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Bollywood Event News : शैलेश गिरि के आयोजन का 'स्पेशल इवेंट' बना पत्रकारों के लिए 'स्पेशल अपमान', सवालों से पहले ही बाहर निकाले गए रिपोर्टर्स

नई दिल्ली, रफ़्तार टुडे।
फिल्मों और मनोरंजन की दुनिया से जुड़े कार्यक्रमों में चमक-दमक और ग्लैमर के पीछे पेशेवरता की उम्मीद की जाती है, लेकिन हाल ही में शैलेश गिरि द्वारा आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पत्रकारों को जो अनुभव मिला, वह न केवल निराशाजनक था, बल्कि उनकी गरिमा पर भी सवाल उठाने वाला था।

फिल्म “स्काई फोर्स”, जिसमें अक्षय कुमार मुख्य भूमिका में हैं, से जुड़े इस कार्यक्रम में पत्रकारों ने अपने साथ हुए व्यवहार को बेहद अपमानजनक बताया। यह आयोजन, जो कि एक बेहतरीन इवेंट होना चाहिए था, पत्रकारों के लिए एक निराशाजनक घटना बन गया।


गूगल फॉर्म के जाल में फंसे पत्रकार

शैलेश गिरि और उनकी टीम ने कार्यक्रम में शामिल होने के लिए मीडिया को गूगल फॉर्म भरने के निर्देश दिए। पत्रकारों ने इस प्रक्रिया का पालन किया और अपनी उपस्थिति सुनिश्चित मानी।

  • हालांकि, इस प्रक्रिया में कहीं भी यह स्पष्ट नहीं किया गया था कि केवल मुख्य निमंत्रण स्वीकार्य होगा और फॉरवर्ड किए गए मैसेज को मान्यता नहीं दी जाएगी।
  • जब पत्रकार कार्यक्रम स्थल होटल द इंपीरियल पहुंचे, तो उन्हें एहसास हुआ कि उनकी सारी तैयारियां व्यर्थ हो गईं।

स्टाफ का ‘व्हाइट हाउस’ वाला रवैया

कार्यक्रम स्थल पर पहुंचने पर पत्रकारों को न केवल बाहर कर दिया गया, बल्कि उनके साथ दुर्व्यवहार भी किया गया।

  • शैलेश गिरि के स्टाफ ने एक पत्रकार को सीधे कार्यक्रम छोड़ने का आदेश दिया।
  • पत्रकारों को कार्यक्रम से बाहर निकालने का कोई ठोस कारण भी नहीं बताया गया।
  • यह पूरा घटनाक्रम बेहद अपमानजनक और गैर-पेशेवर था।

अक्षय कुमार से सवाल पूछने का मौका भी छूटा

पत्रकार इस उम्मीद से कार्यक्रम में पहुंचे थे कि उन्हें अक्षय कुमार जैसे बड़े अभिनेता से बातचीत करने का मौका मिलेगा।

  • सवालों के जरिए फिल्म से जुड़ी जानकारी पाठकों और दर्शकों तक पहुंचाने का मौका भी छिन गया।
  • यह आयोजन, जो पत्रकारों और फिल्म प्रमोशन के लिए एक बड़ा मंच बन सकता था, अव्यवस्था और अपमान का पर्याय बन गया।

प्रेस और आयोजन की गरिमा पर सवाल

इस पूरे प्रकरण ने आयोजकों की गैर-पेशेवरता और मीडिया के प्रति उनके रवैये को उजागर किया।

  • यदि गूगल फॉर्म भरने के बावजूद पत्रकारों को प्रवेश नहीं मिलता, तो यह प्रक्रिया ही बेकार थी।
  • भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए आयोजकों को पारदर्शी और स्पष्ट दिशा-निर्देश देने चाहिए।

क्या शैलेश गिरि को लेनी चाहिए सबक?

यह घटना मीडिया जगत के लिए एक बड़ी सीख है।

  • आयोजकों को यह समझना होगा कि पत्रकार किसी भी कार्यक्रम का अभिन्न हिस्सा होते हैं।
  • उनकी गरिमा और पेशेवरता का सम्मान करना आयोजकों की प्राथमिकता होनी चाहिए।

भविष्य की घटनाओं पर प्रभाव

अगर यही रवैया आगे भी जारी रहा, तो पत्रकारों के लिए ऐसी घटनाओं में शामिल होना मुश्किल हो जाएगा।

  • मीडिया और आयोजकों के बीच आपसी विश्वास और सम्मान बनाए रखना बेहद जरूरी है।
  • पत्रकारों की भूमिका केवल रिपोर्टिंग तक सीमित नहीं है; वे किसी भी आयोजन की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

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