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नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा में किसान आंदोलन की जीत पर शुक्रवार को संकल्प पास किया गया। इस दौरान केंद्रीय गृह राज्य मंत्री को हटाने, मृतक किसानों के परिजनों को मुआवजा देने, एमएसपी कानून बनाने व किसानों पर दर्ज मामले वापस लेने की मांग की गई। आंदोलनकारी किसानों की उपेक्षा करने और किसानों पर आरोप लगाने के मामले में प्रधानमंत्री समेत कई केंद्रीय मंत्रियों और भाजपा नेताओं की निंदा भी की गई। सदन में भाजपा विधायकों ने केंद्र सरकार को किसानों का हितैषी बताया। दिल्ली सरकार ने संकल्प पास करने के लिए विधानसभा का एक दिवसीय विशेष सत्र बुलाया था।
विधानसभा के विशेष सत्र में मंत्री गोपाल राय ने संकल्प प्रस्तुत किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन ने केंद्र सरकार का घमंड तोड़ने का कार्य किया है। सरकार ने आंदोलन को कुचलने के लिए किसानों को राष्ट्र विरोधी, खालिस्तानी, चीन-पाकिस्तान के एजेंट करार दिया था। किसानों पर लाठी चलवाई और गाड़ी तक चढ़ा दी गई, लेकिन किसानों ने हिम्मत नहीं हारी और उन्होंने सरकार को काले कृषि कानून वापस लेने के लिए मजबूर कर दिया। उन्होंने किसानों की एमएसपी समेत अन्य लंबित मांगों का समर्थन करते हुए पूरा करने की मांग की।
उधर, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि केंद्र सरकार ने किसानों और जनता से पूछे बिना अपने अहंकार में तीन काले कानून पास किए थे। सरकार को लग रहा था कि किसान आएंगे, थोड़े दिन आंदोलन करेंगे, चीखेंगे, चिल्लाएंगे और फिर घर चले जाएंगे। पिछले साल 26 नवंबर को दिल्ली के बॉर्डर पर यह आंदोलन शुरू हुआ। इस एक साल के दौरान किसानों को गालियां दी गई और उन्हें राष्ट्र विरोधी कहा गया। कभी सोचा नहीं था कि आजाद भारत में एक ऐसा दिन आएगा, जब अपने किसानों को इतनी गंदी-गंदी गालियां दी जाएंगी, लेकिन किसानों ने पलट कर इनका जवाब नहीं दिया। इनके साथ हिंसा की गई, लेकिन सरकार किसानों की हिम्मत नहीं तोड़ पाई और आखिर में सरकार को किसानों के आगे झुकना पड़ता।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह एक तरह से हवन था और उस हवन में हम सब लोगों ने भी अपनी तरफ से एक चम्मच घी डाला। जब हमारे पास किसानों के लिए स्टेडियम को जेल बनाने की फाइल आई तो तब मुझे अन्ना आंदोलन के अपने दिन याद आ गए। वह समझ गए कि ये सभी किसानों को इन स्टेडियम के अंदर डाल देंगे और आंदोलन खत्म हो जाएगा। हमने स्टेडियम को जेल बनाने की अपनी मंजूरी नहीं दी। बॉर्डर पर किसानों हर समय मदद की।
भाजपाइयों ने हद कर दी
केजरीवाल ने कहा कि कृषि कानून लागू करने और उन्हें रद्द करने के मामले में भाजपाइयों ने तर्क देने में हद कर दी। जब ये तीन कानून लाए गए, तब भाजपा वाले चारों तरफ बोले, वाह! क्या मास्टर स्ट्रोक है और जब ये तीनों कानून वापस लिए गए, तब भी बोले, वाह! क्या मास्टर स्ट्रोक है, क्या गत बना दी है, भाजपा ने अपने नेताओं की।
किसान आंदोलन लोकतंत्र के इतिहास में एक नया अध्याय बनकर आया : सिसोदिया
विधानसभा में उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि निरंकुश सत्ता के खिलाफ शांतिपूर्ण आंदोलन कर अपनी बात मनवाई जा सकती है। किसानों ने आने वाली पीढ़ी के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत किया है। किसानों ने यह सिद्ध कर दिया कि जब सत्ता में बैठे लोगों को अहंकार हो जाए और वो चंद लोगों के फायदे के लिए देश के आम आदमी को कुचलने का प्रयास करें, तो शांतिपूर्ण आंदोलन के माध्यम से उस निरंकुश सत्ता को झुकाया जा सकता है। किसान आंदोलन देश के लोकतंत्र के इतिहास में एक नया अध्याय बनकर आया है। किसानों ने आरोपों, अत्याचारों के बावजूद धैर्य के साथ आंदोलन चलाया और जीत हासिल की। केंद्र सरकार ने किसान आंदोलन को खत्म करने के लिए 100 करोड़ का बजट लगा दिया।
केंद्र सरकार किसान हितैषी : बिधूड़ी
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रामबीर सिंह बिधूड़ी ने सदन में आप विधायकों के तर्क को नकारते हुए केंद्र सरकार को किसान हितैषी बताया। उन्होंने कहा कि भाजपा शासन में कृषि उत्पादन, फसलों के दाम और खरीद में चौतरफा बढ़ोतरी हुई है। प्रधानमंत्री को किसानों व गरीबों की चिंता है। इन वर्गों से संबंधित केंद्र सरकार की योजनाएं दिल्ली में भी लागू होनी चाहिए। उन्होंने आप सरकार से आग्रह किया कि वह किसानों के साथ किए गए वादों को पूरा करें। क्योंकि, सरकार से दिल्ली के किसान नाराज हैं और उन्होंने किसान आंदोलन में हिस्सा नहीं लिया। भाजपा विधायक विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार ने किसानों की जान लेने जैसी गतिविधियों को अंजाम नहीं दिया, जबकि पहले कई बार किसानों पर गोली चल चुकी है। हालांकि, उनके इस तर्क का आप के कई विधायकों ने अपने संबोधन में विरोध किया।
नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा में किसान आंदोलन की जीत पर शुक्रवार को संकल्प पास किया गया। इस दौरान केंद्रीय गृह राज्य मंत्री को हटाने, मृतक किसानों के परिजनों को मुआवजा देने, एमएसपी कानून बनाने व किसानों पर दर्ज मामले वापस लेने की मांग की गई। आंदोलनकारी किसानों की उपेक्षा करने और किसानों पर आरोप लगाने के मामले में प्रधानमंत्री समेत कई केंद्रीय मंत्रियों और भाजपा नेताओं की निंदा भी की गई। सदन में भाजपा विधायकों ने केंद्र सरकार को किसानों का हितैषी बताया। दिल्ली सरकार ने संकल्प पास करने के लिए विधानसभा का एक दिवसीय विशेष सत्र बुलाया था।
विधानसभा के विशेष सत्र में मंत्री गोपाल राय ने संकल्प प्रस्तुत किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन ने केंद्र सरकार का घमंड तोड़ने का कार्य किया है। सरकार ने आंदोलन को कुचलने के लिए किसानों को राष्ट्र विरोधी, खालिस्तानी, चीन-पाकिस्तान के एजेंट करार दिया था। किसानों पर लाठी चलवाई और गाड़ी तक चढ़ा दी गई, लेकिन किसानों ने हिम्मत नहीं हारी और उन्होंने सरकार को काले कृषि कानून वापस लेने के लिए मजबूर कर दिया। उन्होंने किसानों की एमएसपी समेत अन्य लंबित मांगों का समर्थन करते हुए पूरा करने की मांग की।
उधर, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि केंद्र सरकार ने किसानों और जनता से पूछे बिना अपने अहंकार में तीन काले कानून पास किए थे। सरकार को लग रहा था कि किसान आएंगे, थोड़े दिन आंदोलन करेंगे, चीखेंगे, चिल्लाएंगे और फिर घर चले जाएंगे। पिछले साल 26 नवंबर को दिल्ली के बॉर्डर पर यह आंदोलन शुरू हुआ। इस एक साल के दौरान किसानों को गालियां दी गई और उन्हें राष्ट्र विरोधी कहा गया। कभी सोचा नहीं था कि आजाद भारत में एक ऐसा दिन आएगा, जब अपने किसानों को इतनी गंदी-गंदी गालियां दी जाएंगी, लेकिन किसानों ने पलट कर इनका जवाब नहीं दिया। इनके साथ हिंसा की गई, लेकिन सरकार किसानों की हिम्मत नहीं तोड़ पाई और आखिर में सरकार को किसानों के आगे झुकना पड़ता।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह एक तरह से हवन था और उस हवन में हम सब लोगों ने भी अपनी तरफ से एक चम्मच घी डाला। जब हमारे पास किसानों के लिए स्टेडियम को जेल बनाने की फाइल आई तो तब मुझे अन्ना आंदोलन के अपने दिन याद आ गए। वह समझ गए कि ये सभी किसानों को इन स्टेडियम के अंदर डाल देंगे और आंदोलन खत्म हो जाएगा। हमने स्टेडियम को जेल बनाने की अपनी मंजूरी नहीं दी। बॉर्डर पर किसानों हर समय मदद की।
भाजपाइयों ने हद कर दी
केजरीवाल ने कहा कि कृषि कानून लागू करने और उन्हें रद्द करने के मामले में भाजपाइयों ने तर्क देने में हद कर दी। जब ये तीन कानून लाए गए, तब भाजपा वाले चारों तरफ बोले, वाह! क्या मास्टर स्ट्रोक है और जब ये तीनों कानून वापस लिए गए, तब भी बोले, वाह! क्या मास्टर स्ट्रोक है, क्या गत बना दी है, भाजपा ने अपने नेताओं की।
किसान आंदोलन लोकतंत्र के इतिहास में एक नया अध्याय बनकर आया : सिसोदिया
विधानसभा में उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि निरंकुश सत्ता के खिलाफ शांतिपूर्ण आंदोलन कर अपनी बात मनवाई जा सकती है। किसानों ने आने वाली पीढ़ी के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत किया है। किसानों ने यह सिद्ध कर दिया कि जब सत्ता में बैठे लोगों को अहंकार हो जाए और वो चंद लोगों के फायदे के लिए देश के आम आदमी को कुचलने का प्रयास करें, तो शांतिपूर्ण आंदोलन के माध्यम से उस निरंकुश सत्ता को झुकाया जा सकता है। किसान आंदोलन देश के लोकतंत्र के इतिहास में एक नया अध्याय बनकर आया है। किसानों ने आरोपों, अत्याचारों के बावजूद धैर्य के साथ आंदोलन चलाया और जीत हासिल की। केंद्र सरकार ने किसान आंदोलन को खत्म करने के लिए 100 करोड़ का बजट लगा दिया।
केंद्र सरकार किसान हितैषी : बिधूड़ी
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रामबीर सिंह बिधूड़ी ने सदन में आप विधायकों के तर्क को नकारते हुए केंद्र सरकार को किसान हितैषी बताया। उन्होंने कहा कि भाजपा शासन में कृषि उत्पादन, फसलों के दाम और खरीद में चौतरफा बढ़ोतरी हुई है। प्रधानमंत्री को किसानों व गरीबों की चिंता है। इन वर्गों से संबंधित केंद्र सरकार की योजनाएं दिल्ली में भी लागू होनी चाहिए। उन्होंने आप सरकार से आग्रह किया कि वह किसानों के साथ किए गए वादों को पूरा करें। क्योंकि, सरकार से दिल्ली के किसान नाराज हैं और उन्होंने किसान आंदोलन में हिस्सा नहीं लिया। भाजपा विधायक विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार ने किसानों की जान लेने जैसी गतिविधियों को अंजाम नहीं दिया, जबकि पहले कई बार किसानों पर गोली चल चुकी है। हालांकि, उनके इस तर्क का आप के कई विधायकों ने अपने संबोधन में विरोध किया।