क्राइम

ब्लैकमेल के भंवर और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के चक्रव्यूह में फैसा राजेन्द्र सिंह

अब उठी ओएस एक्ट 1923 के साथ साथ आईटी एक्ट के अधीन कार्यवाही की मांग

ग्रेटर नोएडा, रफ्तार टुडे। राजेंद्र सिंह निवासी ग्राम बादलपुर निवासी ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ अनाप-शनाप आरोप लगाने के चक्कर में श्री राजेंद्र सिंह आप बुरी तरह घिरते नजर आ रहे हैं l पहले श्री राजेंद्र सिंह के खिलाफ अवैध रूप से नक्शा हासिल कर छेड़खानी करके फर्जी शिकायत करने का आरोप तथा प्राधिकरण के अधिकारीयों की अन्दरूनी बैठक से संबंध जारी नोटिस की कॉपी अवैध रूप से हासिल कर उसमें छेड़खानी करके मीडिया में अवांछित रूप से सर्कुलेट करने के आरोप लगे थे l

और इस बाबत प्राधिकरण ने राजेंद्र सिंह को अवांछित आचरण स्पस्ट करने हेतु ओएस एक्ट 1923 दो नोटिस भी जारी किए थे l अब मुख्यमंत्री को भेजे गए पत्र मे एक नागरिक ने भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम 1885, जिसे आईटी अधिनियम 2000 के रूप में फिर से लागू किया गया है और जिसे 2008 में फिर से संशोधित किया गया है, के प्रावधान के तहत भी कार्रवाई की मांग की है ।

संशोधित आईटी अधिनियम की प्रासंगिक धारा 66ए निम्नवत है :-
66 A Punishment for sending offensive messages through communication service, etc. (Introduced vide ITAA 2008)
Any person who sends, by means of a computer resource or a communication device,
a) any information that is grossly offensive or has menacing character; or
b) any information which he knows to be false, but for the purpose of causing annoyance, inconvenience, danger, obstruction, insult, injury, criminal intimidation, enmity, hatred, or ill will, persistently makes by making use of such computer resource or a communication device,
c) any electronic mail or electronic mail message for the purpose of causing annoyance or inconvenience or to deceive or to mislead the addressee or recipient about the origin of such messages (Inserted vide ITAA 2008)
shall be punishable with imprisonment for a term which may extend to two three years and with fine.

क्या है पूरा मामला

श्री वीरेंदर सिंह गुड्डू की शिकायत के मुताबिक, राजेंद्र सिंह ने शपथ पत्र दाखिल कर भूमि अधिग्रहण को स्विकार कर बाकायदा मुवावजा लेकर 17% किसान कोटे के अंतर्गत आबादी के भुखंड plot 225 block E sector 2 में लेकर बेच दिया और अधिग्रहीत की गई भूमि में से 1500 वर्ग मीटर का भुखंड भी बोर्ड की बैठक में छुटवा लिया l इसके बाद 6/4 % प्लॉट की, सह खातेदारो सहित, पात्रता लेकर, अदालत को गुमराह करके, पूरी अधिग्रहण की गई भूमि पर स्टे आर्डर लेकर भी ले लिया l

लक्ष्य में बाधा देखते हुए, सीईओ और वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ ERP -SAP प्रणाली में 300 करोड़ भ्रष्टाचार के आरोप लगाए, हालांकि परियोजना का निविदा मूल्य 63 करोड़ रुपये ही था। उसने GNIDA के उन अधिकारियों के साथ-साथ निजी व्यक्तियों के खिलाफ भी शिकायतें कीं, जिनकी नजर उनके अवैध कार्यों पर थी। GNIDA के JE के द्वारा नोटिस जारी करने की वजह से उसके खिलाफ भी afterthought शिकायत कर दी l इतना ही नहीं , प्राधिकरण थे जिस लॉ अफसर ने इंटरनल मीटिंग नोटिस जारी किया था , उसके खिलाफ भी RTI डालकर नौकरी से निकलवाने की अप्रत्यक्ष धमकी दे दी l और तो और वीरेन्डर सिंह गुड्डू के साथ के सह शिकायत हस्ताक्षर कर्ता, बादलपुर निवासी मंगत के खिलाफ RTI डालकर उसी को व्हाट्सअप धमकाने हेतु उसके घर जा धमका

प्राधिकरण के अधिकारी व कर्मचारी व्यावहारिक मजबूरी बताकर ‘एवाइड’ कर देते हैं। इसी ‘एवाइड’ वाली नीति का लाभ यहां सक्रिय कुछ ‘ब्लैकमेलर’ उठा रहे हैं। इन कारोबारियों को ‘ऊपर’ शिकायत करने, मीडिया में खबर छपवाने जैसी धमकियां देकर बाकायदा अवैध वसूली की जाती है।

अभी तक उपलब्ध लगभाग 31 वेब लिंक के अनुसार, अपने को घिरा देखकर राजेंद्र सिंह प्राधिकरण के खिलाफ मात्र दो शीर्षक “फ़र्जी भर्ती घोटाला” और “ERP- SAP में 300 करोड़ का घोटाला” के सनसनीखेज जनक अरोप लगाकार अपनी ब्लैकमेलर टीम के साथ, सरकार को बदनाम करके, भारी सुरखियां बटोर चूका है। जबकी तथातथित भरती प्राधिकरण ने सीधी नहीं की है अपितु आउटसोर्सिंग एजेंसी के मध्यम से काम किया जा रहा हैं प्राधिकरण इन कर्मचारियों के मामले में सिर्फ कार्य के गुणात्मक रूप के लिए ही जिम्मेवार है l दूसरी तरफ ERP- SAP सिस्टम के दूसरे मामले में निविदा वैल्यू जब सिर्फ 63 करोड़ रुपए ही थी तो 300 करोड़ रुपए के घोटाले का प्रश्न ही नहीं उठता l GNIDA के उन अधिकारियों के साथ-साथ निजी व्यक्तियों के खिलाफ सैकड़ों शिकायते अलग से हैं जो इसके गलत काम पर नजर रखते हैं या टोका टाकी करते हैं l एक फर्जी डिग्रीधारी वकील पर्दे के पीछे बताया जा रहा है l

अत्यंत विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार प्राधिकरण ने सरकार को बदनाम करने वाले इस तरह के ब्लैकमेलर के खिलाफ कार्रवाई करने की पूरी तैयारी कर ली है और आगमी समय में कभी भी कठोर कार्रवाई देखने को मिल सकती l

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