़ता है । उन्हें लगता है कि, परीक्षा में अच्छा ना कर पाने की स्थिति में वह दुनिया का सामना नहीं कर पाएंगे और उन्हें जीवन को खत्म कर लेना बेहतर विकल्प लगने लगता है ।
हमें उनकी तरफ मदद का हाथ बढ़ाना होगा, बात करनी होगी और विश्वास दिलाना होगा कि “यह सिर्फ एक्जाम है, जिंदगी इससे बहुत बड़ी है”।

वह ऑनलाइन कोर्स कर रही थी। स्थानीय पुलिस ने बताया कि लड़की ने हॉल में शॉल से फांसी लगा ली और उसकी मौत हो गई।
जाने माने अभिप्रेरक वक्ता, शैक्षिक और समसामयिक और न्यूरो भाषाविज्ञान संबंधी प्रोग्रामिंग मामलों के विशेषज्ञ श्री ओजांक शुक्ला का युवाओं में बढ़ते अवसाद के बारे में कहना है की “डिप्रेशन या अवसाद और इसके कारण हमारे बच्चों में आत्महत्या की घटनाएं दिनों दिन बढ़ती जा रही हैं ।

डिप्रेशन एक ऐसी मानसिक अवस्था होती है जहां व्यक्ति को अपने अंदर सिर्फ निराशा या हताशा ही दिखाई देती है । अंदर अंधकार इतना बढ़ जाता है कि व्यक्ति को अपने जीवन खत्म कर लेना ही सबसे आसान और एकमात्र विकल्प जान पड़ता है और वह अपने अकेलेपन और अवसाद से लड़ न पाने की हालत में आत्महत्या कर लेता है।”

युवाओं में डिप्रेशन के कारण बढ़ती आत्महत्या की घटनाओं का प्रमुख कारण परिवार में अकेलापन और साथियों सहयोगियों के बीच खुद को साबित ना कर पाना भी है । आज संयुक्त परिवार टूटते जा रहे हैं युवा किसी से अपनी बात नहीं कह पाते बाहर की दुनिया चकाचौंध और प्रतियोगिता से भरी पड़ी है । माता-पिता भी कई बार अपने बच्चों के रिजल्ट को अपनी प्रतिष्ठा और सामाजिक हैसियत से जोड़ लेते हैं, जिससे बच्चों के मन पर अनावश्यक बोझ पड़ता है । उन्हें लगता है कि, परीक्षा में अच्छा ना कर पाने की स्थिति में वह दुनिया का सामना नहीं कर पाएंगे और उन्हें जीवन हैंको खत्म कर लेना बेहतर विकल्प लगने लगता है ।
हमें उनकी तरफ मदद का हाथ बढ़ाना होगा, बात करनी होगी और विश्वास दिलाना होगा कि “यह सिर्फ एक्जाम है, जिंदगी इससे बहुत बड़ी है”।

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