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Health Minister Said It Is The Responsibility Of States To Deliver The Anti-diabetic Drug Bgr-34 To People – राज्यसभा : आयुष मंत्री ने कहा- लोगों तक मधुमेह रोधी दवा बीजीआर-34 पहुंचाने की जिम्मेदारी राज्यों की 

सार

राज्यसभा में उठे सवाल पर बोले केंद्रीय आयुष मंत्री, कहा- वैज्ञानिक अध्ययनों के बाद विकसित हुई है दवा।

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मधुमेह ग्रस्त रोगियों के लिए बीजीआर-34 दवा उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी राज्यों की है। इनके अलावा सिविक एजेंसी या अन्य विभाग भी अपने स्तर पर इस मधुमेह रोधी दवा को प्राप्त कर सकते हैं। 

मंगलवार को राज्यसभा में उठे एक सवाल पर केंद्रीय आयुष मंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने कहा कि वैज्ञानिक एवं औद्यौगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) द्वारा विकसित मधुमेह रोधी दवा बीजीआर-34 मरीजों के लिए साल 2015 से देश भर में उपलब्ध है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सरकारी अस्पताल, औषधालय इत्यादि में इसकी उपलब्धता सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी संबंधित राज्य सरकारों की है। 

मंत्री सोनोवाल ने कहा कि यह दवा सीएसआईआर की लखनऊ स्थित दो प्रयोगशालाओं राष्ट्रीय बनस्पति अनुसंधान संस्थान (एनबीआरआई) और केंद्रीय औषधीय एवं सुगंधित पौंध संस्थान (सीमैप) द्वारा गहन वैज्ञानिक अध्ययनों के बाद विकसित की गई है। 

उन्होंने कहा कि अस्पतालों के अलावा ईएसआईसी, सीजीएचएस, नगर पालिकाओं, एमसीडी, एनडीएमसी आदि संस्थाओं में दवा की उपलब्धता खरीद एजेंसियों के अधिकार क्षेत्र में आता है। मानकीकरण, सत्यापन, सुरक्षा और हर्बल घटकों का अनुकूलन इत्यादि बिंदुओं पर जांच के बाद ही यह दवा मधुमेह रोगियों के लिए उपलब्ध कराई जा रही है। 

जानकारी के अनुसार सीएसआईआर ने बीजीआर-34 दवा को बाजार में लाने के लिए तकनीक एमिल फॉर्मास्युटिकल्स को हस्तांतरित की थी। रक्त में शर्करा को नियंत्रित करने के अलावा एंटी आक्सीडेंट की प्रचुर मात्रा भी है। 

एनबीआरआई के पूर्व वैज्ञानिक डॉ. एकेएस रावत का कहना है कि बीजीआर-34 में दारुहरिद्रा, गिलोय, विजयसार, गुड़मार, मजीठ व मैथिका जैसे हर्बल मिलाए गए हैं, जो रक्त में ग्लूकोज के स्तर को नियंत्रित्र रखने के साथ ही, एंटी आक्सीडेंट की मात्रा भी बढ़ाते हैं। 

इसके अलावा अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के डॉक्टरों ने भी एक अध्ययन के जरिए यह पुष्टि की थी कि अगर बीजीआर-34 के साथ एलोपैथी दवा का सेवन किया जाए तो मधुमेह रोगियों में काफी तेजी से असर देखने को मिलता है।

विस्तार

मधुमेह ग्रस्त रोगियों के लिए बीजीआर-34 दवा उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी राज्यों की है। इनके अलावा सिविक एजेंसी या अन्य विभाग भी अपने स्तर पर इस मधुमेह रोधी दवा को प्राप्त कर सकते हैं। 

मंगलवार को राज्यसभा में उठे एक सवाल पर केंद्रीय आयुष मंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने कहा कि वैज्ञानिक एवं औद्यौगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) द्वारा विकसित मधुमेह रोधी दवा बीजीआर-34 मरीजों के लिए साल 2015 से देश भर में उपलब्ध है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सरकारी अस्पताल, औषधालय इत्यादि में इसकी उपलब्धता सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी संबंधित राज्य सरकारों की है। 

मंत्री सोनोवाल ने कहा कि यह दवा सीएसआईआर की लखनऊ स्थित दो प्रयोगशालाओं राष्ट्रीय बनस्पति अनुसंधान संस्थान (एनबीआरआई) और केंद्रीय औषधीय एवं सुगंधित पौंध संस्थान (सीमैप) द्वारा गहन वैज्ञानिक अध्ययनों के बाद विकसित की गई है। 

उन्होंने कहा कि अस्पतालों के अलावा ईएसआईसी, सीजीएचएस, नगर पालिकाओं, एमसीडी, एनडीएमसी आदि संस्थाओं में दवा की उपलब्धता खरीद एजेंसियों के अधिकार क्षेत्र में आता है। मानकीकरण, सत्यापन, सुरक्षा और हर्बल घटकों का अनुकूलन इत्यादि बिंदुओं पर जांच के बाद ही यह दवा मधुमेह रोगियों के लिए उपलब्ध कराई जा रही है। 

जानकारी के अनुसार सीएसआईआर ने बीजीआर-34 दवा को बाजार में लाने के लिए तकनीक एमिल फॉर्मास्युटिकल्स को हस्तांतरित की थी। रक्त में शर्करा को नियंत्रित करने के अलावा एंटी आक्सीडेंट की प्रचुर मात्रा भी है। 

एनबीआरआई के पूर्व वैज्ञानिक डॉ. एकेएस रावत का कहना है कि बीजीआर-34 में दारुहरिद्रा, गिलोय, विजयसार, गुड़मार, मजीठ व मैथिका जैसे हर्बल मिलाए गए हैं, जो रक्त में ग्लूकोज के स्तर को नियंत्रित्र रखने के साथ ही, एंटी आक्सीडेंट की मात्रा भी बढ़ाते हैं। 

इसके अलावा अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के डॉक्टरों ने भी एक अध्ययन के जरिए यह पुष्टि की थी कि अगर बीजीआर-34 के साथ एलोपैथी दवा का सेवन किया जाए तो मधुमेह रोगियों में काफी तेजी से असर देखने को मिलता है।

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