नवनीत शरण, नई दिल्ली
Published by: दुष्यंत शर्मा
Updated Thu, 02 Dec 2021 06:54 AM IST
सार
किसान आंदोलन में किसानों के सहयोगी बने सिरसा का पंजाब चुनाव में चेहरा भुनाएगी भाजपा।
शिरोमणी अकाली दल बादल गुट के मनजिंदर सिंह सिरसा ने भाजपा का दामन थाम लिया है। बादल गुट दिल्ली प्रदेश के नेता सिरसा ने यूं ही अपनी पार्टी से मुंह नहीं मोड़ा है। विरोधी पार्टी के सिख नेताओं के बार-बार लगाए जा रहे भ्रष्टाचार के आरोप, अदालत में चल रहे मामले व दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की सत्ता पर काबिज होता नहीं देख सिरसा ने पासा पलटा है। हालांकि वह पहले भी भाजपा के साथ गठबंधन के तहत दिल्ली विधानसभा चुनाव कमल निशान पर लड़ चुके है।
बादल गुट के राष्ट्रीय प्रवक्ता रहे सिरसा का भाजपा में शामिल होने के कई मायने-मतलब निकाले जा रहे है। बादल गुट से किनारा करने के पीछे आला कमान की नाराजगी तो वजह है ही साथ ही दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी चुनाव हारने के बाद फिर से प्रबंधक कमेटी की सत्ता पर काबिज होना उनके लिए मुश्किल हो रहा था तो दूसरा गुरुमुखी चुनाव में फेल होने के बाद रास्ता करीब-करीब बंद हो गया है। दिल्ली गुरुद्वारा चुनाव निदेशालय का विरोध करने से भी निदेशालय का रूख सिरसा के प्रति ठीक नहीं है।
उधर, सरना गुट ने सिरसा के खिलाफ आक्रामक तेवर अख्तिया कर लिया है। इस गुट ने भ्रष्टाचार के कई आरोप सिरसा पर मढ़ा है साथ ही कई मामले को अदालत तक भी ले कर गए है। प्रबंधक कमेटी के पूर्व अध्यक्ष परमजीत सिंह सरना ने गुरु के गोलक का दुरुपयोग करने का आरोप लगातार मढ़ रहे है। प्रबंधक कमेटी के मुख्य कार्यालय गुरुद्वारा रकाब गंज पहुंचकर औचक निरीक्षण में 38 लाख रुपये का पुराने नोट प्रबंधक कमेटी के खजाने में मिलने का पर्दाफास किया।
उधर, बार-बार लगने वाले आरोप की वजह से शिरोमणी अकाली दल बादल गुट पर भी भ्रष्टाचारियों का साथ देने का आरोप विपक्षी पार्टी लगाने लगे थे। गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के पूर्व प्रधान व जागो पार्टी के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष मनजीत सिंह जीके ने भी सिरसा के खिलाफ मोर्चा खोलने में सरना दल के सहयोगी बने हुए है। ऐसे में सिरसा के लिए दिल्ली की सिख राजनीति में दबदबा बनाना बेहद मुश्किल हो रहा था।
उधर, सिरसा को भाजपा में शामिल कराने के पीछे भी कई वजह राजनीति के जानकार बता रहे है। सिख राजनीति के जानकारों का कहना है कि किसान आंदोलन के दौरान सिरसा ने किसानों का जमकर समर्थन किया। दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे पंजाब व हरियाणा के किसानों को हर तरह से मदद गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान सिरसा ने की। अब जब किसान कानून वापस ले लिया गया है तो भाजपा की तरफ से सिरसा का उपयोग किया जाएगा।
विस्तार
शिरोमणी अकाली दल बादल गुट के मनजिंदर सिंह सिरसा ने भाजपा का दामन थाम लिया है। बादल गुट दिल्ली प्रदेश के नेता सिरसा ने यूं ही अपनी पार्टी से मुंह नहीं मोड़ा है। विरोधी पार्टी के सिख नेताओं के बार-बार लगाए जा रहे भ्रष्टाचार के आरोप, अदालत में चल रहे मामले व दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की सत्ता पर काबिज होता नहीं देख सिरसा ने पासा पलटा है। हालांकि वह पहले भी भाजपा के साथ गठबंधन के तहत दिल्ली विधानसभा चुनाव कमल निशान पर लड़ चुके है।
बादल गुट के राष्ट्रीय प्रवक्ता रहे सिरसा का भाजपा में शामिल होने के कई मायने-मतलब निकाले जा रहे है। बादल गुट से किनारा करने के पीछे आला कमान की नाराजगी तो वजह है ही साथ ही दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी चुनाव हारने के बाद फिर से प्रबंधक कमेटी की सत्ता पर काबिज होना उनके लिए मुश्किल हो रहा था तो दूसरा गुरुमुखी चुनाव में फेल होने के बाद रास्ता करीब-करीब बंद हो गया है। दिल्ली गुरुद्वारा चुनाव निदेशालय का विरोध करने से भी निदेशालय का रूख सिरसा के प्रति ठीक नहीं है।
उधर, सरना गुट ने सिरसा के खिलाफ आक्रामक तेवर अख्तिया कर लिया है। इस गुट ने भ्रष्टाचार के कई आरोप सिरसा पर मढ़ा है साथ ही कई मामले को अदालत तक भी ले कर गए है। प्रबंधक कमेटी के पूर्व अध्यक्ष परमजीत सिंह सरना ने गुरु के गोलक का दुरुपयोग करने का आरोप लगातार मढ़ रहे है। प्रबंधक कमेटी के मुख्य कार्यालय गुरुद्वारा रकाब गंज पहुंचकर औचक निरीक्षण में 38 लाख रुपये का पुराने नोट प्रबंधक कमेटी के खजाने में मिलने का पर्दाफास किया।
उधर, बार-बार लगने वाले आरोप की वजह से शिरोमणी अकाली दल बादल गुट पर भी भ्रष्टाचारियों का साथ देने का आरोप विपक्षी पार्टी लगाने लगे थे। गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के पूर्व प्रधान व जागो पार्टी के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष मनजीत सिंह जीके ने भी सिरसा के खिलाफ मोर्चा खोलने में सरना दल के सहयोगी बने हुए है। ऐसे में सिरसा के लिए दिल्ली की सिख राजनीति में दबदबा बनाना बेहद मुश्किल हो रहा था।
उधर, सिरसा को भाजपा में शामिल कराने के पीछे भी कई वजह राजनीति के जानकार बता रहे है। सिख राजनीति के जानकारों का कहना है कि किसान आंदोलन के दौरान सिरसा ने किसानों का जमकर समर्थन किया। दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे पंजाब व हरियाणा के किसानों को हर तरह से मदद गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान सिरसा ने की। अब जब किसान कानून वापस ले लिया गया है तो भाजपा की तरफ से सिरसा का उपयोग किया जाएगा।
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